Meesho Share Price: भारत के शेयर बाजार में बीते कुछ दिनों से एक सवाल बार-बार उठ रहा है—क्या आईपीओ की शुरुआती चमक हमेशा भरोसेमंद होती है? इस सवाल का ताज़ा जवाब मीशो के शेयर ने दिया है। जिस मीशो ने लिस्टिंग के बाद निवेशकों को शानदार रिटर्न देकर चौंकाया था, वही शेयर अब 200 रुपये के स्तर से नीचे फिसल चुका है।
मीशो का आईपीओ 111 रुपये के निर्गम मूल्य पर आया था। लिस्टिंग के दिन शेयर ने 46 प्रतिशत के प्रीमियम के साथ 162 रुपये पर शुरुआत की और कुछ ही दिनों में 254 रुपये के पार पहुंच गया। यह उछाल उन निवेशकों के लिए राहत और उत्साह लेकर आया, जिन्होंने आईपीओ में भरोसा दिखाया था। लेकिन शेयर बाजार में तेजी जितनी तेज होती है, गिरावट भी उतनी ही अचानक हो सकती है—और मीशो के साथ फिलहाल यही देखने को मिल रहा है।
आज बीएसई पर मीशो का शेयर 200 रुपये के अहम मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे फिसल गया। शुरुआती कारोबार में यह 190 रुपये के आसपास पहुंच गया, जिससे निवेशकों में हल्की बेचैनी दिखी।
आईपीओ की सफलता से गिरावट तक का सफर
मीशो के शेयर की यात्रा बेहद तेज रही है। लिस्टिंग के बाद लगातार बढ़ते भाव ने इसे चर्चा का केंद्र बना दिया। खुदरा निवेशकों से लेकर ट्रेडर्स तक, सभी ने इसमें मौके तलाशे। लेकिन जब शेयर अपने उच्चतम स्तर 254.65 रुपये तक पहुंचा, तभी से मुनाफावसूली की आशंका भी बनने लगी थी।
शेयर बाजार का अनुभव यही बताता है कि जब किसी स्टॉक में कम समय में बहुत तेज उछाल आता है, तो कुछ निवेशक लाभ सुरक्षित करने के लिए बिकवाली शुरू कर देते हैं। मीशो के साथ भी यही हुआ। ऊंचे स्तरों पर खरीदारी कमजोर पड़ने लगी और बिकवाली का दबाव बढ़ता गया।
मुनाफावसूली ने बदला शेयर का रुख
मीशो के शेयर में आई गिरावट की सबसे बड़ी वजह मुनाफावसूली मानी जा रही है। जिन निवेशकों को आईपीओ में कम कीमत पर शेयर मिले थे, उन्होंने ऊंचे भाव पर बेचकर मुनाफा निकालना बेहतर समझा। इसका असर यह हुआ कि शेयर पर लगातार दबाव बना और एक दिन 10 प्रतिशत का लोअर सर्किट भी लग गया।
यह स्थिति बताती है कि बाजार में भावनाओं की भूमिका कितनी अहम होती है। जब तेजी होती है तो उम्मीदें बढ़ती हैं, और जब गिरावट आती है तो वही उम्मीदें डर में बदल जाती हैं।
200 रुपये का स्तर क्यों है अहम
शेयर बाजार में कुछ स्तर केवल आंकड़े नहीं होते, वे मनोवैज्ञानिक संकेत भी होते हैं। 200 रुपये का स्तर मीशो के लिए ऐसा ही एक स्तर था। इसके नीचे आते ही कई छोटे निवेशकों में चिंता दिखने लगी। हालांकि जानकार मानते हैं कि किसी भी शेयर की असली ताकत उसके कारोबार और भविष्य की संभावनाओं से तय होती है, न कि कुछ दिनों की कीमतों से।
जानकारों की राय क्या कहती है
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि मीशो का बिजनेस मॉडल मजबूत है और ई-कॉमर्स सेक्टर में उसकी मौजूदगी लंबे समय के लिए संभावनाएं दिखाती है। लेकिन वे यह भी मानते हैं कि आईपीओ के बाद जिस तेजी से शेयर चढ़ा, उसने शॉर्ट टर्म में जोखिम बढ़ा दिया था।
विशेषज्ञों की राय में मौजूदा स्तर पर जल्दबाजी में खरीदारी करने से बचना चाहिए। लंबी अवधि के निवेशक कंपनी के नतीजों, ग्रोथ और बाजार हिस्सेदारी पर नजर रखते हुए रणनीति बना सकते हैं।
निवेशकों के लिए क्या है सबक
मीशो के शेयर की मौजूदा स्थिति निवेशकों के लिए एक अहम सबक भी है। आईपीओ में लिस्टिंग गेन आकर्षक जरूर होता है, लेकिन हर उछाल स्थायी नहीं होता। निवेश से पहले केवल भाव नहीं, बल्कि कंपनी की बुनियादी मजबूती को समझना जरूरी है।
जो निवेशक लंबे समय के नजरिये से सोचते हैं, उनके लिए गिरावट हमेशा डर का संकेत नहीं होती। वहीं शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग करने वालों के लिए उतार-चढ़ाव जोखिम बढ़ा देता है।
कुल मिलाकर, मीशो का शेयर फिलहाल उस मोड़ पर है जहां उम्मीद और सतर्कता दोनों की जरूरत है। आने वाले दिनों में कंपनी के प्रदर्शन और बाजार की धारणा यह तय करेगी कि यह गिरावट एक अस्थायी ठहराव है या किसी लंबी यात्रा की शुरुआत।