Vinesh Phogat: भारतीय खेल इतिहास में ऐसे बहुत कम क्षण देखे गए हैं जब किसी खिलाड़ी की असफलता भी उतनी ही चर्चा में रही हो, जितनी कि उनकी जीत। विनेश फोगाट का पेरिस ओलंपिक 2024 भी कुछ ऐसा ही अध्याय था। वह पदक जीतने के बेहद करीब थीं, पर मात्र कुछ सौ ग्राम वजन के कारण उन्हें फाइनल से बाहर कर दिया गया। उस पल में टूटा सिर्फ एक सपना नहीं था, बल्कि कई वर्षों का तप, त्याग और उम्मीदें भी थीं।
सबको यही लगा था कि विनेश शायद फिर कभी मैट पर लौटना नहीं चाहेंगी। लेकिन आज, जब उन्होंने एक बार फिर अपनी वापसी का ऐलान किया है, तो न केवल खेल प्रेमियों बल्कि हर उस व्यक्ति में उम्मीद जागी है जो हार के बाद दोबारा खड़े होने की ताकत को समझता है।
मैट से दूरी, पर खेल से नहीं टूटा रिश्ता
विनेश फोगाट ने अपने एक्स अकाउंट पर जिस भावुक अंदाज़ में वापसी की घोषणा की, वह किसी भी खिलाड़ी के भीतर छिपे संघर्ष का सीधा आईना है। उन्होंने लिखा कि पेरिस के बाद वह थक चुकी थीं—मैट से, दबाव से, अपेक्षाओं से… यहाँ तक कि अपने ही सपनों से।
उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें खुद को सांस लेने की जरूरत थी। वर्षों बाद पहली बार उन्होंने खुद को पीछे हटकर देखने का मौका दिया—यह समझने का कि यात्रा कितनी भारी थी और कितनी दूर तक वह अकेली चलती रहीं। लेकिन इसी खामोशी में उन्हें एहसास हुआ कि इस खेल के प्रति उनका प्रेम आज भी उतना ही जीवित है।
मां बनने के बाद नई प्रेरणा—सबसे बड़ी ताकत बना बेटा
उनके बयान की सबसे खूबसूरत पंक्तियों में से एक वह थी, जहाँ उन्होंने लिखा— “इस बार मैं अकेली नहीं चल रही हूं, मेरा बेटा मेरी टीम में शामिल हो रहा है।”
खेलों की दुनिया में हमने कई बार देखा है कि मातृत्व महिलाओं को और भी दृढ़, साहसी और संतुलित बनाता है। विनेश के लिए उनका बेटा सिर्फ प्रेरणा नहीं, बल्कि वह ऊर्जा है जिसने उन्हें दोबारा मैट पर लौटने का साहस दिया है।
— Vinesh Phogat (@Phogat_Vinesh) December 12, 2025
पेरिस ओलंपिक 2024: वह दिन जिसने सब बदल दिया
पेरिस ओलंपिक में विनेश ने एक ही दिन में तीन मुकाबले जीतकर फाइनल में जगह बना ली थी। पूरा देश उनकी जीत की प्रतीक्षा कर रहा था। लेकिन फाइनल से ठीक पहले एक अप्रत्याशित खबर आई—विनेश का वजन निर्धारित सीमा से थोड़ा अधिक था।
नियमों के अनुसार, ओवरवेट खिलाड़ी फाइनल में नहीं उतर सकते। भारत ने अपील की, खेल पंचाट तक मामला गया, लेकिन फैसला नहीं बदला। यह भारतीय खेल इतिहास के सबसे दर्दनाक क्षणों में से एक था।
सोचिए, वर्षों की तैयारी, पसीना, त्याग—सब केवल कुछ सौ ग्राम की वजह से खत्म हो गया। और शायद इसी वजह से उनकी वापसी और भी खास बन जाती है। वे हार से नहीं रुकीं, आलोचनाओं से नहीं टूटीं, बल्कि उन्होंने खुद को समय देकर अपने अंदर की आग को फिर से जगाया।
LA28: एक नया लक्ष्य, एक नई यात्रा
विनेश फोगाट अब लॉस एंजेलिस ओलंपिक 2028 की तैयारी में जुटने जा रही हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा— “आग कभी खत्म नहीं होती, बस थकान और शोर के नीचे दब जाती है।” LA28 उनकी तीसरी पारी नहीं, बल्कि नए जीवन की शुरुआत है। इस बार उनके साथ उनका बेटा, उनका परिवार और लाखों भारतीय प्रशंसकों की उम्मीदें होंगी।