भारत में डीज़ल की कीमतें 11 महीने से स्थिर
भारत में डीज़ल की कीमतें लगातार 11 महीनों से एक समान बनी हुई हैं। मुंबई में आज यानी 3 नवंबर 2025 को डीज़ल का भाव ₹90.03 प्रति लीटर है, जो पिछले 24 घंटों में भी नहीं बदला। यह दर 1 दिसंबर 2024 से अब तक स्थिर है।
डीज़ल की दरों में लंबे समय से कोई बदलाव न होना इस बात का संकेत है कि सरकार और तेल विपणन कंपनियां फिलहाल कीमतों में छेड़छाड़ से बच रही हैं।
Diesel Rate Today: मेट्रो शहरों में मौजूदा डीज़ल कीमतें
| शहर | डीज़ल कीमत (₹/लीटर) | बदलाव |
|---|---|---|
| नई दिल्ली | 87.67 | 0.00 |
| मुंबई | 90.03 | 0.00 |
| कोलकाता | 92.02 | 0.00 |
| चेन्नई | 92.49 | +0.10 |
| गुड़गांव | 87.97 | -0.05 |
| बेंगलुरु | 90.99 | 0.00 |
| पटना | 91.49 | 0.00 |
| हैदराबाद | 95.70 | 0.00 |
राज्यवार डीज़ल दरें
राज्यवार औसत के अनुसार, आंध्र प्रदेश में डीज़ल ₹97.66 प्रति लीटर के उच्चतम स्तर पर है, जबकि अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में ₹78.05 प्रति लीटर के साथ सबसे सस्ता है।
अन्य प्रमुख राज्यों में:
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बिहार: ₹91.49
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राजस्थान: ₹89.93
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उत्तर प्रदेश: ₹87.81
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केरल: ₹96.48
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तेलंगाना: ₹95.70
डीज़ल की दरों में स्थिरता के प्रमुख कारण
1. सरकार की कर नीति
डीज़ल पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही उत्पाद शुल्क और वैट लगाती हैं। जब तक टैक्स ढांचा नहीं बदलता, तब तक कीमतों में राहत संभव नहीं।
2. वैश्विक कच्चे तेल के दाम स्थिर
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के भाव पिछले कुछ महीनों से सीमित दायरे में रहे हैं। इससे घरेलू बाजार में स्थिरता बनी हुई है।
3. चुनावी मौसम का असर
देश में कई राज्यों में चुनावी माहौल है, ऐसे में सरकारें आम जनता को राहत का संदेश देने के लिए कीमतों में स्थिरता बनाए रखना चाहती हैं।
4. रूपया बनाम डॉलर दर
रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले स्थिर बनी हुई है, जिससे तेल कंपनियों पर आयात लागत का ज्यादा बोझ नहीं पड़ा।
डीज़ल का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
भारत में 81% डीज़ल की खपत ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में होती है। भारी वाहन, ट्रक और लॉरी जैसे साधन लंबी दूरी तक माल ढोते हैं। डीज़ल की कीमतों में बढ़ोतरी सीधा असर माल ढुलाई खर्च और वस्तुओं की खुदरा कीमतों पर डालती है।
इसलिए डीज़ल की दरों में स्थिरता से फिलहाल महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिली है।
डीज़ल कीमतों पर असर डालने वाले वैश्विक कारण
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कच्चे तेल की कीमतें: उत्पादन और मांग का अंतर तेल कीमतों को प्रभावित करता है।
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राजनीतिक अस्थिरता: तेल उत्पादक देशों में तनाव से आपूर्ति प्रभावित होती है।
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डॉलर विनिमय दर: रुपया कमजोर पड़ने पर आयात महंगा होता है।
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कर नीतियां: केंद्र और राज्य करों में बदलाव का सीधा असर डीज़ल दरों पर पड़ता है।
भविष्य की संभावनाएँ
तेल विपणन कंपनियों (IOC, HPCL, BPCL) द्वारा रोजाना दरें तय की जाती हैं। फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं है, इसलिए आने वाले महीनों में डीज़ल कीमतों में कोई बड़ा बदलाव संभावित नहीं है।
हालांकि, यदि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में कमी आती है या करों में राहत दी जाती है, तो उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सकती है।
भारत में डीज़ल की कीमतें पिछले 11 महीनों से एक समान बनी हुई हैं। सरकार की स्थिर नीतियों, अंतरराष्ट्रीय बाजार में शांति और चुनावी कारणों से उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है।
डीज़ल के स्थिर दाम न केवल उपभोक्ताओं के लिए सुकूनभरे हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी संतुलित बनाए रखने में सहायक हैं।