अमेरिकी दर कटौती की आशा क्षीण होते ही सोना–चांदी की चमक फीकी, बाज़ार में तेज गिरावट

Gold Rate Today
Gold Rate Today: वैश्विक अनिश्चितताओं और फेड संकेतों से घरेलू बाज़ार में तेज उतार (Photo: IANS)
अमेरिकी फेड द्वारा दिसंबर दर कटौती की आशाओं के कमज़ोर पड़ते ही सोना–चांदी की कीमतों में घरेलू वायदा बाज़ार में तेज गिरावट आई। डॉलर की मजबूती और मिश्रित वैश्विक संकेतों ने कीमती धातुओं पर दबाव बढ़ाया। आगामी अमेरिकी आर्थिक आंकड़े अब बाज़ार की दिशा तय करेंगे।
नवम्बर 18, 2025

अमेरिकी फेड की नीति पर अनिश्चितता बढ़ी, घरेलू बाज़ार में कीमती धातुओं पर दबाव

मंगलवार सुबह घरेलू वायदा बाज़ार में सोना और चांदी, दोनों ही कीमती धातुओं ने तेज गिरावट दर्ज की। इसका प्रमुख कारण दिसंबर में अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा संभावित ब्याज दर कटौती की आशाओं का धूमिल होना तथा अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में डॉलर की मजबूती रही। जैसे ही यह संकेत मिला कि फेड फिलहाल दरों में ढील देने के मूड में नहीं है, सुरक्षित निवेश मानी जाने वाली धातुओं की मांग में अचानक गिरावट आने लगी।

मुंबई स्थित वायदा बाज़ार में सुबह के कारोबार में एमसीएक्स सोना दिसंबर वायदा 1.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,21,466 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुँच गया। इसी प्रकार, एमसीएक्स चांदी दिसंबर अनुबंधों में 1.65 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई और यह 1,52,750 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ गया। यह गिरावट पिछले कई दिनों से चल रहे वैश्विक उतार-चढ़ाव की कड़ी का ही हिस्सा मानी जा रही है।

मजबूत डॉलर ने कीमती धातुओं पर बढ़ाया दबाव

अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में लगातार चौथे दिन सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई। डॉलर इंडेक्स 99.59 के स्तर तक चढ़ गया, जिसके कारण अन्य मुद्राओं में खरीदारी करने वाले निवेशकों के लिए सोना और अधिक महँगा हो गया। सोना चूंकि डॉलर में ही मूल्यांकित होता है, इसलिए डॉलर के मजबूत होने पर निवेशकों को अतिरिक्त लागत वहन करनी पड़ती है, जिससे उसकी मांग में कमी आ जाती है।

इसी दौरान, अमेरिकी अर्थव्यवस्था से जुड़ी मिश्रित संकेतों तथा हाल ही में हुए 43 दिन लंबे सरकारी शटडाउन के कारण कई आर्थिक आंकड़ों की रिपोर्टें विलंबित हुईं। इससे निवेशकों के बीच अनिश्चितता और बढ़ गई थी। अब जब शटडाउन समाप्त हो चुका है, वैश्विक बाज़ारों की निगाहें इस सप्ताह आने वाले महत्वपूर्ण आंकड़ों पर टिक गई हैं, विशेषकर गुरुवार को जारी होने वाली सितंबर की नॉन-फार्म पेरोल रिपोर्ट पर।

तकनीकी संकेत: सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तरों पर बाज़ार की नज़र

बाज़ार विश्लेषकों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने को 4000 से 3965 डॉलर के बीच सपोर्ट और 4075 से 4110 डॉलर के बीच रेजिस्टेंस मिल रहा है। चांदी के लिए 49.70 से 49.45 डॉलर के बीच सपोर्ट तथा 50.75 से 51.10 डॉलर के बीच रेजिस्टेंस देखा जा रहा है।

रुपये में मूल्यांकित घरेलू बाज़ार की बात करें तो सोने के लिए 1,22,350 से 1,21,780 रुपये के बीच मजबूत सपोर्ट और 1,23,750 से 1,24,500 रुपये के बीच प्रमुख रेजिस्टेंस मौजूद है। वहीं चांदी के लिए 1,53,850 से 1,52,100 रुपये के बीच सपोर्ट पाया जा रहा है और 1,56,540 तथा 1,57,280 रुपये के बीच रेजिस्टेंस माना जा रहा है। इन स्तरों पर कीमतों का टिकाव आगामी सत्रों की दिशा तय करेगा।

सोने की कीमतों में शुरुआती सत्र से ही कमजोरी दर्ज


घरेलू वायदा बाज़ार में मंगलवार का शुरुआती कारोबार मंदी के प्रभाव में रहा, जहाँ सोने की कीमतों ने हल्की गिरावट के साथ सत्र की शुरुआत की। अंतरराष्ट्रीय संकेतों में उतार-चढ़ाव और डॉलर की मजबूती ने निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित किया, जिसके चलते सुरक्षित निवेश की श्रेणी वाली धातुओं में भारी खरीद देखने को नहीं मिली। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक अमेरिकी मौद्रिक नीति को लेकर स्पष्ट रुख सामने नहीं आता, सोने की कीमतों में स्थिरता की संभावना कम है।

अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में दबाव बढ़ने से घरेलू स्तर पर असर तेज


वैश्विक स्तर पर कमजोर मांग और निवेशकों के सतर्क रुख ने सोने–चांदी के भावों को नीचे की ओर धकेला। विदेशी बाज़ारों में लगातार चार दिनों से गिरावट के चलते भारतीय वायदा बाज़ार में भी नकारात्मक रुझान गहरे होते गए। डॉलर इंडेक्स के ऊँचे स्तर पर बने रहने से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और अधिक महंगा हो गया, जिससे धातुओं की कीमतों पर दबाव बना रहा। विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में वैश्विक आर्थिक आँकड़ों से दिशा और स्पष्ट होगी।

खुदरा खरीदारों में प्रतीक्षा का रुख, तात्कालिक मांग कमजोर


घरेलू खुदरा बाज़ारों में भी मांग की गति धीमी देखी गई, क्योंकि उपभोक्ता आगे कीमतों में और नरमी की उम्मीद कर रहे हैं। त्योहारी और वैवाहिक सीज़न के बाद अचानक गिरावट के संकेतों ने खरीदारों को कुछ समय तक प्रतीक्षा करने के लिए प्रेरित किया है। ज्वैलर्स का कहना है कि यदि कीमतों में स्थिरता आती है तो दोबारा मांग बढ़ सकती है, पर फिलहाल निवेश और उपभोक्ता दोनों ही सावधानी से कदम बढ़ा रहे हैं।

निवेशकों में सतर्कता बढ़ी, जोखिम लेने की प्रवृत्ति घटी

सुरक्षित निवेश के तौर पर सोना और चांदी की खरीद सदैव वैश्विक अस्थिरता और आर्थिक संकटों के बीच बढ़ जाती है। किंतु जब उम्मीदें घटने लगती हैं कि ब्याज दरें कम होंगी, तो निवेशक अपनी पूंजी को बाँध कर रखने के बजाय अधिक प्रतिफल देने वाले विकल्पों की ओर झुकने लगते हैं। यही कारण है कि हाल के दिनों में कीमती धातुओं पर लगातार दबाव बना हुआ है।

फेड अधिकारियों द्वारा भेजे जा रहे मिश्रित संकेतों ने इस अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। कुछ अधिकारी महंगाई पर नियंत्रण को लेकर सतर्क रुख अपनाए हुए हैं, जबकि कुछ तेजी से नरम रुख की ओर झुकते दिखाई देते हैं। निवेशक इस उलझन के बीच दुविधा में हैं और किसी बड़े कदम से बचते हुए प्रतीक्षा-स्थिति में दिखाई देते हैं।

आगामी आर्थिक आंकड़ों से तय होगी बाज़ार की दिशा

विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी डॉलर इंडेक्स की मजबूती और 10-साल के ट्रेजरी बॉण्ड यील्ड्स में हल्की बढ़त ने भी सोना-चांदी पर दबाव बढ़ाया है। अब निवेशकों की नज़र साफ तौर पर आने वाले आर्थिक आंकड़ों पर है जो यह तय करेंगे कि फेड अगले महीने दरों में कायदे से कटौती कर सकता है या नहीं।

इस समय सोना और चांदी दोनों ही अपने ऐतिहासिक उच्च स्तरों के निकट चल रहे हैं, जिसके कारण भी नए खरीदार आगे आने में हिचकिचा रहे हैं। जब तक कोई ठोस सकारात्मक संकेत सामने नहीं आता, तब तक बाज़ार में तेजी की संभावना बहुत कम प्रतीत होती है।

यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.