अंडर-19 एशिया कप के फाइनल मुकाबले के बाद एक नया विवाद सामने आया है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भारतीय खिलाड़ियों पर भड़काने वाले व्यवहार का आरोप लगाया है और इस मामले को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के सामने उठाने का फैसला किया है। दुबई में रविवार को खेले गए इस फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को 191 रनों से हराया था, लेकिन मैदान पर हुई कुछ घटनाओं ने इस जीत पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मैच के दौरान हुई अप्रिय घटनाएं
अंडर-19 एशिया कप के फाइनल मुकाबले में दोनों टीमों के खिलाड़ियों के बीच कई बार मौखिक झड़पें देखी गईं। जो बात सबसे ज्यादा चर्चा में रही वह यह थी कि मैच से पहले और बाद में दोनों टीमों ने पारंपरिक हाथ मिलाने से इनकार कर दिया। यह घटना क्रिकेट की भावना के खिलाफ मानी जा रही है, जहां खेल भावना को सबसे ऊपर रखा जाता है।
मैच के दौरान कई मौकों पर खिलाड़ियों को एक-दूसरे से बहस करते हुए देखा गया। यह दृश्य टेलीविजन कैमरों में कैद हो गए, जिससे दर्शकों और क्रिकेट प्रेमियों के बीच नाराजगी फैल गई। युवा क्रिकेट में ऐसे व्यवहार को लेकर हमेशा से सख्त रवैया अपनाया जाता रहा है क्योंकि इस उम्र में खिलाड़ियों को सही मूल्य सिखाना जरूरी होता है।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का बयान
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष मोहसिन नकवी ने इस मामले पर गंभीरता से प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान औपचारिक रूप से ICC को भारतीय टीम के व्यवहार के बारे में सूचित करेगा। नकवी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा आयोजित एक स्वागत समारोह में यह बयान दिया।
नकवी ने कहा, “अंडर-19 एशिया कप के फाइनल के दौरान भारतीय खिलाड़ी पाकिस्तानी खिलाड़ियों को लगातार भड़का रहे थे। पाकिस्तान इस घटना के बारे में ICC को औपचारिक रूप से सूचित करेगा। राजनीति और खेल को हमेशा अलग रखना चाहिए।”
यह बयान साफ करता है कि पाकिस्तान इस मामले को हल्के में नहीं ले रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे उठाना चाहता है।
सरफराज अहमद की आलोचना
पाकिस्तान टीम के सलाहकार और पूर्व कप्तान सरफराज अहमद ने भी भारतीय खिलाड़ियों के व्यवहार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वह भारतीय खिलाड़ियों के रवैये से निराश हैं।
सरफराज ने आरोप लगाते हुए कहा, “भारतीय खिलाड़ियों का व्यवहार और रवैया अच्छा नहीं था और अनुचित था।” एक अनुभवी खिलाड़ी की तरफ से यह टिप्पणी इस मामले की गंभीरता को दर्शाती है।
ICC की क्या होगी भूमिका
अगर पाकिस्तान औपचारिक शिकायत दर्ज करता है, तो ICC को इस मामले की जांच करनी होगी। हालांकि, ICC मैच रेफरी की रिपोर्ट पर निर्भर रहेगा जो मैच के दौरान मौजूद था। मैच रेफरी की रिपोर्ट के आधार पर ही ICC कोई कार्रवाई करने का फैसला करेगा।
यह ध्यान देने योग्य है कि ICC के पास खिलाड़ियों के व्यवहार को लेकर सख्त नियम हैं। अगर कोई खिलाड़ी आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो उस पर जुर्माना या निलंबन भी लगाया जा सकता है। युवा क्रिकेट में ऐसे मामलों को और भी गंभीरता से लिया जाता है।
भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंध
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंध काफी खराब हैं। इस साल अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद रिश्तों में और तनाव आया है। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी।
भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सभी द्विपक्षीय खेल गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि, बहु-राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को छूट दी गई है। सरकार का तर्क है कि ओलंपिक चार्टर राजनीतिक आधार पर भेदभाव को मना करता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेना जरूरी है।
खेल और राजनीति का मिश्रण
इस पूरे मामले में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या खेल को राजनीति से अलग रखा जा रहा है। दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव का असर क्रिकेट के मैदान पर भी दिख रहा है। युवा खिलाड़ी, जो अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं, इस माहौल से प्रभावित हो रहे हैं।
क्रिकेट के जानकार मानते हैं कि खेल का मैदान राजनीतिक मुद्दों को सुलझाने की जगह नहीं है। युवा खिलाड़ियों को सिखाया जाना चाहिए कि मैदान पर केवल क्रिकेट खेलना है, न कि किसी अन्य एजेंडे को आगे बढ़ाना।
क्रिकेट की भावना पर सवाल
क्रिकेट को सज्जनों का खेल कहा जाता है। इस खेल में खेल भावना को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। मैच से पहले और बाद में हाथ मिलाना इसी भावना का प्रतीक है। जब दोनों टीमों ने यह परंपरा नहीं निभाई, तो इससे क्रिकेट के मूल्यों पर सवाल उठे।
विशेषज्ञों का मानना है कि अंडर-19 स्तर पर ऐसा व्यवहार चिंताजनक है। इस उम्र में खिलाड़ी अपने रोल मॉडल से सीखते हैं। अगर उन्हें गलत संदेश मिलेगा, तो भविष्य में भी ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं।
आगे क्या होगा
अब सभी की नजरें ICC पर हैं कि वह इस मामले को कैसे संभालती है। अगर पाकिस्तान औपचारिक शिकायत दर्ज करता है, तो ICC को निष्पक्ष जांच करनी होगी। मैच रेफरी की रिपोर्ट इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
दूसरी ओर, भारतीय क्रिकेट बोर्ड से भी इस मामले पर स्पष्टीकरण की उम्मीद है। अभी तक BCCI की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि खेल को राजनीति से ऊपर रखना कितना जरूरी है। युवा खिलाड़ियों को सही मार्गदर्शन देना और उन्हें खेल की असली भावना सिखाना हर क्रिकेट बोर्ड की जिम्मेदारी है। उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी और क्रिकेट अपनी सज्जनता बनाए रखेगा।