भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और अनुभवी खेल प्रशासक विजय कुमार मल्होत्रा (Vijay Kumar Malhotra) का मंगलवार (30 सितंबर 2025) को 93 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। मल्होत्रा न केवल एक जाने-माने राजनेता थे, बल्कि भारतीय खेल जगत में उन्हें उस शख्सियत के तौर पर याद किया जाएगा जिन्होंने Indian Archery को देश में स्थापित और विकसित करने में चार दशक से अधिक समय समर्पित किया।
खेल प्रशासक के रूप में योगदान
विजय कुमार मल्होत्रा ने 1973 से 2015 तक लगातार 40 सालों तक Archery Association of India (AAI) के अध्यक्ष पद को संभाला। 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में भारतीय तीरंदाजों की गैरमौजूदगी ने उन्हें इस खेल को देश में विकसित करने की प्रेरणा दी। उनके प्रयासों से 1973 में दिल्ली में पहली Senior National Archery Championship आयोजित हुई, जिसमें लगभग 50 पुरुष और महिला खिलाड़ी शामिल हुए।
मल्होत्रा के नेतृत्व में तीरंदाजी ने एशिया में भी अपनी पहचान बनाई। 1978 में बैंकॉक एशियाई खेलों के दौरान Asian Archery Federation (अब World Archery Asia) की स्थापना हुई, जिसमें वे पहले अध्यक्ष चुने गए। बाद में, उन्होंने 1995 में दिल्ली में पहला Commonwealth Archery Championship आयोजित कराया और Commonwealth Archery Federation के अध्यक्ष बने। उनकी पहल से 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी तीरंदाजी को शामिल किया गया।
IOA और अन्य जिम्मेदारियाँ
खेल जगत में उनकी छवि एक साफ-सुथरे और गैर-विवादित प्रशासक की रही। 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले के बाद जब सुरेश कलमाड़ी को गिरफ्तार किया गया, तो मल्होत्रा को 2011 से 2012 तक Indian Olympic Association (IOA) का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। कठिन दौर में उन्होंने IOA को स्थिरता दी और देश की खेल छवि को संबल प्रदान किया।
वे 1974 तेहरान एशियाई खेलों में भारतीय दल के Chef-de-Mission भी रहे और बाद में IOA के Life President बने। 2015 में AAI से हटने के बाद उन्हें All India Council of Sports (AICS) का अध्यक्ष बनाया गया, जहाँ उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा भी प्राप्त था।
राजनीतिक सफर और व्यक्तित्व
BJP के वरिष्ठ नेता मल्होत्रा लंबे समय तक दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहे और संगठन के अहम पदों पर कार्य किया। वे दिल्ली के Chief Executive Councillor भी रहे। उनकी कार्यशैली हमेशा सरल और सहज रही। मीडिया से बातचीत करना उन्हें बेहद पसंद था और वे हमेशा संवाद के लिए उपलब्ध रहते थे।
विरासत
मल्होत्रा की मेहनत और दूरदृष्टि का ही परिणाम है कि भारतीय तीरंदाजी ने एशियाई, कॉमनवेल्थ और विश्व स्तर पर कई पदक जीते हैं, भले ही ओलंपिक पदक की प्रतीक्षा अभी जारी है। उनके जाने से भारतीय खेल जगत ने एक समर्पित संरक्षक और मार्गदर्शक खो दिया है।
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