जानलेवा बन रहा वायु प्रदूषण
नई दिल्ली। आधुनिक जीवन शैली और औद्योगिकीकरण के चलते वायु प्रदूषण अब केवल एक पर्यावरणीय चिंता नहीं रह गया है, बल्कि यह सीधे स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डालने वाला प्रमुख कारक बन चुका है। नई “स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2025” रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या हर साल लाखों तक पहुँच रही है। यह सिर्फ फेफड़ों की बीमारियों का कारण नहीं है, बल्कि हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य गंभीर गैर-संचारी रोगों का भी मुख्य स्रोत बन गया है।
वायु प्रदूषण कैसे बनता है मौत का कारण?
सूक्ष्म कण और उनका प्रभाव
वायु प्रदूषण विभिन्न प्रदूषक तत्वों का मिश्रण है, जिनमें PM2.5, ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड प्रमुख हैं। इनमें PM2.5 सबसे घातक है। यह कण इतना सूक्ष्म होता है कि फेफड़ों की गहरी वायु कोशिकाओं तक प्रवेश कर जाता है, जिससे फेफड़ों में जलन और सूजन पैदा होती है।
हृदय और रक्त वाहिकाओं पर असर
फेफड़ों में सूजन के संकेत रक्तप्रवाह में पहुंचते हैं और पूरे शरीर में सूजन बढ़ जाती है। इससे धमनी पट्टिकाएं अस्थिर हो सकती हैं, जिससे दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम
दीर्घकालिक रूप से प्रदूषण के संपर्क में रहने से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), फेफड़ों का कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां जन्म लेती हैं, जो समय से पहले मृत्यु का कारण बनती हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और कई लॉन्ग टर्म अध्ययन बताते हैं कि प्रदूषण से होने वाली अधिकांश मौतें इस्केमिक हृदय रोग और स्ट्रोक के कारण होती हैं। इसके बाद COPD, निचले श्वसन संक्रमण और फेफड़ों का कैंसर प्रमुख हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण से जुड़ा जोखिम कम करना आवश्यक है, अन्यथा आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य संकट और गंभीर होगा।
वायु प्रदूषण से सुरक्षा के उपाय
व्यक्तिगत और घरेलू उपाय
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स्वच्छ ईंधन या कुशल चूल्हे का उपयोग करें।
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घर के अंदर कचरा जलाने से बचें और रसोई को हवादार रखें।
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AQI अधिक होने पर बाहर कम समय बिताएँ।
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N95 या FFP2 मास्क का सही उपयोग करें।
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HEPA फिल्टर वाले एयर क्लीनर का प्रयोग करें।
वृद्ध और रोगी व्यक्तियों के लिए सुझाव
बुजुर्गों और हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों को अपनी दवाइयाँ नियमित लेना चाहिए और अचानक स्वास्थ्य लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
सरकार और नीतिगत कार्रवाई की आवश्यकता
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए केवल व्यक्तिगत उपाय पर्याप्त नहीं हैं। स्वच्छ ऊर्जा, यातायात नियंत्रण और औद्योगिक नियमों जैसी नीतिगत कार्रवाई अनिवार्य है। केवल तभी वायु प्रदूषण के कारण होने वाली अकाल मौतों में वास्तविक कमी लाई जा सकती है।
2025 की रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि वायु प्रदूषण दुनिया भर में जानलेवा कारकों में शीर्ष पर है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में सुधार हो रहा है, लेकिन कुल बोझ अभी भी बहुत बड़ा है। घरेलू उपायों के साथ-साथ नीतिगत प्रयास ही इस संकट से निपटने का सुरक्षित मार्ग हैं।