Diesel Price Today: भारत का परिवहन तंत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है और इस रीढ़ को सबसे ज्यादा ऊर्जा देने वाला ईंधन है डीजल। ट्रक, बस, ट्रैक्टर, रेल का एक बड़ा हिस्सा और माल ढुलाई से जुड़ी अधिकांश सेवाएं डीजल पर निर्भर हैं। ऐसे में जब डीजल की कीमतें बढ़ती हैं, तो उसका असर केवल ईंधन टैंक तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे बाजार और आम आदमी की जिंदगी तक पहुंच जाता है।
23 दिसंबर 2025 को भारत में डीजल का भाव ₹90.03 प्रति लीटर दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा भले ही एक संख्या लगे, लेकिन इसके पीछे छिपी कहानी कहीं ज्यादा बड़ी है। यह कहानी है बढ़ती परिचालन लागत, महंगे परिवहन और अंततः आम उपभोक्ता तक पहुंचने वाली महंगाई की। डीजल की कीमतें बढ़ने का सबसे पहला असर परिवहन क्षेत्र पर दिखाई देता है। माल ढुलाई से लेकर सार्वजनिक परिवहन तक, हर सेवा की लागत बढ़ जाती है।
रसद और माल ढुलाई पर दबाव
ट्रकों और मालवाहक वाहनों का संचालन पूरी तरह डीजल पर निर्भर है। डीजल महंगा होने का सीधा मतलब है कि एक शहर से दूसरे शहर तक सामान पहुंचाने की लागत बढ़ना। इसका असर खाद्यान्न, निर्माण सामग्री और रोजमर्रा की जरूरतों की वस्तुओं की कीमतों पर भी पड़ता है।
सार्वजनिक परिवहन की बढ़ती चुनौती
बसों और अन्य सार्वजनिक परिवहन साधनों में डीजल प्रमुख ईंधन है। कीमतें बढ़ने पर परिवहन निगमों पर आर्थिक दबाव बढ़ता है। कई बार इसका समाधान किराया बढ़ाकर निकाला जाता है, जिसका सीधा असर आम यात्रियों पर पड़ता है, खासकर रोजाना सफर करने वाले कर्मचारियों और छात्रों पर।
छोटे कारोबारियों की मुश्किलें
फल-सब्जी बेचने वाले, दूध सप्लाई करने वाले और छोटे व्यापारी डीजल की कीमतों से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। बढ़ती लागत के कारण उनके मुनाफे में कटौती होती है और कई बार उन्हें मजबूरी में कीमतें बढ़ानी पड़ती हैं। इसका असर अंततः उपभोक्ता की जेब पर ही पड़ता है।
रोज सुबह 6 बजे की कीमतें क्यों मायने रखती हैं
हर दिन सुबह 6 बजे तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल और डीजल की नई कीमतें जारी करती हैं। यह प्रणाली अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर-रुपये की विनिमय दर में हुए बदलावों पर आधारित होती है। इस व्यवस्था का मकसद पारदर्शिता बनाए रखना है ताकि उपभोक्ताओं को सही और ताजा जानकारी मिल सके।
भारत में राज्यवार डीजल की कीमत
| राज्य / केंद्रशासित प्रदेश | डीजल का दाम (₹/लीटर) | मूल्य परिवर्तन |
|---|---|---|
| अंडमान और निकोबार | 78.05 | 0.00 |
| आंध्र प्रदेश | 97.57 | +0.10 |
| अरुणाचल प्रदेश | 80.21 | -0.28 |
| असम | 89.46 | -0.39 |
| बिहार | 91.71 | -0.06 |
| चंडीगढ़ | 82.45 | 0.00 |
| छत्तीसगढ़ | 93.39 | 0.00 |
| दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव | 87.94 | +0.07 |
| दिल्ली | 87.67 | 0.00 |
| गोवा | 88.45 | +0.11 |
| गुजरात | 90.72 | +0.40 |
| हरयाणा | 88.40 | 0.00 |
| हिमाचल प्रदेश | 87.41 | +0.05 |
| जम्मू एवं कश्मीर | 83.53 | +0.20 |
| झारखंड | 93.45 | +0.63 |
| कर्नाटक | 90.99 | 0.00 |
| केरल | 96.48 | +0.27 |
| लद्दाख | 87.57 | -0.15 |
| लक्षद्वीप | 95.71 | 0.00 |
| मध्य प्रदेश | 91.60 | -0.29 |
| महाराष्ट्र | 90.03 | 0.00 |
| मणिपुर | 85.21 | -0.05 |
| मेघालय | 87.72 | -0.09 |
| मिजोरम | 88.13 | +0.09 |
| नगालैंड | 88.65 | -0.34 |
| ओडिशा | 92.74 | 0.00 |
| पांडिचेरी | 86.47 | 0.00 |
| पंजाब | 88.09 | 0.00 |
| राजस्थान | 90.45 | +0.24 |
| सिक्किम | 90.45 | 0.00 |
| तमिलनाडु | 92.61 | +0.22 |
| तेलंगाना | 95.70 | 0.00 |
| त्रिपुरा | 86.41 | -0.18 |
| उत्तर प्रदेश | 87.61 | -0.20 |
| उत्तराखंड | 88.03 | -0.35 |
| पश्चिम बंगाल | 92.02 | 0.00 |
अंतरराष्ट्रीय बाजार और रुपये की भूमिका
भारत अपनी डीजल जरूरत का बड़ा हिस्सा आयातित कच्चे तेल से पूरा करता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत और डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति सीधे डीजल के दाम तय करती है। रुपये की कमजोरी डीजल को महंगा बना देती है, जबकि रुपये की मजबूती कुछ राहत दे सकती है।
आम आदमी की जिंदगी पर असर
₹90.03 प्रति लीटर का डीजल केवल ट्रक चालकों या बस ऑपरेटरों की चिंता नहीं है। इसका असर सब्जियों की कीमत, दूध के दाम और रोजमर्रा की सेवाओं पर पड़ता है। महंगाई का यह चक्र धीरे-धीरे हर घर की रसोई तक पहुंच जाता है।
आज कई लोग यह सोचने लगे हैं कि लंबी दूरी की यात्रा जरूरी है या नहीं। किसान ट्रैक्टर चलाने से पहले ईंधन खर्च का हिसाब लगाते हैं और छोटे व्यापारी हर फेरे को गिन-गिनकर तय करते हैं। डीजल की कीमतें अब केवल आर्थिक मुद्दा नहीं, बल्कि जीवनशैली को प्रभावित करने वाला कारक बन चुकी हैं।
भविष्य की दिशा क्या हो सकती है
वैकल्पिक ईंधन, इलेक्ट्रिक वाहन और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना ही डीजल पर निर्भरता कम करने का दीर्घकालिक समाधान माना जा रहा है। हालांकि मौजूदा समय में डीजल की कीमतें परिवहन और व्यापार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।