भारत में जीवनशैली तेजी से बदल रही है। लोग सुबह से शाम तक कुर्सी पर बैठे रहते हैं, कंप्यूटर स्क्रीन पर झुके काम करते हैं और रात को फोन स्क्रीन देखते-देखते नींद में डूब जाते हैं। ऐसे में रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है, कमर दर्द बढ़ता है और धीरे-धीरे शरीर अपना बैलेंस खोने लगता है। यह समस्या सिर्फ बुजुर्गों में ही नहीं, बल्कि 18 से 35 वर्ष के युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि कमर दर्द का सबसे बड़ा कारण कमजोर कोर मांसपेशियां, खराब पॉस्चर और लगातार बैठने की आदत है। इससे बचाव के लिए योग प्रभावी समाधान बनकर सामने आता है। यह न केवल पीठ के दर्द को दूर करता है, बल्कि रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाकर शरीर को बुढ़ापे तक स्वस्थ रखता है।
योग केवल आसन नहीं, बल्कि ऊर्जा, लचीलापन और स्थिरता देने वाली एक वैज्ञानिक तकनीक है। खासतौर पर वे योगासन जो कोर मसल्स को मजबूत करते हैं, बैक मांसपेशियों की स्ट्रेंथ बढ़ाते हैं और रीढ़ को सीधा रखते हैं, कमर दर्द को मिनटों में दूर करने की क्षमता रखते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही पांच योगासन, जो रोजाना करने से रीढ़ की मजबूती और कोर स्ट्रेंथ को बेहद लाभ मिलता है।
योग कैसे कमर दर्द और कोर की कमजोरी को ठीक करता है
योग शरीर की जकड़ी हुई मांसपेशियों को खोलता है, खिंचाव देता है और मांसपेशियों में रक्त संचार बढ़ाता है। जब पीठ और पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, तो कोर स्थिर होता है जिससे कमर पर लोड कम पड़ता है और दर्द जड़ से खत्म होने लगता है। यह अभ्यास न के बराबर उपकरणों के साथ घर पर भी किया जा सकता है, और नियमित अभ्यास से शरीर का पॉस्चर सुधरने लगता है।

बालासन रीढ़ को आराम देने वाला शांतिदायक आसन
बालासन एक आरामदायक मुद्रा है जो रीढ़ और कोर दोनों को रिलैक्स करती है। इस आसन में वज्रासन की मुद्रा में बैठकर शरीर को आगे झुकाया जाता है और हाथों को सामने फैलाया जाता है। माथा जमीन से लगते ही शरीर से तनाव बाहर निकलने लगता है। यह आसन उन लोगों के लिए बेहद आवश्यक है जो लंबे समय तक लैपटॉप पर झुके रहते हैं। मानसिक तनाव, गर्दन और निचली कमर के दर्द को कम करने में इसका बड़ा प्रभाव देखा गया है। इससे रीढ़ के निचले हिस्से में जमा टेंशन रिलीज होती है, जिससे पूरे बैक को राहत मिलती है।

भुजंगासन ऊपरी पीठ और पेट को मजबूत करने वाला आसन
भुजंगासन को योग में बैक ओपनर माना जाता है। यह रीढ़ की लचीलापन बढ़ाकर पीठ की जकड़न दूर करता है। पेट के बल लेटकर हाथों के सहारे धीरे-धीरे छाती को उठाने से ऊपरी पीठ सक्रिय होती है और कोर मसल्स टोन होती हैं। यह आसन उन लोगों के लिए उपयोगी माना जाता है जिन्हें गर्दन, कंधे और कंधों के बीच दर्द रहता है। नियमित अभ्यास से शरीर में गर्मी बढ़ती है जिससे एनर्जी लेवल बढ़ता है।

नौकासन कोर स्ट्रेंथ बढ़ाने का सबसे प्रभावी तरीका
नौकासन को विशेष रूप से कोर मजबूत करने के लिए जाना जाता है। इस आसन में शरीर नाव जैसी स्थिति में आकर पेट, जांघों और पीठ पर एक साथ काम करता है। पीठ के बल लेटकर पैरों और सिर को उठाना और बैलेंस बनाए रखना मांसपेशियों पर गहरा प्रभाव डालता है। यह आसन न सिर्फ पेट की चर्बी कम करता है बल्कि रीढ़ की मजबूती और बैलेंस भी बढ़ाता है। जो लोग दिनभर थकान और सुस्ती महसूस करते हैं, उन्हें इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।

शलभासन स्लिप डिस्क जैसी समस्याओं में भी लाभकारी
शलभासन विशेष रूप से निचली पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने में असरदार माना जाता है। पेट के बल लेटकर दोनों पैरों और छाती को धीरे-धीरे ऊपर उठाने से पीठ की गहराई तक असर पहुंचता है। यह आसन बैठे-बैठे काम करने वाले लोगों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है, क्योंकि उनकी रीढ़ पर दबाव लगातार बढ़ता है। इसे करने से रीढ़ के आसपास की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं और स्लिप डिस्क जैसी समस्याएं कम होती हैं। कई योग विशेषज्ञ इसे रीढ़ को सुदृढ़ बनाने का प्राकृतिक उपाय मानते हैं।

बिटिलासन और मार्जरासन रीढ़ को लचीला और तनाव मुक्त बनाते हैं
बिटिलासन अक्सर मार्जरासन के साथ किया जाता है जिससे रीढ़ की लचीलापन बढ़ती है। घुटनों और हथेलियों के सहारे जमीन पर झुककर कमर को नीचे और गर्दन को ऊपर उठाते समय रीढ़ को खिंचाव मिलता है। इसके बाद मार्जरासन में कमर को ऊपर की ओर गोल कर खींचा जाता है। यह संयोजन कोर मसल्स को हल्का दबाव और स्ट्रेच देकर उन्हें सक्रिय करता है। इससे पीठ की अकड़न टूटती है और शरीर हल्का महसूस होता है।

सेतुबंधासन कमर और हिप्स की मजबूती के लिए लाभदायक
सेतुबंधासन में पीठ के बल लेटकर कंधों को जमीन से टिकाकर कमर और हिप्स को उठाया जाता है। यह न सिर्फ कोर मसल्स को टोन करता है, बल्कि रीढ़ की मजबूती को भी बढ़ाता है। इस आसन से कमर के निचले हिस्से में रक्त संचार बढ़ता है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। आधुनिक जीवनशैली में यह आसन शरीर के ढीलेपन को खत्म कर स्ट्रेंथ बढ़ाता है। इसे शरीर की एनर्जी फ्लो बढ़ाने का भी माध्यम माना जाता है।