म्यूचुअल फंड केवल इक्विटी नहीं, निवेश की विस्तृत दिशा
आज के दौर में जब आम निवेशक भविष्य की सुरक्षा और बेहतर रिटर्न की तलाश में रहते हैं, म्यूचुअल फंड एक भरोसेमंद निवेश विकल्प के रूप में उभरते हैं। अधिकांश लोग मानते हैं कि म्यूचुअल फंड में पैसा केवल स्टॉक मार्केट या इक्विटी में लगाया जाता है। लेकिन यह धारणा अधूरी है। म्यूचुअल फंड सिर्फ इक्विटी नहीं, बल्कि कई ऐसे विकल्प प्रदान करता है जो जोखिम कम करते हुए बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। इसमें डेट, हाइब्रिड, मल्टी-एसेट और फंड ऑफ फंड जैसी योजनाएं निवेशकों को व्यापक चुनाव देती हैं।
म्यूचुअल फंड: केवल इक्विटी नहीं, और भी बहुत कुछ
अक्सर निवेशक यह सोचकर दूरी बना लेते हैं कि म्यूचुअल फंड मार्केट जोखिम से भरे हैं। लेकिन सच्चाई है कि म्यूचुअल फंड अलग-अलग निवेश वर्गों में पैसे लगाकर जोखिम को कम करते हैं। इक्विटी के साथ-साथ सरकारी बांड, मनी मार्केट, कॉर्पोरेट बॉन्ड, और यहां तक कि कमोडिटीज तक में निवेश के विकल्प मौजूद हैं।
“म्यूचुअल फंड केवल इक्विटी का माध्यम नहीं है। यह निवेश को संतुलित बनाने और समय के अनुसार मौका देने वाला विकल्प है।” – निवेश विशेषज्ञ
म्यूचुअल फंड में इक्विटी के अलावा कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?
डेट म्यूचुअल फंड
डेट फंड उन निवेशकों के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं जो स्थिर रिटर्न चाहते हैं। इसमें ट्रेजरी बिल, सरकारी प्रतिभूतियां, कॉर्पोरेट बॉन्ड, कमर्शियल पेपर, और मनी मार्केट निवेश शामिल होते हैं। यह लंबे समय के लिए सुरक्षित निवेश माना जाता है।
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड
हाइब्रिड फंड इक्विटी और डेट का मिश्रण होते हैं। इसका उद्देश्य जोखिम कम करके स्थिर और बेहतर रिटर्न देना है। इसमें दो तरह की श्रेणियां होती हैं –
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एग्रेसिव हाइब्रिड (जिसमें इक्विटी का भाग अधिक)
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कंजर्वेटिव हाइब्रिड (जिसमें डेट का भाग अधिक)
मल्टी-एसेट और फंड ऑफ फंड
इन फंडों में निवेशकों को तीन या अधिक एसेट क्लास में निवेश का अवसर मिलता है, जिससे जोखिम कम होता है और स्थिर लाभ मिलता है। फंड ऑफ फंड निवेश को आगे दूसरे फंडों में लगाता है जिससे अतिरिक्त डायवर्सिफिकेशन मिलता है।
निवेश में एसेट एलोकेशन कितना जरूरी?
एसेट एलोकेशन वह रणनीति है जो निवेशक के जोखिम, समय और उद्देश्य के अनुसार निवेश को विभाजित करती है। यह बाजार उतार–चढ़ाव से बचाने और रिटर्न को स्थिर बनाने का आधार है।
“सीजन बदलने से मूड बदल सकता है, लेकिन निवेश एसेट एलोकेशन से बदलना सही नहीं है।” – सुनिल बाहरी
लोग अक्सर ट्रेंड और भावनाओं में आकर निवेश योजना बदल देते हैं। पर यह गलत तरीका है। समय-समय पर रीबैलेंसिंग जरूरी है, लेकिन एसेट बदलना नहीं।
एक आदर्श पोर्टफोलियो कैसे बनाएं?
निवेश का लक्ष्य ही निवेश का वाहन तय करता है। इसे तीन श्रेणियों में बांटा जाता है –
शॉर्ट टर्म लक्ष्य (1 से 5 वर्ष)
शॉर्ट टर्म के लिए डेट या हाइब्रिड सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं।
मिड टर्म लक्ष्य (5 से 7 वर्ष)
यहां इक्विटी और डेट के मिश्रण यानी हाइब्रिड फंड का चुनाव बेहतर होता है।
लॉन्ग टर्म लक्ष्य (7 वर्ष से अधिक)
लंबे समय के लिए इक्विटी ही सर्वोत्तम विकल्प है, क्योंकि यही धन को ग्रोथ दिलाती है।
“मंजिल तक पहुंचने के लिए सही वाहन का चुनाव जरूरी है, इसी तरह लक्ष्य के अनुसार सही फंड का चयन आवश्यक है।” – सुनिल बाहरी
मार्केट साइकिल को समझना क्यों जरूरी?
मार्केट साइकिल, बाजार का मूड, निवेश की दिशा तय करता है। लेकिन इसमें बदलाव के साथ निवेश बदलना गलत साबित होता है।
निवेश विशेषज्ञों के अनुसार, बाजार की भविष्यवाणी कर निवेश करना जोखिम भरा होता है। बेहतर तरीका है एसेट रीबैलेंसिंग।
“मार्केट साइकिल के आधार पर निवेश करने से हर कोई करोड़पति होता। रीबैलेंसिंग ही बुद्धिमानी है।” – सुनिल बाहरी
म्यूचुअल फंड निवेश का व्यापक विकल्प है, जो केवल इक्विटी पर आधारित नहीं होता। निवेशक अपने समय, लक्ष्य और जोखिम क्षमता के अनुसार विकल्प चुनते हैं। विविध निवेश, कम जोखिम और प्रोफेशनल प्रबंधन म्यूचुअल फंड को आम निवेशकों के लिए भरोसेमंद बनाता है।
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