अरुणाचल प्रदेश की संप्रभुता पर हमला: चीन द्वारा भारतीय नागरिक पर अवैध हिरासत का कड़ा विरोध

Arunachal China Controversy: अरुणाचल प्रदेश की संप्रभुता पर चीन का विवाद और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा
Arunachal China Controversy: अरुणाचल प्रदेश की संप्रभुता पर चीन का विवाद और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा (Image Source: X)
चीन के शंघाई हवाई अड्डे पर अरुणाचल प्रदेश की नागरिक प्रेमा वांग थोंगडोक को भारतीय पासपोर्ट अवैध कहकर 18 घंटे तक हिरासत में रखा गया। भारत ने इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताते हुए कड़ा विरोध किया और अरुणाचल प्रदेश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाए।
नवम्बर 24, 2025

घटना का संक्षिप्त परिचय

अरुणाचल प्रदेश की निवासी प्रेमा वांग थोंगडोक के साथ 21 नवंबर 2025 को शंघाई पुडोंग अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुई घटना ने भारत और चीन के बीच तनाव को फिर से उभार दिया। ब्रिटेन में रह रही प्रेमा जापान जा रही थीं, लेकिन ट्रांजिट के दौरान चीनी अधिकारियों ने उनके भारतीय पासपोर्ट को अवैध घोषित करते हुए करीब 18 घंटे तक हिरासत में रखा।

चीनी अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई

प्रेमा के अनुसार, चीनी अधिकारियों ने बार-बार यह दावा किया कि उनका जन्मस्थान अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है। इसके कारण उनका पासपोर्ट अवैध करार दिया गया और उन्हें जापान की कनेक्टिंग फ्लाइट में चढ़ने की अनुमति नहीं दी गई। इस दौरान उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।

चीन की कार्रवाई पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद भारत ने चीन को कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है। सरकार ने स्पष्ट किया कि किसी भारतीय नागरिक को उनके पासपोर्ट के आधार पर रोका जाना न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन भी है। विदेश मंत्रालय ने बीजिंग और नई दिल्ली में दोनों स्तरों पर कड़े विरोध दर्ज कराए।

महिला यात्रियों की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मानक

विशेषज्ञों ने कहा कि प्रेमा वांग थोंगडोक के साथ हुई घटना यह दर्शाती है कि विदेशी हवाई अड्डों पर भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नियमों के अनुसार किसी भी यात्री को उनके पासपोर्ट के आधार पर रोका नहीं जा सकता। इस घटना ने वैश्विक स्तर पर नियमों के पालन पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया।

अरुणाचल प्रदेश के लोगों का सामाजिक और भावनात्मक प्रभाव

अरुणाचल प्रदेश की जनता और भारतभर के नागरिकों ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की। सोशल मीडिया पर प्रेमा का समर्थन करते हुए लोग इसे भारत की संप्रभुता पर हमला मान रहे हैं। यह मामला न केवल एक नागरिक की सुरक्षा, बल्कि पूरे राज्य और देश के गौरव से जुड़ा हुआ महसूस किया गया।

अंतरराष्ट्रीय ध्यान और कूटनीतिक पहल

इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी ध्यान आकर्षित किया। भारत ने इस मुद्दे को वैश्विक मीडिया और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से उठाया। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से भारत को अपनी नागरिक सुरक्षा और संप्रभुता के प्रति कड़े कदम उठाने की आवश्यकता और भी स्पष्ट हो गई है।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

इस घटना के तुरंत बाद भारत सरकार ने बीजिंग और नई दिल्ली में कड़ा विरोध दर्ज कराया। भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अरुणाचल प्रदेश निर्विवाद रूप से भारत का अभिन्न अंग है और इसके निवासी पूर्ण अधिकार के साथ भारतीय पासपोर्ट रखते हैं। भारत ने चीनी अधिकारियों के कृत्य को अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नियमों का उल्लंघन बताते हुए शिकागो और मॉन्ट्रियल कन्वेंशन का हवाला दिया।

भारतीय कौंसुलेट की भूमिका

शंघाई स्थित भारतीय कौंसुलेट ने प्रेमा को तत्काल सहायता प्रदान की। कौंसुलेट के अधिकारियों ने देर रात उन्हें अन्य फ्लाइट से सुरक्षित भारत या जापान भेजने की व्यवस्था की। प्रेमा ने इसके बाद प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर घटना की गंभीरता का विवरण दिया।

अंतरराष्ट्रीय कानूनी पहलू

विशेषज्ञों का कहना है कि चीन द्वारा किसी भारतीय नागरिक के पासपोर्ट को अवैध घोषित करना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नियमों के अनुसार किसी भी यात्री को उनके देश का पासपोर्ट दिखाने पर यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए।

शंघाई हवाई अड्डे पर भारतीय नागरिक की अवैध हिरासत

21 नवंबर 2025 को शंघाई पुडोंग अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रेमा वांग थोंगडोक को भारतीय पासपोर्ट के आधार पर अवैध घोषित कर हिरासत में लिया गया। चीन ने बार-बार यह दावा किया कि उनका जन्मस्थान अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है। इस वजह से प्रेमा जापान की कनेक्टिंग फ्लाइट में चढ़ नहीं पाईं और लगभग 18 घंटे तक प्रताड़ित रही।

भारत सरकार की कड़ी चेतावनी

भारत सरकार ने इस घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और चीन को स्पष्ट किया कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। भारत ने यह भी कहा कि किसी भारतीय नागरिक को उनके पासपोर्ट के आधार पर रोका जाना अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। चीन को शिकागो और मॉन्ट्रियल कन्वेंशन का हवाला देते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया गया।

अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नियमों का उल्लंघन

विशेषज्ञों का कहना है कि किसी यात्री के पासपोर्ट को अवैध घोषित करना अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नियमों का सीधा उल्लंघन है। इस प्रकार के कृत्य से न केवल नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी तनाव पैदा होता है। भारत ने इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप किया और प्रेमा की सुरक्षा सुनिश्चित की।

सोशल मीडिया और जनसमर्थन

प्रेमा के समर्थन में सोशल मीडिया पर व्यापक प्रतिक्रियाएं देखने को मिली। लोग इसे भारत की संप्रभुता और नागरिक अधिकारों पर हमला मानते हुए चीन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इस घटना ने राष्ट्रीय गर्व और नागरिक सुरक्षा की महत्ता पर देशव्यापी चर्चा को जन्म दिया।

सामाजिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण

अरुणाचल प्रदेश की जनता ने सोशल मीडिया पर प्रेमा का समर्थन किया। विभिन्न प्लेटफार्मों पर यह मामला भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बन गया। इस प्रकार की घटनाओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर भी ध्यान केंद्रित किया।

भविष्य के दृष्टिकोण

विशेषज्ञों का कहना है कि इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए सशक्त कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही सीमा विवाद और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए नीति में और अधिक कड़े उपायों की आवश्यकता है।

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