कारूर, तमिलनाडु। तमिलगा वेत्रि कज़गम (टीवीके) पार्टी के प्रमुख और अभिनेता जोसेफ विजय की हालिया राजनीतिक रैली में एक भयानक घटना हुई। 27 सितंबर 2025 को आयोजित इस रैली के दौरान भीड़ के दबाव के कारण भगदड़ मची, जिसमें 41 लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इस दुखद घटना में 80 से अधिक लोग घायल हुए।
— TVK IT Wing Official (@TVKHQITWingOffl) September 30, 2025
सूत्रों के अनुसार, भगदड़ के मुख्य कारणों में बिजली कटौती, मंच पर किसी बच्चे के खो जाने की घोषणा और एक गाने का मंच पर प्रदर्शन शामिल था, जिसमें कथित रूप से एक मंत्री का मजाक उड़ाया गया। घटना के तुरंत बाद विजय ने 30 सितंबर को एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उनकी टीम की ओर से कोई सुरक्षा लापरवाही नहीं हुई और इस घटना में किसी की साजिश भी हो सकती है। विजय ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को चुनौती देते हुए कहा कि उनके कार्यकर्ताओं को निशाना न बनाया जाए।
डीएमके सरकार ने तुरंत मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की और एक जांच आयोग का गठन किया। इसके साथ ही, टीवीके पार्टी के कुछ पदाधिकारियों को लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया। वहीं, विपक्षी दलों ने इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की मांग की है। रिपोर्टों के अनुसार, कुछ शरारती तत्वों ने भीड़ को उकसाने की कोशिश की, जिससे स्थिति और भी अधिक नियंत्रण से बाहर हो गई।
एक साक्षी, जिसने इस भगदड़ को देखा, ने बताया कि रैली में कुछ लोगों ने भीड़ को डराने और चोट पहुँचाने के लिए चाकू का इस्तेमाल किया। टीवीके सुप्रीमो विजय ने अपने वीडियो संदेश में कहा, “मुख्यमंत्री जी, यदि आप किसी से बदला लेना चाहते हैं, तो मुझसे लें। मैं अपने घर या कार्यालय में रहूंगा, मेरे कार्यकर्ताओं पर हाथ न डालें।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कारूर जाने का मन बनाया था ताकि मृतकों के परिवारों से मिल सकें, लेकिन उनकी उपस्थिति स्थिति को और असहनीय बनाने का जोखिम नहीं ले सकती थी।
विजय ने अपने राजनीतिक सफर पर भी प्रकाश डाला और कहा कि उनका राजनीतिक सफर अब और मजबूत होगा। उन्होंने कारूर के लोगों को अपने समर्थक और मार्गदर्शक देवताओं के समान देखा। उन्होंने उन सभी राजनीतिक नेताओं का भी धन्यवाद किया जिन्होंने इस कठिन समय में उनके साथ खड़ा रहे।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, विजय ने कहा, “मैंने अपने जीवन में कभी इतनी पीड़ा नहीं झेली। मैं गहरे दुःख में हूं… राजनीति को अलग रखकर कहता हूं कि हम हमेशा पुलिस से सुरक्षित स्थान की अनुमति मांगते हैं। लेकिन जो होना नहीं चाहिए था, वह हुआ… मैं जल्द ही मृतकों के परिवारों से मिलूंगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके राजनीतिक दौरे के अन्य जिलों में कोई दुर्घटना नहीं हुई, और केवल कारूर में ही यह त्रासदी हुई।
इस घटना ने तमिलनाडु की राजनीतिक स्थिति को भी हिला कर रख दिया है। विपक्षी दलों ने तुरंत कार्रवाई और निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं, स्थानीय प्रशासन की तैयारी और सुरक्षा उपायों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। नागरिक समाज और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से कड़ी जांच की अपील की है।
विशेष रूप से, यह घटना यह दर्शाती है कि बड़े जनसमूह की रैलियों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपाय कितने महत्वपूर्ण होते हैं। राजनीतिक रैलियों में उचित समन्वय, आपातकालीन योजना और भीड़ नियंत्रण प्रणाली की आवश्यकता को प्रशासन ने एक बार फिर महसूस किया है।
अंततः, कारूर में हुई भगदड़ ने तमिलनाडु की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों पर गहरा असर डाला है। विजय के बयान और सरकार की प्रतिक्रिया के बीच यह देखा जाएगा कि न्याय, जवाबदेही और सुरक्षा उपाय कितनी जल्दी लागू किए जाते हैं।