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झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार विधानसभा चुनाव से खुद को किया अलग, राजद और कांग्रेस पर लगाया धोखे का आरोप

JMM Bihar Election
JMM Bihar Election: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार चुनाव से खुद को किया अलग, राजद और कांग्रेस पर लगाया धोखे का आरोप
अक्टूबर 20, 2025

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लिया बिहार चुनाव से अलग होने का निर्णय

गिरिडीह। बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र महागठबंधन और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के बीच दरार स्पष्ट रूप से दिख रही है। झामुमो ने स्वयं को बिहार चुनाव से पूरी तरह अलग कर लिया है और इस कदम के लिए उसने राजद तथा कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने प्रेसवार्ता में स्पष्ट किया कि बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो की भागीदारी नहीं होगी।

महागठबंधन में झामुमो का अलगाव

सुदिव्य कुमार सोनू ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो के साथ राजनीतिक चालबाजी की गई। पार्टी ने महागठबंधन का हिस्सा बनने के बावजूद उसे उचित हिस्सेदारी नहीं दी गई। उनका कहना है कि 2015 में झामुमो ने राजद को मदद प्रदान की थी और 2020 के चुनाव में राजद ने झामुमो को तीन सीटें देने का वादा किया था, जो पूरा नहीं हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो ने राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ मिलकर गठबंधन धर्म का पालन किया था। बिहार चुनाव में इस गठबंधन के प्रति विश्वासघात किया गया और यह झामुमो के लिए आहत करने वाला कदम साबित हुआ।

झामुमो और राजद-कांग्रेस विवाद

सोनू ने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व ने मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार सात अक्टूबर को पटना में राजद के शीर्ष नेतृत्व से वार्ता की थी। वार्ता में झामुमो को पांच सीटें देने की सहमति बनी थी, लेकिन महागठबंधन में इसे शामिल नहीं किया गया। सोनू ने कहा, “इस तरह के राजनीतिक व्यवहार का खामियाजा उन ताकतों को भुगतना पड़ेगा, जिन्होंने झामुमो को आहत किया।”

सोनू ने यह भी स्पष्ट किया कि इस पूरी स्थिति में जितना दोषी राजद है, उतना ही जिम्मेदार कांग्रेस भी है क्योंकि उसने इस मामले में मौन साध रखा।

झारखंड की राजनीति पर संभावित असर

झामुमो का बिहार विधानसभा चुनाव से अलग होना केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा। मंत्री सोनू ने संकेत दिया कि इसका असर झारखंड की राजनीति पर भी पड़ सकता है। संगठन महागठबंधन की गतिविधियों की समीक्षा कर झामुमो और झारखंड के हितों के अनुरूप रणनीति बनाएगा।

यह संभावना जताई जा रही है कि आगामी समय में झारखंड की राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव देखे जा सकते हैं। सोनू ने कहा कि पार्टी संगठन के निर्णय राज्य की राजनीति में संतुलन बनाने के लिए निर्णायक साबित होंगे।

भविष्य की रणनीति और संगठन का दृष्टिकोण

झामुमो ने स्पष्ट किया कि पार्टी बिहार चुनाव में भाग नहीं लेकर अपनी साख और गठबंधन के प्रति सिद्धांतों को बनाए रखना चाहती है। यह निर्णय संगठन और मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार लिया गया है। झामुमो जिलाध्यक्ष संजय सिंह और जिला प्रवक्ता कृष्ण मुरारी शर्मा भी प्रेसवार्ता में उपस्थित थे।

संगठन ने संकेत दिया है कि आगामी दिनों में वह महागठबंधन और अन्य राजनीतिक दलों के क्रियाकलापों का विश्लेषण करेगा और झारखंड के हितों के अनुरूप निर्णय लेगा।

इस घटनाक्रम के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की स्थिति प्रभावित हो सकती है। वहीं झारखंड में राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना जताई जा रही है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लिया बिहार चुनाव से अलग होने का निर्णय

गिरिडीह। बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र महागठबंधन और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के बीच दरार स्पष्ट रूप से दिख रही है। झामुमो ने स्वयं को बिहार चुनाव से पूरी तरह अलग कर लिया है और इस कदम के लिए उसने राजद तथा कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने प्रेसवार्ता में स्पष्ट किया कि बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो की भागीदारी नहीं होगी।

महागठबंधन में झामुमो का अलगाव

सुदिव्य कुमार सोनू ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो के साथ राजनीतिक चालबाजी की गई। पार्टी ने महागठबंधन का हिस्सा बनने के बावजूद उसे उचित हिस्सेदारी नहीं दी गई। उनका कहना है कि 2015 में झामुमो ने राजद को मदद प्रदान की थी और 2020 के चुनाव में राजद ने झामुमो को तीन सीटें देने का वादा किया था, जो पूरा नहीं हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो ने राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ मिलकर गठबंधन धर्म का पालन किया था। बिहार चुनाव में इस गठबंधन के प्रति विश्वासघात किया गया और यह झामुमो के लिए आहत करने वाला कदम साबित हुआ।

झामुमो और राजद-कांग्रेस विवाद

सोनू ने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व ने मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार सात अक्टूबर को पटना में राजद के शीर्ष नेतृत्व से वार्ता की थी। वार्ता में झामुमो को पांच सीटें देने की सहमति बनी थी, लेकिन महागठबंधन में इसे शामिल नहीं किया गया। सोनू ने कहा, “इस तरह के राजनीतिक व्यवहार का खामियाजा उन ताकतों को भुगतना पड़ेगा, जिन्होंने झामुमो को आहत किया।”

सोनू ने यह भी स्पष्ट किया कि इस पूरी स्थिति में जितना दोषी राजद है, उतना ही जिम्मेदार कांग्रेस भी है क्योंकि उसने इस मामले में मौन साध रखा।

झारखंड की राजनीति पर संभावित असर

झामुमो का बिहार विधानसभा चुनाव से अलग होना केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा। मंत्री सोनू ने संकेत दिया कि इसका असर झारखंड की राजनीति पर भी पड़ सकता है। संगठन महागठबंधन की गतिविधियों की समीक्षा कर झामुमो और झारखंड के हितों के अनुरूप रणनीति बनाएगा।

यह संभावना जताई जा रही है कि आगामी समय में झारखंड की राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव देखे जा सकते हैं। सोनू ने कहा कि पार्टी संगठन के निर्णय राज्य की राजनीति में संतुलन बनाने के लिए निर्णायक साबित होंगे।

भविष्य की रणनीति और संगठन का दृष्टिकोण

झामुमो ने स्पष्ट किया कि पार्टी बिहार चुनाव में भाग नहीं लेकर अपनी साख और गठबंधन के प्रति सिद्धांतों को बनाए रखना चाहती है। यह निर्णय संगठन और मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार लिया गया है। झामुमो जिलाध्यक्ष संजय सिंह और जिला प्रवक्ता कृष्ण मुरारी शर्मा भी प्रेसवार्ता में उपस्थित थे।

संगठन ने संकेत दिया है कि आगामी दिनों में वह महागठबंधन और अन्य राजनीतिक दलों के क्रियाकलापों का विश्लेषण करेगा और झारखंड के हितों के अनुरूप निर्णय लेगा।

इस घटनाक्रम के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की स्थिति प्रभावित हो सकती है। वहीं झारखंड में राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना जताई जा रही है।

Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.

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