बंगाल में मतदाता सूची संशोधन कार्य के बीच महिला बीएलओ को मस्तिष्काघात, अस्पताल में भर्ती

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Bengal BLO: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची संशोधन कार्य के दबाव से बीएलओ की हालत गंभीर (Photo: IANS)
पश्चिम बंगाल के हुगली में मतदाता सूची संशोधन कार्य के दौरान 60 वर्षीय बीएलओ तपति बिस्वास को काम के दबाव में मस्तिष्काघात हो गया। परिवार का आरोप है कि लगातार कॉल और समय सीमा के कारण वे तनाव में थीं। हाल ही में एक बीएलओ की आत्महत्या के बाद यह दूसरी बड़ी घटना है।
नवम्बर 20, 2025

मतदाता सूची संशोधन के बीच मानसिक और शारीरिक दबाव का आरोप


पश्चिम बंगाल में विशेष मतदाता सूची संशोधन अभियान के दौरान लगातार बढ़ती घटनाओं ने प्रशासनिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। चुनाव आयोग द्वारा संचालित स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआईआर प्रक्रिया के तहत लगातार दबाव में काम कर रहे बूथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ कर्मचारियों की समस्याएं अब सामने आ रही हैं। इसी क्रम में हुगली जिले के कोन्नगर क्षेत्र में एक महिला बीएलओ को काम के दौरान मस्तिष्काघात हो गया, जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पुलिस के अनुसार 60 वर्षीय तपति बिस्वास को बुधवार को अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद कोन्नगर नगरपालिका अस्पताल पहुंचाया गया। वे मतदाता सूची संशोधन के तहत फार्म वितरण और डेटा अपलोड करने का कार्य कर रही थीं। घटना के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन ने चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई, हालांकि परिजनों ने काम के दबाव को इस गंभीर स्थिति का कारण बताया है।

काम के बोझ से बिगड़ी सेहत

तपति बिस्वास को बुधवार दोपहर तब हमला हुआ, जब वह घर-घर जाकर एसआईआर फॉर्म वितरित कर रही थीं। पुलिस सूत्रों के अनुसार शरीर का बायां हिस्सा सुन्न हो जाने के कारण वे चलने में असमर्थ हो गईं और तुरंत उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने प्रारंभिक जांच में मस्तिष्क संबंधी गंभीर आघात की पुष्टि की है।

तपति की उम्र 60 वर्ष है और वे एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी हैं। कोन्नगर नगरपालिका के नबाग्राम क्षेत्र में रहने वाली तपति बूथ संख्या 279, उत्तरीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र की बीएलओ के रूप में कार्यरत थीं।

परिजनों ने लगाया भारी दबाव का आरोप

तपति के पति प्रभीर बिस्वास ने आरोप लगाया कि बीएलओ के रूप में काम करते हुए उनकी पत्नी मानसिक और शारीरिक रूप से अत्यधिक दबाव में थीं। उन्होंने बताया कि एक बूथ पर 1160 मतदाताओं को फार्म बांटा जाना था और अभी भी 45 फार्म शेष थे।

उन्होंने कहा कि बीएलओ को फॉर्म बांटने से लेकर भरे हुए फॉर्म की जांच करने, क्यूआर कोड स्कैन करने और ऑनलाइन अपलोड करने तक का पूरा काम करना होता है। रात भर जागकर काम करने के बावजूद उन्हें उच्चाधिकारियों के लगातार फोन का सामना करना पड़ा, जिनमें काम जल्द पूरा करने का दबाव डाला जा रहा था। प्रभीर ने बताया कि वे कई बार पत्नी से आराम करने को कहते रहे, लेकिन नौकरी खोने के डर ने उन्हें मजबूर कर दिया कि वे बीएलओ का काम जारी रखें।

पहले भी हो चुकी है आत्महत्या

तपति बिस्वास के मामले ने राज्य में पहले घट चुकी एक दर्दनाक घटना की याद दिला दी। इसी एसआईआर अभियान के दबाव के चलते हाल ही में उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के माल बाजार क्षेत्र में एक महिला बीएलओ द्वारा आत्महत्या की घटना सामने आई थी। परिवार ने आरोप लगाया था कि लगातार तनाव और समय सीमा के दबाव ने उस महिला को ऐसा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।

इस घटना ने राज्य सरकार से लेकर आम जनता के बीच गहरी चिंता पैदा की थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी चुनाव आयोग की शैली पर गंभीर सवाल उठाए थे और एसआईआर कार्यवाही को एक असंयोजित, अव्यवस्थित प्रक्रिया बताया था।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिया बयान

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया के माध्यम से तीखा हमला करते हुए दावा किया था कि एसआईआर अभियान शुरू होने के बाद से राज्य में अब तक 28 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने चुनाव आयोग से इस अभियान को तत्काल रोकने की मांग की थी ताकि और लोगों की जान न जाए।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मतदाता संख्या बढ़ाने के नाम पर दबावपूर्ण तरीके से काम करवाए जा रहे हैं, जिसमें कर्मचारियों और बीएलओ की कोई सुरक्षा या स्वास्थ्य संबंधी समझ नहीं दिखाई जाती। मुख्यमंत्री ने इसे प्रशासनिक लापरवाही करार दिया और इसे बंद करने के लिए अभियान चलाया।

चुनाव आयोग और राज्य सरकार के बीच टकराव

बीएलओ कर्मचारियों की इन घटनाओं ने चुनाव आयोग और राज्य सरकार के बीच टकराव को और गहरा कर दिया है। राज्य सरकार लगातार इस अभियान पर रोक लगाने की मांग कर रही है। वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि यह देशव्यापी प्रक्रिया है और इसे नियमों के तहत पूरा किया जाना आवश्यक है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस तरह की घटनाएं बढ़ती रहीं तो आने वाले समय में मतदाता सूची संशोधन से जुड़े कर्मचारियों की सुरक्षा और कामकाज को लेकर बड़े स्तर पर नीतिगत बदलाव की मांग खड़ी हो सकती है।

बीएलओ की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर सवाल

इस घटना के बाद बीएलओ कर्मचारियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य परिस्थितियों पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। चुनाव प्रक्रिया के दौरान बीएलओ सबसे जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले अधिकारी होते हैं, लेकिन उनके लिए न तो किसी प्रकार का बीमा उपलब्ध है और न ही काम के दबाव के प्रति संवेदनशील प्रशासनिक ढांचा।

तपति बिस्वास का अस्पताल में उपचार जारी है। परिजनों ने उम्मीद जताई है कि सरकार आगे से उनके जैसे बीएलओ के लिए बेहतर समर्थन नीति बनाने पर विचार करेगी ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।

यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.