Rajnath Singh With Ex-Army Men| पूर्व सैनिक समाज और राष्ट्र के लिए दशकों तक सेवा करने वाले राष्ट्रीय धरोहर हैं। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 29 सितंबर 2025 को नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग द्वारा आयोजित नेशनल कॉनक्लेव 2025 में यह स्पष्ट किया कि सरकार पूर्व सैनिकों के कल्याण, पुनर्वास और पुनः एकीकरण के लिए पूर्ण प्रतिबद्ध है।
‘विकसित भारत और भूतपूर्व सैनिक कल्याण’ विषय पर आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में जिला और राज्य सैनिक बोर्ड, पुनर्वास महानिदेशालय, ईसीएचएस और केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि शामिल हुए। उन्होंने पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नीतियों, पहलों और योजनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया। यह आयोजन ‘संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण’ और सहयोगात्मक संघवाद के महत्व को दर्शाता है।

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्व सैनिक समाज में विश्वास, एकता और सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके अनुशासन, नेतृत्व और रणनीतिक अनुभव से समुदायों और समग्र रूप से राष्ट्र मजबूत होता है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व सैनिक न केवल वर्दी में राष्ट्र की सेवा करते रहे हैं, बल्कि सेवानिवृत्ति के बाद भी सामाजिक और आर्थिक पहलों में सक्रिय योगदान देते हैं।
श्री राजनाथ सिंह ने युवाओं को मार्गदर्शन देने, सामाजिक विघटन को रोकने और नशीली दवाओं के दुरुपयोग जैसी चुनौतियों से निपटने में पूर्व सैनिकों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिक समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि युवा जिम्मेदारीपूर्ण और उत्पादक मार्ग पर आगे बढ़ें।
रक्षा मंत्री ने सामाजिक परिवर्तन और सामुदायिक विकास में पूर्व सैनिकों के योगदान को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों, मंदिरों और अन्य सामुदायिक परियोजनाओं के निर्माण में पूर्व सैनिक सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं। इससे एकता, सामाजिक सामंजस्य और सहभागी शासन को बढ़ावा मिलता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां सरकार की पहुंच सीमित हो।
उन्होंने जीएसटी कार्यान्वयन, कोविड-19 टीकाकरण अभियान, स्वच्छ भारत मिशन और आयुष्मान भारत योजना जैसे राष्ट्रीय प्रयासों का हवाला देते हुए सहयोगात्मक शासन के महत्व पर जोर दिया। रक्षा मंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिक कल्याण के क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से प्रभावी परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

रक्षा मंत्री ने सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों की उद्यमशीलता और समाज में उनके योगदान की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि कई पूर्व सैनिक ने वर्दी में देश की सेवा करने के बाद भी सामाजिक कार्यों और समुदाय सेवा में सक्रिय योगदान जारी रखा है।
पूर्व सैनिकों के सामने आने वाली चुनौतियों, जैसे पेंशन की समस्याएं, स्वास्थ्य सुविधाओं की सीमितता और रोज़गार के अवसरों की कमी पर भी मंत्री ने प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार आधुनिक तकनीक और सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान कर रही है, जिसमें स्मार्ट कैंटीन कार्ड, पूर्व सैनिक पहचान पत्र, ऑनलाइन डीजीआर सेवाएं और पेंशन प्रबंधन के लिए स्पर्श पोर्टल जैसी पहल शामिल हैं।

सम्मेलन में सचिव (डीईएसडब्ल्यू) श्री नितेन चंद्रा की अध्यक्षता में एजेंडे पर गहन चर्चा हुई। विभिन्न क्षेत्रीय सैनिक बोर्डों ने प्रभावी कल्याणकारी नीतियों और सफल प्रथाओं को प्रस्तुत किया। साथ ही, प्रेरक फिल्म का प्रदर्शन, उत्कृष्ट क्षेत्रीय सैनिक सेवा पुरस्कार विजेताओं का सम्मान और डीईएसडब्ल्यू गाइडबुक्स का विमोचन किया गया।
रक्षा मंत्री ने निष्कर्ष निकाला कि पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों का कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने नीति निर्माताओं, समाज और सभी हितधारकों से अपील की कि वे पूर्व सैनिकों के अनुभव, कौशल और नेतृत्व का लाभ उठाकर समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान दें।
पूर्व सैनिक न केवल राष्ट्र की सुरक्षा में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि समाज में अनुशासन, एकता और सेवा की भावना का आदर्श भी स्थापित करते हैं। उनका योगदान राष्ट्र निर्माण और सामाजिक स्थिरता के लिए अमूल्य है।
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