हरमनप्रीत कौर की भारतीय टीम ने रचा इतिहास
नवी मुंबई की सोमवार सुबह भारतीय महिला क्रिकेट के लिए स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गई। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका को हराकर महिला एकदिवसीय विश्व कप 2025 का खिताब जीत लिया। यह जीत केवल एक टूर्नामेंट का परिणाम नहीं, बल्कि उन वर्षों की मेहनत, अपमान और संघर्ष का उत्तर थी जो भारतीय महिला क्रिकेटरों ने झेला था।
अपमान से सम्मान तक का सफर
2005 और 2017 में भारत की हार ने महिला क्रिकेटरों के दिलों में जो घाव छोड़े थे, वह आज भरे हैं। झूलन गोस्वामी, मिताली राज और अंजुम चोपड़ा जैसी पूर्व खिलाड़ियों ने इस जीत को अपनी भावनाओं का सैलाब कहा। पूर्व बल्लेबाज पुनम राऊत ने याद किया कि 2017 के फाइनल हारने के बाद लोगों ने कैसे ताने मारे थे –
“तुमने क्या कर लिया? कुछ जीता है क्या? लड़कियां क्रिकेट खेल सकती हैं क्या?”
यह सवाल हर उस लड़की के लिए चुभन थे, जिसने बल्ला उठाया था और सपना देखा था कि एक दिन दुनिया को दिखा सके कि ‘लड़कियां भी खेल सकती हैं।’
पुनम राऊत की भावनाएं और पुरानी चोटें
पुनम राऊत ने कहा, “जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया, तब मुझे बहुत ताने सुनने पड़े। लड़के मजाक उड़ाते थे कि लड़कियां क्रिकेट नहीं खेल सकतीं। मैं गुस्से में थी, पर उस समय कुछ कह नहीं पाई। आज यह जीत उसी दर्द का जवाब है।”
उन्होंने कहा कि यह जीत केवल हरमनप्रीत, स्मृति मंधाना, शेफाली वर्मा या जेमिमा रोड्रिग्स की नहीं, बल्कि उन सभी महिलाओं की है जिन्होंने भारतीय क्रिकेट की नींव रखी जब कोई उम्मीद नहीं थी।
हरमनप्रीत कौर का बयान – “क्रिकेट सिर्फ जेंटलमैन का खेल नहीं”
विजय के बाद भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“क्रिकेट सिर्फ जेंटलमैन का खेल नहीं, यह सबका खेल है।”
उनकी यह पंक्ति पूरे देश में गूंज उठी। पुनम राऊत ने कहा, “हरमन ने जो कहा, वही हर महिला क्रिकेटर का सपना था। हम 2017 में भी उसी सोच के साथ खेले थे कि हर उस लड़की के लिए जीतें, जिसके माता-पिता उसे खेलने नहीं देते। आज उस सोच को पहचान मिली है।”
2017 की हार का दर्द और अब मिली राहत
राऊत ने कहा, “2017 में हम केवल 9 रन से हार गए थे। वह हार हमारे दिल में जख्म की तरह रही। सालों तक सोचती रही कि काश वो 9 रन बन जाते। आज हरमनप्रीत ने वह सपना पूरा किया है। अब वह दर्द मिट गया है। यह जीत हर उस हार का जवाब है जिसने हमें मजबूत बनाया।”
भारतीय महिला क्रिकेट का नया अध्याय
यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि एक नई मानसिकता का प्रतीक है। अब किसी को यह कहने का अधिकार नहीं कि “लड़कियां क्रिकेट नहीं खेल सकतीं”। यह टीम न केवल खेल जीती है, बल्कि समाज में सोच की दिशा भी बदली है।
भारत में महिला क्रिकेट के लिए यह वह क्षण है, जब बेटियों ने न केवल मैदान पर बल्कि इतिहास में भी अपना नाम दर्ज कर दिया।
दिन का सारांश
हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने महिला विश्व कप 2025 जीतकर इतिहास रच दिया। वर्षों से झेले गए तानों, उपेक्षाओं और सवालों का जवाब इस जीत ने दिया। यह विजय केवल एक टीम की नहीं, बल्कि हर उस भारतीय लड़की की है जो अपने सपनों के लिए लड़ी।