चेन्नई में बुधवार को भारतीय जूनियर हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया। टीम ने जूनियर विश्व कप में 9 साल के लंबे इंतजार को खत्म करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया। तीसरे स्थान के मुकाबले में भारत ने अर्जेंटीना को 4-2 से शिकस्त दी। यह जीत इसलिए भी खास रही क्योंकि भारत ने 0-2 से पिछड़ने के बाद शानदार वापसी की।
भारत का आखिरी पदक 2016 में लखनऊ में आया था। उसके बाद से टीम लगातार चौथे स्थान पर रही। लेकिन इस बार टीम ने अपनी मेहनत और जुझारू भावना से यह उपलब्धि हासिल की। चेन्नई के मेयर राधाकृष्णन स्टेडियम में खेले गए इस मैच में दर्शकों ने भी टीम का जोरदार समर्थन किया।
मैच का रोमांचक सफर
मैच की शुरुआत अर्जेंटीना के लिए शानदार रही। पहले ही 2 मिनट में निकोलस रोड्रिगेज ने गोल दागकर अर्जेंटीना को बढ़त दिला दी। भारतीय खिलाड़ी इस झटके से उबरने की कोशिश कर रहे थे। पहले क्वार्टर में भारत को कुछ मौके मिले लेकिन वे उन्हें गोल में नहीं बदल सके।
दूसरे और तीसरे क्वार्टर में भी अर्जेंटीना का दबदबा बना रहा। भारतीय टीम को चार पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन कोई भी गोल में तब्दील नहीं हो सका। 43वें मिनट में सैंटियागो फर्नांडीज ने दूसरा गोल दागकर भारत की मुश्किलें बढ़ा दीं। अब स्कोर 0-2 हो गया था।
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आखिरी क्वार्टर में हुआ कमाल
चौथे क्वार्टर में भारतीय टीम ने जो किया वो किसी चमत्कार से कम नहीं था। 48वें मिनट में अंकित पाल ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदला। यह गोल टीम के लिए नई ऊर्जा लेकर आया। खिलाड़ियों के चेहरे पर विश्वास दिखने लगा।
इसके सिर्फ तीन मिनट बाद 51वें मिनट में मनमीत सिंह ने एक और पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदल दिया। अब स्कोर 2-2 हो गया था। स्टेडियम में मौजूद दर्शक जोश से चीख रहे थे। भारतीय खिलाड़ी अब पूरी ताकत से खेल रहे थे।
56वें मिनट में भारत को पेनल्टी स्ट्रोक मिला। श्रद्धा नंद तिवारी ने इस मौके को गंवाया नहीं और गोल दागकर भारत को 3-2 की बढ़त दिला दी। अब जीत नजदीक दिख रही थी। लेकिन टीम ने यहीं नहीं रुकी।
अगले ही मिनट यानी 57वें मिनट में अनमोल एक्का ने एक और पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदल दिया। अब स्कोर 4-2 हो गया था। अर्जेंटीना के खिलाड़ी हैरान थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ।
खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन
इस मैच में भारतीय टीम के हर खिलाड़ी ने अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाई। अंकित पाल ने पहला गोल दागकर टीम में जान फूंकी। मनमीत सिंह ने बराबरी का गोल करके विश्वास बढ़ाया। श्रद्धा नंद तिवारी ने बढ़त दिलाई और अनमोल एक्का ने जीत पक्की की।
गोलकीपर ने भी शानदार प्रदर्शन किया। आखिरी मिनटों में अर्जेंटीना के कई हमलों को विफल किया। डिफेंस लाइन मजबूत रही। मिडफील्डरों ने गेंद पर नियंत्रण बनाए रखा। यह सामूहिक प्रयास की जीत थी।
सेमीफाइनल की हार से सबक
इस जीत से पहले भारतीय टीम को सेमीफाइनल में जर्मनी से हार का सामना करना पड़ा था। उस मैच में टीम फाइनल में पहुंचने से चूक गई। लेकिन खिलाड़ियों ने हार से सीख ली। उन्होंने अपनी गलतियों को सुधारा।
कोचिंग स्टाफ ने भी टीम को मानसिक रूप से तैयार किया। खिलाड़ियों को समझाया गया कि कांस्य पदक भी बड़ी उपलब्धि है। इस सकारात्मक सोच का नतीजा सामने आया।
9 साल का इंतजार खत्म
भारत ने आखिरी बार 2016 में लखनऊ में जूनियर विश्व कप में पदक जीता था। उसके बाद टीम लगातार चौथे स्थान पर रही। 2021 में भी टीम चौथे स्थान पर रही थी। यह लगातार चौथे स्थान का सिलसिला टूटना जरूरी था।
इस बार टीम ने वो कर दिखाया। 9 साल का लंबा इंतजार खत्म हुआ। यह भारतीय हॉकी के लिए बड़ी उपलब्धि है। इससे युवा खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
टूर्नामेंट में भारत की यात्रा
इस टूर्नामेंट में भारत ने शुरुआत से अच्छा प्रदर्शन किया। ग्रुप मैचों में टीम ने दमदार खेल दिखाया। क्वार्टर फाइनल में भी जीत मिली। सेमीफाइनल में हार के बावजूद टीम ने हिम्मत नहीं हारी।
कोच और सपोर्ट स्टाफ ने खिलाड़ियों को लगातार प्रेरित किया। खिलाड़ियों ने मेहनत और समर्पण से खेला। यह सामूहिक प्रयास का नतीजा था।
भविष्य के लिए उम्मीद
यह जीत भारतीय हॉकी के भविष्य के लिए अच्छा संकेत है। ये युवा खिलाड़ी आगे चलकर सीनियर टीम में भी चमक सकते हैं। इस पदक से उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
हॉकी इंडिया ने इस जीत की सराहना की है। सरकार ने भी टीम को बधाई दी है। इस प्रदर्शन से देश में हॉकी को बढ़ावा मिलेगा। युवा इस खेल की ओर आकर्षित होंगे।
चेन्नई में हुई इस जीत को लंबे समय तक याद रखा जाएगा। यह सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि भारतीय जूनियर हॉकी की वापसी है। टीम ने साबित किया कि मुश्किल हालात में भी जीत हासिल की जा सकती है।