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Bihar Assembly Election में प्रत्याशियों की आपराधिक कुंडली की जांच में जुटी झारखंड पुलिस, सत्येंद्र साह के बाद अब अन्य उम्मीदवारों पर नजर

Bihar Election Candidates Criminal Record
Bihar Election Candidates Criminal Record - झारखंड पुलिस की सतर्कता, चुनाव में निष्पक्षता सुनिश्चित (FIle Photo)
अक्टूबर 25, 2025

चुनावी तैयारी में कड़ी नजर

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच, झारखंड पुलिस ने अपने पड़ोसी राज्य में सक्रिय अपराधियों की जानकारी जुटाने का कार्य तेज कर दिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी अपराधी का प्रवेश न हो और निर्वाचन निष्पक्ष रूप से संपन्न हो।

राज्य ब्यूरो, रांची के अनुसार, झारखंड पुलिस ने विशेष रूप से उन उम्मीदवारों पर ध्यान केंद्रित किया है जिनके खिलाफ पुराने और गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। गढ़वा जिले में हुए डकैती कांड के फरार अभियुक्त और राजद के सासाराम विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी सत्येंद्र साह को गिरफ्तार कर इस अभियान की शुरुआत की गई।

सत्येंद्र साह की गिरफ्तारी का मामला

सत्येंद्र साह ने महागठबंधन के प्रतिनिधि के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। नामांकन के ठीक बाद झारखंड पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी 21 वर्ष पुराने अपराध के मामले में हुई।

झारखंड पुलिस के आईजी अभियान, डॉ. माइकल राज एस., ने बिहार की सीमा से सटे जिलों के पुलिस अधीक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि बिहार में सक्रिय झारखंड के वारंटियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए और जेल भेजा जाए। इसके तहत पुलिस ने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की पूरी जाँच शुरू की।

प्रत्याशियों के हलफनामे से भी जानकारी

झारखंड पुलिस न केवल पुराने मामले बल्कि उम्मीदवारों के हलफनामों की भी समीक्षा कर रही है। उम्मीदवारों द्वारा दाखिल हलफनामे में दिए गए आपराधिक विवरण, गुप्तचर रिपोर्ट और खुफिया सूचनाओं का विश्लेषण किया जा रहा है।

भारत निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी चुनावी प्रक्रिया में शामिल प्रत्याशी का आपराधिक इतिहास जाँचना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया में पुलिस यह निर्धारित करती है कि कौन से प्रत्याशी के विरुद्ध किन थानों में प्राथमिकी दर्ज है और उसकी अद्यतन स्थिति क्या है।

झारखंड और बिहार पुलिस का सहयोग

इस विशेष अभियान में बिहार और झारखंड पुलिस के बीच समन्वय स्थापित किया गया है। दोनों राज्यों की पुलिस एक-दूसरे को ताजा रिपोर्ट उपलब्ध करा रही है ताकि चुनाव के दौरान किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से न केवल कानून का शासन मजबूत होगा बल्कि आम जनता का विश्वास भी चुनाव प्रक्रिया में बढ़ेगा। चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए ऐसे कदम आवश्यक हैं।

जांच प्रक्रिया में शामिल पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह अभियान केवल अपराधियों की पहचान तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य संभावित उम्मीदवारों को कानून का भय दिखाना और उन्हें अपराध से दूर रखना भी है।

अभियान का असर उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों पर भी पड़ रहा है। अधिकांश दलों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है और आश्वस्त किया है कि वे अपने प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड की जाँच में सहयोग करेंगे।

चुनाव आयोग और पुलिस की यह सतर्कता चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। आम मतदाता भी इस प्रक्रिया के प्रति जागरूक हो रहे हैं और अपने मत का सही प्रयोग करने के लिए सजग हैं।

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