भारत में डीज़ल की कीमतें: 11 महीनों से स्थिर दरों ने दी राहत
संक्षिप्त सारांश:
भारत में डीज़ल की कीमतें लगातार 11 महीनों से स्थिर बनी हुई हैं। 1 दिसंबर 2024 से अब तक दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मुंबई में आज (04 नवंबर 2025) डीज़ल ₹90.03 प्रति लीटर और दिल्ली में ₹87.67 प्रति लीटर पर कायम है। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों, मुद्रा स्थिरता और सरकारी कर नीति के कारण यह स्थिरता संभव हो पाई है।
प्रमुख महानगरों में डीज़ल की वर्तमान दरें
देश के प्रमुख शहरों में आज (4 नवंबर 2025) डीज़ल की दरें इस प्रकार हैं:
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नई दिल्ली: ₹87.67 प्रति लीटर (कोई बदलाव नहीं)
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मुंबई: ₹90.03 प्रति लीटर (कोई बदलाव नहीं)
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कोलकाता: ₹92.02 प्रति लीटर (कोई बदलाव नहीं)
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चेन्नई: ₹92.61 प्रति लीटर (+0.13)
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गुरुग्राम: ₹87.59 प्रति लीटर (-0.70)
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नोएडा: ₹87.81 प्रति लीटर (-0.38)
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जयपुर: ₹90.21 प्रति लीटर (-0.32)
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पटना: ₹91.82 प्रति लीटर (कोई बदलाव नहीं)
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हैदराबाद: ₹95.70 प्रति लीटर (स्थिर)
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तिरुवनंतपुरम: ₹96.48 प्रति लीटर (स्थिर)
 
राज्यों में डीज़ल दरें: मामूली उतार-चढ़ाव के साथ स्थिर स्थिति
राज्यवार औसत दरों में देखा जाए तो देशभर में डीज़ल की दरें लगभग स्थिर हैं।
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महाराष्ट्र: ₹90.03
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बिहार: ₹91.82
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मध्य प्रदेश: ₹91.60 (-0.38)
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राजस्थान: ₹90.21 (-0.32)
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गुजरात: ₹90.63 (+0.11)
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उत्तर प्रदेश: ₹87.81
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केरल: ₹96.48
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तेलंगाना: ₹95.70
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असम: ₹89.44
 
इन दरों में हल्के बदलाव देखने को मिले हैं, जो स्थानीय टैक्स, परिवहन लागत और वितरण खर्च के कारण होते हैं।
डीज़ल मूल्य निर्धारण प्रणाली: रोज़ाना संशोधन से पारदर्शिता
भारत सरकार ने 15 जून 2017 से डीज़ल की कीमतों में दैनिक संशोधन प्रणाली लागू की थी। इससे पहले कीमतें हर पखवाड़े बदली जाती थीं। नई व्यवस्था ने उपभोक्ताओं के लिए पारदर्शिता बढ़ाई और अचानक बड़े दाम बढ़ोतरी के बोझ से राहत दी।
अब देशभर में ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs) जैसे इंडियन ऑयल, एचपीसीएल और बीपीसीएल हर दिन दरों का अपडेट जारी करती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल और मुद्रा दरों के अनुसार सटीक मूल्य मिल सके।
डीज़ल की कीमतों पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख कारक
1. अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल का दाम
डीज़ल की दरें सीधे तौर पर वैश्विक कच्चे तेल के मूल्यों से प्रभावित होती हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम पिछले एक वर्ष से स्थिर हैं, जिससे घरेलू दरों में बदलाव की आवश्यकता नहीं पड़ी।
2. कर नीति और उत्पाद शुल्क
डीज़ल पर केंद्र सरकार द्वारा स्थिर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) लगाया जाता है, जो प्रतिशत के बजाय प्रति लीटर तय राशि होती है। राज्यों द्वारा लगाए गए वैट में भी लंबे समय से कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।
3. मुद्रा विनिमय दर
भारतीय रुपया और अमेरिकी डॉलर के बीच स्थिरता ने आयात लागत को संतुलित रखा है, जिससे घरेलू दरों में वृद्धि की आवश्यकता नहीं हुई।
4. चुनावी मौसम और सरकारी रणनीति
भारत में चुनावी मौसम के दौरान अक्सर ईंधन दरों में स्थिरता बनाए रखने की प्रवृत्ति रहती है। इससे आम जनता पर महंगाई का दबाव कम पड़ता है और राजनीतिक रूप से भी यह संवेदनशील विषय रहता है।
डीज़ल की मांग और परिवहन क्षेत्र की भूमिका
भारत में डीज़ल का 81% उपभोग परिवहन और लॉजिस्टिक सेक्टर में होता है। भारी वाहन, ट्रक और लॉरी जैसे परिवहन साधन डीज़ल पर निर्भर हैं।
देश के सप्लाई चेन सिस्टम में डीज़ल कीमतों में बदलाव का सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ता है क्योंकि इससे माल ढुलाई की लागत बढ़ती या घटती है।
विशेषज्ञों की राय
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि डीज़ल की कीमतों में लंबे समय से बनी यह स्थिरता सरकार की सतर्क आर्थिक नीति और आयात प्रबंधन का परिणाम है। हालांकि, यदि आने वाले महीनों में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल आता है, तो देश में भी दरों में वृद्धि संभव है।
4 नवंबर 2025 तक भारत में डीज़ल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। 11 महीनों से दरों में कोई बदलाव न होने से उपभोक्ताओं को राहत मिली है। सरकार की नीति, कर स्थिरता और वैश्विक परिस्थितियों ने मिलकर दरों को नियंत्रित रखा है। आने वाले महीनों में यह स्थिति बरकरार रहने की उम्मीद है।