Nagpur Dussehra Festival 2025: पुलिस आयुक्त के हाथों रावण दहन, युवाओं को नशा मुक्त भारत का संदेश
Nagpur Dussehra Festival 2025 इस वर्ष नागपुरवासियों के लिए एक यादगार और ऐतिहासिक आयोजन साबित हुआ। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नागपुर शहर और ग्रामीण जिलों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस भव्य महोत्सव ने धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक तीनों ही स्तरों पर विशेष पहचान बनाई।

त्रिवेणी संगम की झलक
इस महोत्सव की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि एक ही मंच से तीन अलग-अलग ऐतिहासिक और सामाजिक अवसरों का संगम प्रस्तुत किया गया।
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धम्मचक्र परिवर्तन दिन : डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा बौद्ध धर्म स्वीकार करने का ऐतिहासिक क्षण, जिसने सामाजिक समता और मानवतावाद का मार्ग दिखाया।
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महात्मा गांधी जयंती : सत्य, अहिंसा और राष्ट्रीय एकता की प्रेरणा देने वाला दिन।
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दशहरा विजयोत्सव : बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व।
इन तीनों आयोजनों ने इस उत्सव को एक अद्वितीय रूप दिया, जो केवल धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि सामाजिक सुधार और मानवीय मूल्यों का प्रतीक बन गया।
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रावण दहन और नशा मुक्ति का बुलंद संदेश
कार्यक्रम का सबसे आकर्षक क्षण रहा रावण दहन। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे पुलिस आयुक्त श्री रविंद्र सिंघल। उनके हाथों पारंपरिक रूप से रावण दहन हुआ। अपने संबोधन में उन्होंने युवाओं को नशे जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रहने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रनिर्माण तभी संभव है जब नई पीढ़ी स्वस्थ, जागरूक और जिम्मेदार बने। इसलिए युवाओं को चाहिए कि वे समाज में फैली बुराइयों को नष्ट कर ‘नशा मुक्त भारत’ बनाने की दिशा में आगे बढ़ें।
मान्यवरों की उपस्थिति और सांस्कृतिक रंग
इस भव्य आयोजन की सफलता में शहर अध्यक्ष अनिल अहिरकर और ग्रामीण अध्यक्ष राजाभाऊ टाकसाले का नेतृत्व महत्वपूर्ण रहा। कार्यक्रम में विधायक कृष्णा खोपड़े, पूर्व विधायक राजेंद्र जैन सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने मार्गदर्शन दिया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने उत्सव को और भव्य बनाया। भीम गीत, लोक नृत्य और पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हर प्रस्तुति में सामाजिक संदेश और सांस्कृतिक धरोहर की झलक स्पष्ट दिखाई दी।
वेब स्टोरी:
सामाजिक एकता और राष्ट्रीय संदेश
Nagpur Dussehra Festival 2025 केवल उत्सव का आयोजन नहीं था, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव और राष्ट्रीय एकता का संदेश देने वाला मंच भी बना। धम्मचक्र परिवर्तन दिन से प्रेरित सामाजिक समता, गांधी जयंती से मिली अहिंसा की सीख और दशहरे की विजय कथा—इन सबने मिलकर महोत्सव को ऐतिहासिक बना दिया।
नागरिकों ने बड़े उत्साह और उमंग के साथ इसमें भाग लिया। विशाल जनसमूह की उपस्थिति ने यह साबित कर दिया कि नागपुर में यह महोत्सव केवल परंपरा नहीं, बल्कि जनता की भावनाओं और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक है।