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सुनो कंपनी को मिला 250 मिलियन डॉलर का निवेश, संगीत उद्योग में मचा कॉपीराइट विवाद

Suno AI Music Funding: कृत्रिम बुद्धिमत्ता संगीत कंपनी को मिली बड़ी सफलता
Suno AI Music Funding: कृत्रिम बुद्धिमत्ता संगीत कंपनी को मिली बड़ी सफलता
मैसाचुसेट्स की एआई संगीत कंपनी सुनो ने 250 मिलियन डॉलर का निवेश जुटाया है और कंपनी की कीमत 2.45 बिलियन डॉलर आंकी गई है। यह कंपनी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए गाने बनाने की सुविधा देती है। लेकिन वार्नर, यूनिवर्सल और सोनी जैसी बड़ी संगीत कंपनियों ने इस पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाया है। एआई संगीत की बढ़ती लोकप्रियता नैतिक और कानूनी सवाल खड़े कर रही है। निवेशक इस क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं देख रहे हैं।
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में लगातार नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। संगीत निर्माण की दुनिया में भी इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। हाल ही में अमेरिका की एक एआई संगीत कंपनी सुनो ने बड़ी सफलता हासिल की है। कंपनी ने 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2100 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया है। यह निवेश कंपनी के विकास और भविष्य की योजनाओं के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।

मैसाचुसेट्स में स्थित यह कंपनी लोगों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से गाने बनाने की सुविधा देती है। उपयोगकर्ता केवल कुछ शब्द या निर्देश देकर पूरा गाना तैयार करवा सकते हैं। लेकिन इस तकनीक के साथ ही कंपनी कुछ बड़े विवादों में भी घिरी हुई है। दुनिया की सबसे बड़ी संगीत कंपनियां इस पर सवाल उठा रही हैं।

निवेश का दौर और कंपनी की कीमत

बुधवार को सुनो ने घोषणा की कि उसने सीरीज सी फंडिंग राउंड में 250 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। यह निवेश मेनलो वेंचर्स की अगुवाई में हुआ है। इस निवेश के बाद कंपनी की कुल कीमत 2.45 बिलियन डॉलर यानी करीब 20,580 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह रकम दिखाती है कि निवेशक एआई संगीत के भविष्य को लेकर कितने आशावादी हैं।

इस फंडिंग राउंड में कई बड़े नाम शामिल हुए हैं। एनवीडिया की वेंचर कैपिटल शाखा एनवेंचर्स, हॉलवुड मीडिया, लाइटस्पीड और मैट्रिक्स जैसी कंपनियों ने भी निवेश किया है। इन बड़े निवेशकों की भागीदारी से साफ है कि सुनो की तकनीक को लेकर बाजार में काफी उम्मीदें हैं।

संगीत उद्योग में बढ़ता एआई का प्रभाव

पिछले कुछ समय से संगीत उद्योग में एआई से बने गानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इन गानों को सुनकर यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि ये किसी इंसान ने बनाया है या मशीन ने। इस साल की शुरुआत में एक एआई बैंड ‘द वेलवेट सनडाउन’ ने इस बात को साबित कर दिया। इस बैंड ने स्पॉटिफाई पर हर महीने 10 लाख श्रोता जुटाए थे।

जब यह खुलासा हुआ कि यह बैंड असल में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से बना है तो पूरी दुनिया चौंक गई। लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि जिन गानों को वे इतने चाव से सुन रहे थे, वे किसी इंसान ने नहीं बल्कि मशीन ने बनाए थे। इस घटना ने एआई संगीत की ताकत को उजागर कर दिया।

सुनो कंपनी का कामकाज और विशेषताएं

सुनो कंपनी उपयोगकर्ताओं को एक खास तरह का मंच देती है। यहां कोई भी व्यक्ति कुछ शब्दों या निर्देशों को टाइप करके पूरा गाना बनवा सकता है। कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी माइकी शुलमैन का कहना है कि पिछले दो साल में लाखों लोगों ने सुनो के जरिए अपने विचारों को संगीत में बदला है।

शुलमैन ने कहा कि पहली बार संगीत बनाने वाले लोगों से लेकर पेशेवर गीतकार और निर्माता भी इस उपकरण को अपने रोजमर्रा के काम में शामिल कर रहे हैं। यह तकनीक संगीत निर्माण को आसान और सुलभ बना रही है। जो लोग पहले संगीत की तकनीकी बारीकियों को नहीं समझते थे, वे भी अब अपनी रचनात्मकता को अभिव्यक्त कर सकते हैं।

कॉपीराइट का बड़ा विवाद

लेकिन सुनो की सफलता के साथ ही कुछ बड़ी चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं। दुनिया की सबसे बड़ी संगीत कंपनियों ने सुनो के खिलाफ कॉपीराइट का मुकदमा दायर किया है। वार्नर म्यूजिक ग्रुप, यूनिवर्सल म्यूजिक ग्रुप और सोनी म्यूजिक ग्रुप जैसी दिग्गज कंपनियां इस विवाद में शामिल हैं।

इन कंपनियों का आरोप है कि सुनो अपनी कृत्रिम बुद्धिमत्ता को प्रशिक्षित करने के लिए उनके संगीत का अनधिकृत उपयोग करती है। बिना अनुमति लिए इन गानों का इस्तेमाल करना कॉपीराइट कानून का उल्लंघन माना जा रहा है। यह विवाद एआई और पारंपरिक संगीत उद्योग के बीच बढ़ती खाई को दर्शाता है।

नैतिक और कानूनी सवाल

एआई संगीत की बढ़ती लोकप्रियता कई नैतिक और कानूनी सवाल खड़े कर रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि मंचों को इन गानों से होने वाली कमाई को कलाकारों के बीच कैसे बांटना चाहिए। अगर गाना मशीन ने बनाया है तो पैसा किसे मिलना चाहिए? क्या उस व्यक्ति को जिसने निर्देश दिए, या उस कंपनी को जिसने तकनीक बनाई?

दूसरा बड़ा मुद्दा कॉपीराइट का है। अगर एआई किसी मौजूदा गाने की धुन या शैली की नकल करता है तो क्या यह चोरी मानी जाएगी? ये सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं और दुनियाभर में इन पर बहस जारी है।

युडियो के साथ समझौता

पिछले महीने यूनिवर्सल म्यूजिक ग्रुप ने एक और एआई संगीत कंपनी युडियो के साथ कॉपीराइट मामले को सुलझा लिया। दोनों कंपनियों ने साथ मिलकर 2026 में एक नया एआई संगीत मंच लॉन्च करने की योजना बनाई है। इस मंच में लाइसेंस प्राप्त संगीत का उपयोग करके एआई को प्रशिक्षित किया जाएगा।

यह समझौता एक नई दिशा दिखाता है। इससे पता चलता है कि पारंपरिक संगीत कंपनियां और एआई तकनीक एक साथ काम कर सकती हैं। अगर सही तरीके से लाइसेंस लिया जाए और कलाकारों को उचित भुगतान किया जाए तो यह तकनीक सबके लिए फायदेमंद हो सकती है।

निवेशकों का बढ़ता रुझान

एआई उपकरणों की बढ़ती लोकप्रियता निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रही है। जो स्टार्टअप नई सामग्री और आय के नए स्रोत बना सकते हैं, उनमें निवेश तेजी से बढ़ रहा है। सुनो को मिला यह विशाल निवेश इसी रुझान का हिस्सा है।

निवेशक मानते हैं कि आने वाले समय में एआई संगीत एक बड़े बाजार के रूप में उभरेगा। जैसे-जैसे तकनीक बेहतर होगी, अधिक से अधिक लोग इसका उपयोग करेंगे। इससे कंपनियों को बड़ा मुनाफा होने की संभावना है।

भविष्य की संभावनाएं

सुनो का लक्ष्य और अधिक परिष्कृत संगीत निर्माण उपकरण विकसित करना है। कंपनी चाहती है कि हर व्यक्ति अपनी रचनात्मकता को संगीत के जरिए व्यक्त कर सके। भविष्य में यह तकनीक और भी सरल और प्रभावी हो सकती है।

लेकिन इसके साथ ही कॉपीराइट और नैतिकता के मुद्दों को भी सुलझाना होगा। तभी एआई संगीत को व्यापक स्वीकृति मिल सकेगी और यह उद्योग सही दिशा में आगे बढ़ सकेगा।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।