गोवर्धन असरानी, जिन्हें केवल असरानी के नाम से जाना जाता है, भारतीय सिनेमा में हास्य, बहुमुखी प्रतिभा और उत्कृष्ट अभिनय के प्रतीक हैं। अपने पाँच दशकों से अधिक लंबे करियर में, असरानी ने हिंदी और गुजराती फिल्मों में अपनी अद्भुत हास्य कला, यादगार किरदारों और विविध भूमिकाओं के माध्यम से एक अमिट छाप छोड़ी है।
शुरुआती करियर और प्रसिद्धि की ओर
असरानी का जन्म 1941 में जयपुर में हुआ। 1960 के दशक के अंत में छोटे-छोटे रोल्स के साथ अपने अभिनय की शुरुआत करने वाले असरानी की प्राकृतिक हास्य प्रतिभा ने जल्द ही फिल्म निर्माताओं का ध्यान खींचा। उनकी अद्भुत टाइमिंग और अनूठी स्क्रीन उपस्थिति ने उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय और प्रिय चेहरों में बदल दिया।
हास्य भूमिकाएँ जिन्होंने सिनेमा को हँसाया
असरानी के करियर की सबसे यादगार भूमिका है 1975 की ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले में जेलर का किरदार। यह किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में हास्य का प्रतीक बना हुआ है।
इसके अलावा, असरानी ने जो जीता वही सिकंदर, हेरा फेरी, बोल बच्चन जैसी फिल्मों में भी अपनी हास्य प्रतिभा से दर्शकों का मन मोह लिया। इन फिल्मों में उनके किरदार हमेशा यादगार और मनोरंजक रहे।
पुरस्कार और मान्यता
असरानी की हास्य और अभिनय कला को दो बार फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में बेस्ट कॉमेडियन के रूप में सम्मानित किया गया:
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आज की ताज़ा खबर (1974)
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बालिका बधु (1977)
इसके अलावा, उन्हें सर्गम और एक दूजे के लिए जैसी फिल्मों के लिए भी नामांकन मिला, जो उनके बहुमुखी अभिनय का प्रमाण है।
भाषाओं में विविध और लंबा करियर
असरानी ने अपने करियर में 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका, सहायक भूमिका और हास्य भूमिकाएँ सभी निभाई। इसके अलावा, उन्होंने 1972 से 1984 तक गुजराती फिल्मों में भी मुख्य भूमिकाएँ निभाई, जिससे उनकी बहुभाषी और बहुमुखी प्रतिभा का पता चलता है।
फिल्म जगत के सितारों के साथ सहयोग
असरानी के करियर की एक खास बात रही है उनके सहयोग। उन्होंने बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ 25 से अधिक फिल्मों में काम किया, जो दोनों के बीच एक अद्भुत ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री का परिचायक है।
कैमरे के पीछे: लेखन और निर्देशन
असरानी की प्रतिभा केवल अभिनय तक सीमित नहीं रही। उन्होंने लेखन और निर्देशन में भी अपनी छाप छोड़ी।
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सबसे चर्चित फिल्म चल मुरारी हीरो बनने (1977), जिसे उन्होंने लिखा और निर्देशित किया, में उन्होंने मुख्य भूमिका भी निभाई।
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1974 से 1997 के बीच, उन्होंने कुल छह फिल्मों का निर्देशन किया, जिसमें हास्य और भावनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिला।
हास्य और सिनेमा में अमिट योगदान
गोवर्धन असरानी का भारतीय सिनेमा में योगदान अतुलनीय है। हँसी से भरपूर क्षण, यादगार किरदार और गुजराती और बॉलीवुड दोनों फिल्मों में उत्कृष्टता ने उन्हें हमेशा के लिए सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बसा दिया। उनका काम आज भी दर्शकों को मनोरंजन, प्रेरणा और मुस्कान देता है।
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“गुजराती सिनेमा के सितारे: असरानी की क्षेत्रीय फिल्म यात्रा” – 1972–1984 तक गुजराती फिल्मों में योगदान।