SIR फॉर्म में क्या हुआ खुलासा
रबींद्रनाथ बिश्वास जब अपना SIR फॉर्म देख रहे थे तो उन्हें बड़ा धक्का लगा। फॉर्म में उनके तीन असली बच्चों के अलावा राजू बिश्वास और बिशु बिश्वास नाम के दो और बच्चे दिखाए गए थे। रबींद्रनाथ का कहना है कि वह इन दोनों को जानते तक नहीं हैं। उनके इलाके में इन दोनों का घर भी नहीं है। किसी ने उनका नाम पिता के रूप में दिखाकर फर्जी वोटर बना दिया है।
पांच सदस्यों के परिवार के लिए पांच लोगों का SIR फॉर्म आना था लेकिन BLO सात लोगों का फॉर्म लेकर आया। यह देखकर रबींद्रनाथ हैरान रह गए। उन्होंने तुरंत इस मामले की जांच करवाने और फर्जी नामों को हटाने की मांग की है।
BDO के पास शिकायत दर्ज
रबींद्रनाथ बिश्वास ने गाईघाटा के BDO के पास औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई है। उन्होंने राजू और बिशु के नामों को वोटर लिस्ट से हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि यह साफ फर्जीवाड़ा है और किसी ने जानबूझकर उनके नाम का गलत इस्तेमाल किया है।
रबींद्रनाथ ने अपनी शिकायत में स्पष्ट किया है कि वह राजू और बिशु को बिल्कुल नहीं जानते। ये दोनों लोग उनके इलाके के नहीं हैं और न ही उनसे उनका कोई रिश्ता है। फिर भी इन दोनों ने उन्हें पिता के रूप में दिखाकर वोट डाला है। यह बात बेहद गंभीर है और इसकी पूरी जांच होनी चाहिए।

तृणमूल ने BJP पर साधा निशाना
इस मामले के सामने आने के बाद बनगांव संगठनात्मक जिला युवा तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष सब्यसाची भट्ट ने BJP पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह कैसे हुआ, यह चुनाव आयोग बताएगा। उस इलाके का विधायक BJP का है और पंचायत सदस्य भी BJP का है। वे बताएं कि यह कैसे हुआ।
सब्यसाची भट्ट का आरोप है कि जिस इलाके में यह घटना हुई है, वहां BJP का प्रभाव है। इसलिए यह जिम्मेदारी BJP की बनती है कि वह बताए कि फर्जी वोटर कैसे बनाए गए। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की गहन जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

BJP विधायक ने तृणमूल पर लगाया आरोप
दूसरी ओर बनगांव दक्षिण के BJP विधायक स्वपन मजूमदार ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बंगाल में लंबे समय से तृणमूल सत्ता में है। तृणमूल के दादा लोग विभिन्न कार्यालयों के सामने रहते हैं और उन्होंने पैसे के बदले फर्जी वोट बनवाए थे। अब SIR होने से ये सब पकड़े जा रहे हैं।
स्वपन मजूमदार का कहना है कि यह तृणमूल कांग्रेस की करतूत है। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल के लोगों ने ही रिश्वत लेकर फर्जी वोटर बनाए हैं। SIR फॉर्म की वजह से अब ये सब सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया जारी रहेगी और और भी कई फर्जी वोटर पकड़े जाएंगे।
BDO ने दिया जांच का आश्वासन
इस पूरे मामले पर गाईघाटा के BDO नीलाद्रि सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए जांच का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि शिकायत मिली है और इसकी पूरी जांच की जाएगी। अगर फर्जीवाड़ा साबित होता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
BDO ने यह भी कहा है कि वोटर लिस्ट में किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। रबींद्रनाथ की शिकायत पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
SIR फॉर्म क्या है
SIR यानी Summary of Information of Residents एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो सरकार हर परिवार के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए बनवाती है। इसमें परिवार के सभी सदस्यों की जानकारी होती है। यह फॉर्म विभिन्न सरकारी योजनाओं और वोटर लिस्ट को अपडेट करने में मदद करता है।
इस बार SIR फॉर्म की वजह से कई जगह फर्जी वोटरों का पता चल रहा है। रबींद्रनाथ का मामला भी ऐसा ही है जहां उनके नाम पर फर्जी बच्चों को वोटर बना दिया गया था। यह एक गंभीर मामला है जो चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता पर सवाल उठाता है।
फर्जी वोटर बनाने का खेल
यह मामला बताता है कि किस तरह से फर्जी वोटर बनाए जा रहे हैं। लोग किसी के नाम पर फर्जी रिश्तेदार दिखाकर वोटर बना देते हैं। ऐसे वोटरों का इस्तेमाल चुनाव में धांधली के लिए किया जाता है। यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है।
रबींद्रनाथ के मामले में राजू और बिशु नाम के दो फर्जी बच्चे दिखाए गए। इससे पता चलता है कि यह एक संगठित तरीके से किया गया काम है। किसी ने जानबूझकर इन नामों को जोड़ा है ताकि चुनाव में इनका गलत इस्तेमाल किया जा सके।
राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप
इस मामले पर तृणमूल और BJP में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। तृणमूल का कहना है कि BJP के इलाके में यह हुआ है इसलिए जिम्मेदारी BJP की है। दूसरी ओर BJP का कहना है कि तृणमूल सरकार के समय में यह फर्जीवाड़ा हुआ है।
दोनों ही दल एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं लेकिन असल सवाल यह है कि ऐसा हुआ कैसे। वोटर लिस्ट में फर्जी नाम जोड़ना एक गंभीर अपराध है। इसके लिए जो भी जिम्मेदार हो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
लोकतंत्र के लिए खतरा
फर्जी वोटर बनाना लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है। इससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। जब तक वोटर लिस्ट साफ-सुथरी नहीं होगी तब तक निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद नहीं की जा सकती।
रबींद्रनाथ का मामला इस बात को साबित करता है कि वोटर लिस्ट में कितनी गड़बड़ी है। ऐसे कितने ही फर्जी वोटर होंगे जिनका अभी तक पता नहीं चला है। SIR फॉर्म से कम से कम कुछ फर्जी वोटरों का पता चल रहा है।
जांच की जरूरत
इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए। यह पता लगाना जरूरी है कि राजू और बिशु कौन हैं और उन्होंने रबींद्रनाथ को पिता क्यों दिखाया। क्या यह पैसे के लिए किया गया काम है या किसी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।
साथ ही यह भी देखना होगा कि ऐसे कितने और मामले हैं। क्या सिर्फ रबींद्रनाथ के साथ ही ऐसा हुआ है या और भी लोगों के नाम पर फर्जी वोटर बनाए गए हैं। पूरी वोटर लिस्ट की जांच होनी चाहिए और फर्जी वोटरों को हटाया जाना चाहिए।
यह मामला दिखाता है कि हमारी चुनावी प्रणाली में कितनी खामियां हैं। इन खामियों को दूर करना बेहद जरूरी है ताकि आने वाले चुनाव साफ और पारदर्शी हों।