चीन ने गोल्ड टैक्स पर छूट खत्म कर भारत समेत वैश्विक बाजार को दिया बड़ा झटका
नई दिल्ली, 1 नवम्बर 2025 — चीन ने एक बार फिर वैश्विक आर्थिक हलचल को बढ़ा दिया है। रेयर अर्थ मेटल्स के बाद अब बीजिंग ने सोने (Gold) पर दी जा रही टैक्स छूट समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस कदम से न सिर्फ चीन, बल्कि भारत सहित पूरी दुनिया के गोल्ड बाजार पर बड़ा असर पड़ सकता है।
1 नवंबर से लागू हुआ नया नियम
1 नवंबर 2025 से चीन में ज्वेलर्स को शंघाई गोल्ड एक्सचेंज से खरीदे गए सोने पर वैल्यू ऐडेड टैक्स (VAT) में कोई छूट नहीं मिलेगी। पहले तक यह टैक्स छूट गोल्ड ट्रेड और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी राहत मानी जाती थी। अब इस व्यवस्था के खत्म होने के बाद सोने की कीमतों में इज़ाफा लगभग तय माना जा रहा है।
चीन सरकार ने यह कदम राजस्व बढ़ाने और आर्थिक घाटे को कम करने के उद्देश्य से उठाया है। देश की अर्थव्यवस्था रियल एस्टेट संकट, धीमी विकास दर और निवेश में कमी जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है।
उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा बोझ
इस निर्णय का सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। सोना अब पहले से अधिक महंगा हो जाएगा, जिससे ज्वेलरी बाजार में मांग घटने की संभावना है। भारत जैसे देशों में, जहां त्योहारों और शादियों में सोने की खरीद परंपरा का हिस्सा है, इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिल सकता है।
वैश्विक बाजार में सोने की कीमतों में हलचल
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना फिलहाल 4,000 डॉलर प्रति औंस के आसपास कारोबार कर रहा है। शुक्रवार को यह 4038.20 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ था, जबकि शनिवार को इसमें लगभग 25 डॉलर की गिरावट दर्ज की गई।
आज यानी शनिवार को दोपहर 12 बजे तक सोना 4013.40 डॉलर प्रति औंस (Gold Price Today) पर ट्रेड कर रहा था।
इसी दौरान, चांदी की कीमत में भी मामूली गिरावट देखने को मिली। चांदी 0.48% गिरकर 48.250 डॉलर प्रति औंस (Silver Price Today) पर कारोबार कर रही थी, जबकि शुक्रवार को यह 48.730 डॉलर पर बंद हुई थी।
निवेशकों के लिए अब भी सुरक्षित विकल्प
टैक्स छूट खत्म होने के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि सोना अब भी निवेशकों के लिए सबसे भरोसेमंद और सुरक्षित एसेट बना रहेगा।
दुनिया भर में बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता, अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित कटौती और सेंट्रल बैंकों द्वारा लगातार गोल्ड खरीद जैसे कारक सोने की मांग को बनाए रखेंगे।
विशेषज्ञों की राय: सोना 5,000 डॉलर तक जा सकता है
वित्तीय विश्लेषकों का अनुमान है कि आने वाले 12 महीनों में सोने की कीमत 5,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है।
इसका कारण है कि अमेरिका और यूरोप में मुद्रास्फीति नियंत्रण की कोशिशों के बीच निवेशक फिर से सोने की ओर रुख कर रहे हैं। वहीं, केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा हिस्सा अब सोने के रूप में रख रहे हैं।
भारत पर प्रभाव
भारत, जो विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड उपभोक्ता है, इस निर्णय से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होगा।
गोल्ड आयात पहले ही महंगा है, और अब चीन के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय सोने की कीमतों में वृद्धि से भारत में ज्वेलरी उद्योग पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।
त्योहारों के मौसम में, जब सोने की मांग चरम पर होती है, यह वृद्धि उपभोक्ताओं के बजट को और प्रभावित कर सकती है।
चीन की मंशा: राजस्व बढ़ाना या बाजार पर नियंत्रण?
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, चीन इस कदम के जरिए न केवल राजस्व बढ़ाने, बल्कि घरेलू बाजार पर नियंत्रण मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
सोने के कारोबार में सख्ती से सरकार को टैक्स कलेक्शन में पारदर्शिता मिलेगी, लेकिन इसका नकारात्मक असर अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश की धाराओं पर पड़ सकता है।
टैक्स छूट खत्म, लेकिन सोने की चमक बरकरार
चीन के इस फैसले ने भले ही अल्पकालिक अस्थिरता पैदा कर दी हो, लेकिन दीर्घकाल में यह वैश्विक बाजार के लिए नई दिशा तय कर सकता है।
जहां उपभोक्ताओं के लिए सोना महंगा होगा, वहीं निवेशकों के लिए यह एक सुरक्षित और स्थायी विकल्प बना रहेगा।
चीन की अर्थव्यवस्था के इस नये मोड़ ने यह साफ कर दिया है कि गोल्ड अब सिर्फ एक धातु नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक संतुलन का प्रतीक बन चुका है।
Discliamer:
इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों और बाजार की प्रवृत्तियों पर आधारित है। यह किसी भी प्रकार की निवेश सलाह (Investment Advice) नहीं है। सोना–चाँदी या अन्य कीमती धातुओं में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से परामर्श अवश्य करें। लेख में उल्लिखित दरें समय और स्थान के अनुसार बदल सकती हैं। लेखक या प्रकाशक निवेश में हुए किसी लाभ या हानि के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।