शशि थरूर का तीखा वक्तव्य: “यह सरासर अन्याय है
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (पीटीआई)।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने भारतीय बल्लेबाज़ सरफ़राज़ ख़ान के इंडिया ए टीम में चयन न होने पर गहरा रोष व्यक्त किया है। उन्होंने चयनकर्ताओं की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि “घरेलू क्रिकेट में अर्जित रनों का मूल्य समझना चाहिए, न कि केवल आईपीएल में चमकने वाले खिलाड़ियों को प्राथमिकता देनी चाहिए।”
थरूर, जो स्वयं एक प्रखर क्रिकेट प्रेमी माने जाते हैं, ने अपने सामाजिक मंच ‘एक्स (X)’ पर पोस्ट कर लिखा –
“यह सचमुच आक्रोशजनक है। सरफ़राज़ ख़ान का प्रथम श्रेणी औसत 65 से अधिक है। उन्होंने टेस्ट पदार्पण पर अर्धशतक बनाया, एक मैच में 150 रन ठोके, इंग्लैंड दौरे पर अभ्यास मैच में शतक जमाया – फिर भी चयनकर्ताओं की नज़र उनसे क्यों हट गई?”
घरेलू क्रिकेट बनाम आईपीएल: थरूर का दो टूक मत
थरूर ने यह भी कहा कि चयनकर्ताओं का ध्यान केवल संभावित खिलाड़ियों पर केंद्रित है, जबकि सिद्ध प्रतिभाओं को जल्दी ही भुला दिया जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अजिंक्य रहाणे, पृथ्वी शॉ और करुण नायर जैसे खिलाड़ियों ने रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया है, परंतु उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार हैं।
थरूर का कहना था —
“हमारे चयनकर्ता प्रमाणित खिलाड़ियों को दरकिनार कर ‘संभावना’ पर दांव लगाते हैं। घरेलू क्रिकेट में निरंतर प्रदर्शन करने वालों को नज़रअंदाज़ करना क्रिकेट के मूल्यों के साथ अन्याय है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि रणजी ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में बनाए गए रन मायने नहीं रखेंगे, तो खिलाड़ी क्यों मेहनत करें? यह न केवल खिलाड़ियों की मेहनत का अपमान है बल्कि भारतीय क्रिकेट प्रणाली की नींव को भी कमजोर करता है।
राजनीतिक रंग भी चढ़ा विवाद पर
सरफ़राज़ ख़ान के चयन से जुड़ा यह विवाद केवल खेल के दायरे में नहीं रहा। कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद ने सोशल मीडिया पर प्रश्न उठाया कि “क्या सरफ़राज़ को उनके उपनाम (surname) के कारण नजरअंदाज़ किया गया?”
यह बयान सामने आते ही यह मामला राजनीतिक रंग ले बैठा। भाजपा के कुछ प्रवक्ताओं ने कांग्रेस पर “धर्म आधारित राजनीति” करने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस ने इसे “समान अवसर के लिए उठाई आवाज़” बताया।
थरूर ने हालांकि इस बहस में धर्म का मुद्दा नहीं उठाया, बल्कि उन्होंने चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए।
सरफ़राज़ की यात्रा: संघर्ष और प्रतिभा की कहानी
28 वर्षीय सरफ़राज़ ख़ान ने अपने क्रिकेट जीवन की शुरुआत मुंबई से की। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में औसत 65+ बनाए रखा। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ राजकोट टेस्ट में शानदार 150 रन बनाए थे।
उनकी बल्लेबाज़ी तकनीक, शॉट सिलेक्शन और मानसिक मजबूती ने उन्हें युवा पीढ़ी में विशिष्ट पहचान दिलाई। फिर भी उन्हें इंडिया ए टीम में जगह न मिलने से क्रिकेट प्रेमियों में निराशा व्याप्त है।
सवाल: क्या चयन प्रक्रिया में सुधार की ज़रूरत है?
थरूर के वक्तव्य के बाद एक बार फिर भारतीय क्रिकेट चयन प्रणाली पर बहस शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू प्रदर्शन को नज़रअंदाज़ कर आईपीएल आधारित चयन करना “अन्यायपूर्ण” है।
भूतपूर्व क्रिकेटर भी इस मत से सहमत हैं कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता आवश्यक है। भारत में क्रिकेट केवल खेल नहीं बल्कि भावना है — ऐसे में योग्य खिलाड़ियों को अवसर न मिलना, एक गहरी चिंता का विषय है।
सम्मान और निष्पक्षता की पुकार
शशि थरूर का यह बयान केवल एक खिलाड़ी के पक्ष में नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट प्रणाली के आत्ममंथन का आह्वान है।
उन्होंने स्पष्ट कहा —
“घरेलू क्रिकेट का सम्मान होगा, तभी भारतीय क्रिकेट की जड़ें मज़बूत रहेंगी।”
यह विवाद एक बड़े प्रश्न को जन्म देता है — क्या भारत में चयन वास्तव में ‘प्रतिभा’ पर आधारित है, या फिर ‘चर्चा’ पर?
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।