आधार सत्यापन में आया बड़ा बदलाव
देश में पहचान प्रमाण के रूप में आधार कार्ड का इस्तेमाल हर जगह होता है। चाहे होटल में कमरा बुक करना हो, किसी कार्यक्रम में प्रवेश लेना हो, या फिर सोसायटी के गेट पर एंट्री करनी हो, हर जगह आधार कार्ड मांगा जाता है। लेकिन अब तक जो तरीका अपनाया जा रहा था, वह पूरी तरह सुरक्षित नहीं था। लोग अपने आधार कार्ड की फोटोकॉपी देते थे, जिससे उनकी निजी जानकारी जैसे नाम, पता और 12 अंकों का आधार नंबर किसी के भी पास रह जाता था। इससे पहचान की चोरी और डेटा के गलत इस्तेमाल का खतरा बना रहता था।
इस समस्या को देखते हुए यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी यूआईडीएआई ने एक नया सिस्टम शुरू किया है। इस नए सिस्टम का नाम है आधार ऑफलाइन वेरिफिकेशन। इस प्रक्रिया में अब आपको अपनी आधार कार्ड की फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं होगी। इसकी जगह आप एक सुरक्षित क्यूआर कोड या डिजिटल फाइल के जरिए अपनी पहचान साबित कर सकते हैं।
क्यों जरूरी था यह बदलाव
आधार कार्ड की फोटोकॉपी देना हमेशा से जोखिम भरा रहा है। जब आप किसी होटल, इवेंट या किसी अन्य जगह पर अपनी फोटोकॉपी देते हैं, तो आपकी पूरी जानकारी वहां के रिकॉर्ड में सेव हो जाती है। कई बार ये कागजात सही तरीके से नष्ट नहीं किए जाते और गलत हाथों में पहुंच जाते हैं। इससे आपकी पहचान का गलत इस्तेमाल हो सकता है, जैसे फर्जी दस्तावेज बनाना, लोन लेना या अन्य धोखाधड़ी करना।
यूआईडीएआई ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और एक ऐसा सिस्टम बनाया जो पूरी तरह सुरक्षित, तेज और आपकी निजता को बचाने वाला है। इस नई प्रक्रिया में आपको अपना पूरा आधार नंबर या कार्ड की कॉपी किसी के साथ साझा नहीं करनी होती। सिर्फ एक डिजिटल रूप से साइन की हुई फाइल या सुरक्षित क्यूआर कोड दिखाना होता है।
नया आधार ऐप कैसे डाउनलोड करें
इस नई सुविधा का फायदा उठाने के लिए सबसे पहले आपको यूआईडीएआई का आधिकारिक ऐप अपने फोन में डालना होगा। यह प्रक्रिया बेहद आसान है।
सबसे पहले अपने मोबाइल में गूगल प्ले स्टोर या एपल ऐप स्टोर खोलें। वहां जाकर यूआईडीएआई के आधिकारिक आधार ऐप को खोजें। ऐप को डाउनलोड करके इंस्टॉल कर लें। जब आप पहली बार ऐप खोलेंगे, तो आपसे भाषा चुनने के लिए कहा जाएगा। अपनी सुविधा के अनुसार भाषा चुनने के बाद रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू होगी।
रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया
रजिस्ट्रेशन के दौरान आपको अपने आधार कार्ड पर छपे 12 अंकों का नंबर सही तरीके से दर्ज करना होगा। जैसे ही आप नंबर डालेंगे, यूआईडीएआई आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजेगा। यह ओटीपी आपको ऐप में डालना होगा। यह कदम इसलिए जरूरी है ताकि यह पुष्टि हो सके कि आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर आपके पास ही है।
ओटीपी वेरिफिकेशन के बाद ऐप आपसे लाइव फेस स्कैन करने के लिए कहेगा। यह बहुत अहम कदम है। इसमें आपके चेहरे को यूआईडीएआई के रिकॉर्ड में मौजूद फोटो से मिलाया जाएगा। यह सुरक्षा की एक मजबूत परत है जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई दूसरा व्यक्ति आपका आधार नंबर या ओटीपी जानकर भी आपका प्रोफाइल सेट नहीं कर सकता।
फेस ऑथेंटिकेशन सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद आपको छह अंकों का एक पिन बनाना होगा। यह पिन आपके आधार प्रोफाइल की सुरक्षा के लिए मुख्य चाबी की तरह काम करेगा। आप चाहें तो अपने फोन की बायोमेट्रिक सुविधा जैसे फिंगरप्रिंट या फेस अनलॉक भी एक्टिव कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि ऐप सेटअप के दौरान फेस मैचिंग जरूरी ही रहेगी।
सभी परमिशन और जरूरी स्टेप्स को पूरा करने के बाद रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खत्म हो जाती है। अब आप ऐप में अपना डिजिटल आधार देख सकते हैं और इसे अपने पिन या बायोमेट्रिक से अनलॉक कर सकते हैं।
ऑफलाइन सत्यापन कैसे होता है
जब भी आपको किसी जगह पर आधार दिखाने की जरूरत हो, तो अब आपको बस ऐप खोलना होगा। ऐप में अपना डिजिटल आधार या डायनामिक क्यूआर कोड दिखाना होगा। सेवा प्रदाता इस क्यूआर कोड को स्कैन करेगा और केवल वही जानकारी देख पाएगा जो आप उस समय साझा करना चाहते हैं।
इस तरीके से आपको कोई फोटोकॉपी नहीं देनी होगी। आपके डेटा के लीक होने की चिंता भी नहीं रहेगी। सिर्फ जरूरी जानकारी ही साझा होगी, जो पूरी तरह सुरक्षित रहेगी।
ऑफलाइन वेरिफिकेशन का तकनीकी पहलू
आधार ऑफलाइन वेरिफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आप अपनी पहचान बिना फोटोकॉपी या आधार नंबर दिए सत्यापित करा सकते हैं। यूआईडीएआई के नियमों के मुताबिक अब क्यूआर कोड या आधार पेपरलेस ऑफलाइन ई-केवाईसी यानी एक्सएमएल फाइल का इस्तेमाल किया जाता है।
इस क्यूआर कोड में यूआईडीएआई के डिजिटल हस्ताक्षर के साथ आपका नाम, पता, जन्मतिथि, फोटो जैसी जानकारी शामिल होती है। जब कोई सेवा प्रदाता इस कोड को स्कैन करता है, तो वह सिर्फ उतनी ही जानकारी देख पाता है जितनी जरूरी है। यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल रूप से सुरक्षित है और इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती।
यह सिस्टम क्यों है बेहतर
पुराने तरीके में आधार कार्ड की फोटोकॉपी देना पड़ता था, जो कागज के रूप में कहीं भी रखी जा सकती थी। इससे जानकारी के गलत इस्तेमाल का खतरा हमेशा बना रहता था। नए सिस्टम में डिजिटल फाइल या क्यूआर कोड का इस्तेमाल होता है, जो हर बार नया बनाया जा सकता है।
यह सिस्टम पूरी तरह प्राइवेसी फ्रेंडली है। आप खुद तय कर सकते हैं कि किस जानकारी को किसके साथ साझा करना है। इसमें डेटा लीक होने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है। साथ ही यह प्रक्रिया तेज भी है, क्योंकि स्कैन करते ही सत्यापन हो जाता है।
सुरक्षा और निजता को मिलेगी मजबूती
यूआईडीएआई ने यह कदम लोगों की निजता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया है। आज के समय में साइबर धोखाधड़ी और पहचान की चोरी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह नया सिस्टम एक मजबूत सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा।
अब लोगों को अपनी जानकारी किसी के पास छोड़ने की चिंता नहीं रहेगी। डिजिटल सत्यापन से हर लेनदेन पारदर्शी और सुरक्षित होगा। यह कदम डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम है।
आम लोगों के लिए फायदे
यह नई सुविधा खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो रोजाना यात्रा करते हैं, होटल में ठहरते हैं, या कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। अब उन्हें अपने आधार की फोटोकॉपी हर जगह देने की जरूरत नहीं होगी। बस अपने फोन में ऐप खोलकर क्यूआर कोड दिखाना होगा।
यह प्रक्रिया पर्यावरण के लिए भी अच्छी है, क्योंकि अब कागज की बचत होगी। डिजिटल सत्यापन से समय की भी बचत होगी और काम तेजी से होंगे।
आधार ऑफलाइन वेरिफिकेशन एक बेहतरीन पहल है जो पहचान सत्यापन को सुरक्षित, तेज और आसान बनाती है। यह सिस्टम लोगों की निजता की रक्षा करता है और डेटा चोरी के खतरे को खत्म करता है। सभी नागरिकों को इस नई सुविधा का लाभ उठाना चाहिए और अपनी पहचान को सुरक्षित रखने में यूआईडीएआई के इस प्रयास को सफल बनाना चाहिए।