रात में हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ जाता है
दुनिया भर में दिल की बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं और हार्ट अटैक इन बीमारियों का सबसे आम एवं खतरनाक कारण है। अधिकतर लोग मानते हैं कि हार्ट अटैक एक अचानक आने वाली बीमारी है, लेकिन यह दिल की कार्यप्रणाली में लंबे समय तक होने वाले बदलावों और जीवनशैली के कारण होता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि हार्ट अटैक दिनभर की तुलना में रात के समय ज्यादा जोखिमपूर्ण माना जाता है। कई शोधों के अनुसार, आधी रात से लेकर सुबह के शुरुआती घंटों तक लगभग बीस प्रतिशत हार्ट अटैक के मामले सामने आते हैं।
रात में खतरा इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि शरीर की विभिन्न क्रियाएं धीमी गति से काम करने लगती हैं। लोग आराम की स्थिति में होते हैं और अक्सर लक्षणों को साधारण मानकर अनदेखा कर देते हैं। यही अनदेखी उन्हें गंभीर स्थितियों तक पहुंचा सकती है। सबसे जरूरी बात है कि हम यह समझें कि रात में हार्ट अटैक आने पर शरीर कौन से संकेत देता है और किन परिस्थितियों में सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
यह भी देखें: रात में हार्ट अटैक को पहचानने के संकेत
नींद के दौरान हार्ट अटैक के लक्षण कई बार सामान्य समस्याओं की तरह लगते हैं। जैसे नींद खुलना, सीने में हल्का दर्द, बेचैनी या अचानक पसीना आना। लेकिन इन संकेतों का यदि सही समय पर ध्यान न दिया जाए तो स्थिति जानलेवा हो सकती है। कई लोग इन संकेतों को गैस या तनाव मानकर नजरअंदाज कर देते हैं और इसी दौरान खतरा बढ़ता जाता है। इसलिए महत्वपूर्ण है कि रात के समय शरीर के छोटे से छोटे बदलाव को भी हल्के में न लिया जाए।
रात में हार्ट अटैक के मुख्य कारण
पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम में बदलाव
सोते समय शरीर आराम की स्थिति में होता है, जहां पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय रहता है। यह शरीर की मांसपेशियों को शांत रखता है और हृदय की धड़कन सामान्य बनाए रखता है। यदि अचानक हार्ट अटैक की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है, जिससे दिल पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। यह अचानक हुआ परिवर्तन हृदय के लिए झटका साबित हो सकता है।
ब्लड प्रेशर में अचानक उतार-चढ़ाव
रात में सामान्यतः रक्तचाप कम हो जाता है, लेकिन सुबह के शुरुआती घंटों में यह तेजी से बढ़ता है जिससे दिल पर तनाव बढ़ जाता है। इसी कारण सुबह और रात को हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है। यह उतार-चढ़ाव हृदय की नसों पर दबाव डालता है जिससे रक्त प्रवाह सही गति से नहीं हो पाता।
स्लीप एप्निया से बढ़ता जोखिम
स्लीप एप्निया एक ऐसी नींद संबंधी समस्या है जिसमें सांस अचानक रुक-रुक कर चलती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है और दिल को काम करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ऑक्सीजन की कमी के कारण हृदय की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और अचानक हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
मानसिक तनाव का असर
दिनभर का तनाव, चिंता और थकान केवल मानसिक बोझ नहीं है, बल्कि यह शरीर को भी नुकसान पहुंचाती है। कई लोग दिन में ज्यादा दौड़भाग करते हैं और रात में उनका शरीर शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक थकान से जूझता रहता है। यही तनाव रात में दिल पर दबाव डालता है और जोखिम बढ़ा देता है।
रात के समय दिखने वाले हार्ट अटैक के लक्षण
सीने में दबाव और बेचैनी महसूस होना
यह हार्ट अटैक का सबसे प्रमुख लक्षण है। रात में यह दर्द जलन, कसाव या भारीपन जैसा महसूस हो सकता है। यह दर्द सिर्फ सीने में न होकर बाईं भुजा, कंधे, गर्दन या जबड़े तक फैल सकता है।
अचानक पसीना आना
बिना किसी शारीरिक मेहनत के अत्यधिक पसीना आना एक गंभीर चेतावनी है। यदि आप ठंडे चिपचिपे पसीने में भीगे हुए महसूस करें तो इसे अनदेखा न करें। यह दिल में रक्त प्रवाह में अचानक आई समस्या का संकेत हो सकता है।
चक्कर, उल्टी या जी घबराना
रात में अचानक चक्कर आना, कमजोरी, जी मिचलाना या उल्टी जैसा महसूस होना भी हृदय के ठीक से काम न करने का संकेत है। यह इसलिए होता है क्योंकि दिल शरीर के अन्य अंगों में पर्याप्त रक्त नहीं भेज पाता, जिससे दिमाग भी प्रभावित होता है।
सांस लेने में तकलीफ
यदि सोते समय अचानक सांस फूलने लगे, दम घुटने जैसा लगे या पर्याप्त हवा न मिल पाने की तकलीफ हो, तो यह खतरनाक संकेत है। फेफड़ों में रक्त का सही प्रवाह न होने पर सांस लेने में दिक्कत बढ़ सकती है।
दिल की धड़कन तेज या अनियमित होना
यदि नींद के दौरान दिल की धड़कन अनियमित हो जाए या अत्यधिक तेज महसूस हो तो यह दिल के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। ऐसे में जांच बेहद जरूरी है।
कैसे करें बचाव
रात में सोने से पहले तनाव कम करें, भारी भोजन न करें, नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं और यदि कोई पहले से हृदय रोग से पीड़ित है तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार जीवनशैली अपनाएं और दवाएं समय पर लें। सावधानी से जीवन बचाया जा सकता है।