Diesel Rate Today: भारत का परिवहन क्षेत्र इन दिनों डीजल की बढ़ती कीमतों के दबाव में है। 19 दिसंबर 2025 को डीजल का भाव ₹90.03 प्रति लीटर दर्ज किया गया, जो केवल एक आंकड़ा नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की धड़कन से जुड़ा विषय है। भारत में सड़क परिवहन, माल ढुलाई, सार्वजनिक बस सेवाएं और कृषि क्षेत्र बड़ी हद तक डीजल पर निर्भर हैं। ऐसे में डीजल के दाम में हर बढ़ोतरी का असर सीधा आम आदमी और कारोबार दोनों पर पड़ता है।
डीजल की महंगाई धीरे-धीरे पूरे बाजार तंत्र को प्रभावित करती है। ट्रक मालिक से लेकर बस ऑपरेटर, किसान से लेकर छोटे दुकानदार तक, हर कोई इस बढ़ती लागत को महसूस कर रहा है। यह स्थिति केवल परिवहन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर भी साफ दिखने लगता है।
परिवहन क्षेत्र पर सीधा दबाव
डीजल आधारित वाहन भारत की परिवहन व्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। ट्रक, बस, ट्रैक्टर और कई व्यावसायिक वाहन डीजल से ही चलते हैं। जब डीजल महंगा होता है, तो सबसे पहले इसका असर परिवहन कंपनियों की परिचालन लागत पर पड़ता है। ईंधन खर्च बढ़ने से मुनाफा घटता है और अंततः इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डालना पड़ता है।
माल ढुलाई सेवाएं डीजल की कीमतों से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। एक राज्य से दूसरे राज्य तक सामान पहुंचाने की लागत बढ़ने से वस्तुओं के दाम भी बढ़ जाते हैं। अनाज, सब्जियां, फल और रोजमर्रा की जरूरत की चीजें महंगी हो जाती हैं, जिससे महंगाई का दबाव और बढ़ता है।
भारत में राज्यवार डीजल की कीमत
| राज्य | डीजल की कीमत (₹/लीटर) | मूल्य परिवर्तन (₹) |
|---|---|---|
| अंडमान और निकोबार | 78.05 | 0.00 |
| आंध्र प्रदेश | 97.18 | -0.39 |
| अरुणाचल प्रदेश | 80.21 | -0.32 |
| असम | 89.42 | -0.15 |
| बिहार | 91.67 | -0.04 |
| चंडीगढ़ | 82.45 | 0.00 |
| छत्तीसगढ़ | 93.50 | +0.11 |
| दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव | 87.94 | 0.00 |
| दिल्ली | 87.67 | 0.00 |
| गोवा | 88.47 | -0.56 |
| गुजरात | 90.65 | +0.33 |
| हरयाणा | 88.40 | 0.00 |
| हिमाचल प्रदेश | 87.36 | 0.00 |
| जम्मू एवं कश्मीर | 83.43 | -0.02 |
| झारखंड | 92.62 | -0.83 |
| कर्नाटक | 91.06 | +0.07 |
| केरल | 96.38 | -0.10 |
| लद्दाख | 87.72 | +0.15 |
| लक्षद्वीप | 95.71 | 0.00 |
| मध्य प्रदेश | 91.92 | +0.32 |
| महाराष्ट्र | 90.03 | 0.00 |
| मणिपुर | 85.26 | +0.05 |
| मेघालय | 87.72 | -0.09 |
| मिजोरम | 88.13 | +0.87 |
| नगालैंड | 88.85 | +0.26 |
| ओडिशा | 92.76 | +0.02 |
| पांडिचेरी | 86.47 | 0.00 |
| पंजाब | 88.09 | -0.05 |
| राजस्थान | 90.45 | +0.46 |
| सिक्किम | 90.45 | 0.00 |
| तमिलनाडु | 92.39 | -0.22 |
| तेलंगाना | 95.70 | 0.00 |
| त्रिपुरा | 86.55 | +0.14 |
| उत्तर प्रदेश | 87.81 | +0.20 |
| उत्तराखंड | 88.68 | +0.65 |
| पश्चिम बंगाल | 92.02 | 0.00 |
सार्वजनिक परिवहन पर असर
बस सेवाएं और अन्य सार्वजनिक परिवहन साधन भी डीजल पर निर्भर हैं। डीजल महंगा होने पर कई राज्यों में किराया बढ़ाने की मांग उठने लगती है। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ता है, जो रोजाना बसों और अन्य साधनों से सफर करते हैं। मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए यह अतिरिक्त बोझ बन जाता है।
उद्योगों की बढ़ती लागत
डीजल की कीमतें केवल परिवहन तक सीमित नहीं रहतीं। कई उद्योग अपने उत्पादन और मशीनरी के लिए डीजल का उपयोग करते हैं। बिजली कटौती के दौरान डीजल जनरेटर का सहारा लिया जाता है। ऐसे में डीजल महंगा होने से उत्पादन लागत बढ़ती है और उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता पर असर पड़ता है।
कृषि क्षेत्र में ट्रैक्टर, सिंचाई पंप और अन्य उपकरण डीजल से चलते हैं। डीजल महंगा होने पर खेती की लागत बढ़ जाती है। इसका असर फसलों की कीमतों पर भी पड़ता है, जिससे उपभोक्ता को महंगी सब्जियां और अनाज खरीदने पड़ते हैं।
कच्चे तेल और वैश्विक हालात
डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की चाल से जुड़ी होती हैं। वैश्विक स्तर पर यदि कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं या भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता है, तो उसका असर भारत में भी देखने को मिलता है। डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति भी डीजल के दाम तय करने में अहम भूमिका निभाती है।
डीजल की कीमत में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए करों का बड़ा हिस्सा होता है। करों में बदलाव से कीमतों में राहत या बढ़ोतरी संभव होती है। ऐसे में उपभोक्ता अक्सर सरकार से करों में कटौती की उम्मीद लगाए रहते हैं।
आने वाले समय की तस्वीर
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिरता आती है और कच्चे तेल के दाम नियंत्रित रहते हैं, तो डीजल की कीमतों में कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि वैश्विक परिस्थितियां और घरेलू नीतियां इसकी दिशा तय करेंगी।