बेतिया (प. चंपारण)।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में धार्मिक और सांस्कृतिक विमर्श नया मोड़ लेने जा रहा है। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ऐलान किया है कि राज्य की सभी 243 सीटों पर “गो भक्त प्रत्याशी” उतारे जाएंगे। उनका कहना है कि जब तक राजनीतिक दल गो माता की रक्षा को लेकर स्पष्ट और ठोस रुख नहीं अपनाते, तब तक सनातनियों को मजबूरन अपनी अलग राह पकड़नी होगी।
राजनीतिक दलों से सवाल, लेकिन जवाब नहीं मिला
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रेस वार्ता में कहा कि वे दिल्ली स्थित सभी राष्ट्रीय दलों के कार्यालय गए और पूछा कि गो माता को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करने के लिए अपना पक्ष संसद में रखिए। लेकिन, किसी भी दल ने इस पर स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जब दलों ने चुप्पी साध ली, तब उन्हें मजबूरी में राजनीति में उतरना पड़ा।
गो रक्षा संकल्प यात्रा
स्वामी जी ने हाल ही में ‘गो मतदाता संकल्प यात्रा’ निकाली। इस यात्रा का संदेश था कि जो प्रत्याशी गो रक्षा का शपथ पत्र देगा, वहीं योग्य उम्मीदवार माना जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि जहां कोई पार्टी का उम्मीदवार गो रक्षा शपथ-पत्र देगा, वहां वे अपना प्रत्याशी नहीं खड़ा करेंगे।
“सनातन धर्म की रक्षा तभी संभव है जब गो माता का संरक्षण हो”
शंकराचार्य ने कहा – “गो रक्षा हमारी आस्था का विषय ही नहीं, बल्कि संस्कृति और समाज की आधारशिला है। सनातन धर्म की रक्षा तभी संभव है जब हम गो माता की रक्षा करेंगे।” उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे केवल उन्हीं प्रत्याशियों को वोट दें जो इस मुद्दे पर दृढ़ संकल्पित हों।
शिक्षा से संन्यास तक का सफर
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का जन्म 15 अगस्त 1969 को प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के ब्राह्मणपुर गांव में हुआ था। उनका मूल नाम उमाशंकर उपाध्याय था। वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से उन्होंने शास्त्री और आचार्य की उपाधि प्राप्त की।
15 अप्रैल 2003 को उन्होंने दंड संन्यास की दीक्षा ली और शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को गुरु रूप में स्वीकार किया।
शंकराचार्य की गद्दी और धार्मिक सक्रियता
सितंबर 2022 में गुरु स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद उन्हें ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य नियुक्त किया गया। इसके बाद से वे लगातार गौ-रक्षा, गंगा संरक्षण और मंदिर स्वतंत्रता के लिए मुखर रहे हैं।
विवादों से नाता
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कई बार अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे। उन्होंने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे और यूपी सरकार की नीतियों की आलोचना भी की। उनके बयानों ने उन्हें समर्थक और विरोधी दोनों खेमों में सुर्खियों में रखा।
बिहार चुनाव में क्या रणनीति?
स्वामी जी ने कहा कि औपचारिक नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह साफ होगा कि उनके द्वारा समर्थित उम्मीदवार कौन-कौन होंगे। लेकिन उनका दावा है कि गो भक्तों की एकजुटता बिहार में नई राजनीति की नींव रखेगी।
पार्टियों पर दबाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का यह कदम राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों पर गो रक्षा एजेंडा अपनाने का दबाव बढ़ाएगा। बिहार में धार्मिक-राजनीतिक संतुलन पर इसका असर तय माना जा रहा है।