नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है कि सर क्रीक सेक्टर में किसी भी प्रकार की हरकत का भारत निर्णायक जवाब देगा। उन्होंने गुजरात के भुज में कहा कि भारत ने सीमा विवाद को बातचीत के माध्यम से सुलझाने की कई कोशिशें की हैं, लेकिन पाकिस्तान की नीयत ठीक नहीं है।
सर क्रीक क्या है?
सर क्रीक भारत के गुजरात और पाकिस्तान के सिंध में स्थित एक संवेदनशील जलक्षेत्र है। यह क्षेत्र कच्छ के रण के दलदली विस्तार से होकर लगभग 96 किलोमीटर तक फैला है, जहाँ अरब सागर भूमि में विलीन हो जाता है।
1947 में विभाजन के बाद सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बना जबकि गुजरात भारत में रहा। 1968 में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने कच्छ के रण में अधिकांश सीमा विवाद सुलझा लिया, लेकिन सर क्रीक का विवाद आज भी जारी है।
पाकिस्तान का दावा
पाकिस्तान का दावा है कि पूरा सर क्रीक उसका हिस्सा है। वह 1914 के प्रस्ताव और पूर्वी तट पर सीमा निर्धारण को आधार मानता है। भारत का कहना है कि थलवेग सिद्धांत के अनुसार सीमा जलधारा के मध्य में तय होती है और यह सर क्रीक पर लागू होता है।
आर्थिक और रणनीतिक महत्व
सर क्रीक का सैन्य महत्व कम होने के बावजूद इसका आर्थिक महत्व काफी है। माना जाता है कि यहाँ तेल और गैस के भंडार मौजूद हैं। इसके अलावा मछुआरों को भी इस विवाद से बार-बार प्रभावित होना पड़ता है, क्योंकि गलती से पड़ोसी देश के जलक्षेत्र में जाने पर उन्हें पाकिस्तान द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है।
रक्षा मंत्री की चेतावनी
राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि यदि पाकिस्तान सर क्रीक में कोई दुस्साहस करता है, तो उसका करारा जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत की सेना और BSF सतर्क हैं और सीमा की रक्षा हर स्थिति में सुनिश्चित करेंगे। 1965 के युद्ध और हालिया सैन्य ढांचे के उदाहरण देकर उन्होंने पाकिस्तान को याद दिलाया कि कराची जाने का एक मार्ग सर क्रीक से होकर गुजरता है।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत की प्रतिक्रिया ऐसी होगी कि इतिहास और भूगोल दोनों पर असर पड़ेगा। भारत ने हमेशा बातचीत के माध्यम से समाधान की कोशिश की है, लेकिन पाकिस्तान की नीयत स्पष्ट नहीं है।
सर क्रीक विवाद अब भी दोनों देशों के लिए संवेदनशील और रणनीतिक महत्व वाला क्षेत्र बना हुआ है।