बीसीसीएल आईपीओ से पहले ईडी की कार्रवाई ने बढ़ाई हलचल
ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई व्यापक कार्रवाई ने कोयला उद्योग और शेयर बाजार निवेशकों दोनों में चिंता बढ़ा दी है। भारत कोकिंग कोल लिमिटेड यानी BCCL, जो कि कोल इंडिया की एक महत्वपूर्ण सहायक कंपनी है, अपने संभावित आईपीओ की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी थी। इसी बीच ईडी ने झारखंड और पश्चिम बंगाल के 40 अलग अलग ठिकानों पर छापेमारी कर इस घटनाक्रम को एक नए मोड़ पर ला दिया।
ये रेड मुख्य रूप से बीसीसीएल से जुड़े एक प्रमुख ठेकेदार एलबी सिंह और उनके कारोबारी नेटवर्क पर केंद्रित थी। उन पर आउटसोर्सिंग कॉन्ट्रैक्ट, अवैध कोयला व्यापार और मनी लॉन्ड्रिंग के संगठित नेटवर्क का हिस्सा होने का संदेह है। ईडी को आशंका है कि बीसीसीएल के ठेकेदारों और व्यापारिक साझेदारों के माध्यम से अवैध रूप से कोयले की बिक्री और अनुचित लेनदेन किए गए हैं, जिससे करोड़ों रुपये का काला धन बनाया गया होगा।
छापेमारी में मिले डिजिटल दस्तावेज और संदिग्ध लेनदेन
ईडी की टीमों ने शुक्रवार सुबह अचानक कई ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई शुरू की। देव विला स्थित एलबी सिंह के आवास और उनकी देव प्रभा कंपनी के कार्यालय सहित कई व्यापारिक साझेदारों के स्थलों से महत्वपूर्ण वित्तीय और डिजिटल दस्तावेज जमा किए गए। सूत्रों के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, बैंक लेनदेन की फाइलें, अनुबंध से संबंधित दस्तावेज और संदिग्ध बहीखातों को जब्त कर उनकी जांच शुरू की गई है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, सुबह ही भारी सुरक्षाबलों के साथ ईडी अधिकारियों का पहुंचना किसी बड़े ऑपरेशन की ओर संकेत कर रहा था। शुरुआती जांच के बाद ईडी ने किसी गिरफ्तारी की पुष्टि तो नहीं की लेकिन उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की संभावना जताई गई है।
बीसीसीएल पहले भी विवादों के घेरे में रही है
यह पहला मौका नहीं है कि बीसीसीएल चर्चा में आई हो। इस सरकारी कंपनी का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। 2018 में केंद्र सरकार ने तत्कालीन CMD अजय कुमार सिंह को पद से अचानक हटा दिया था। कोयला मंत्रालय के आदेश ने उस समय उद्योग जगत को चौंका दिया था।
इसके बाद कई चरणों में कॉन्ट्रैक्ट आवंटन, खनन अधिकार और टेंडर प्रक्रियाओं पर सवाल उठते रहे। बीसीसीएल की कार्यप्रणाली लंबे समय से पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों से घिरी रही है, जो अब ईडी की कार्रवाई के बाद एक बार फिर चर्चा में आए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार ने पहले ही उठाए थे सवाल
जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीएल की टेंडर प्रक्रिया पर कड़ी टिप्पणी की थी। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कंपनी के एक फैसले को मनमाना, अवैध और भेदभावपूर्ण बताया था। कोर्ट ने कहा था कि सरकारी निकायों को सार्वजनिक हित में पारदर्शी होना चाहिए, विशेष रूप से तब जब करोड़ों का मेगा प्रोजेक्ट दांव पर हो।
यह टिप्पणी बंसीधर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड बनाम बीसीसीएल मामले में आई थी। कोर्ट ने साफ कहा था कि अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किसी भी सरकारी संस्था को जवाबदेह बनाता है। इस फैसले ने बीसीसीएल के संचालन पर पहले ही एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया था।
क्या आईपीओ प्रभावित होगा निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा
बीसीसीएल के संभावित आईपीओ को लेकर बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि ईडी की बड़ी छापेमारी कंपनी के वैल्यूएशन और निवेशकों के भरोसे को प्रभावित कर सकती है। किसी भी सरकारी कंपनी का आईपीओ तभी सफल होता है जब उसकी वित्तीय साख पारदर्शी और विवादमुक्त हो।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी कार्रवाई आईपीओ की टाइमलाइन, प्राइसिंग और निवेशकों की रुचि को सीधा प्रभावित कर सकती है। हालांकि, सरकार और कंपनी प्रबंधन की प्रतिक्रिया फिलहाल सामने नहीं आई। उद्योग जगत इस मामले में आगे की जांच रिपोर्ट और ठोस निष्कर्षों का इंतजार कर रहा है।
बीसीसीएल के लिए चुनौतीभरा समय आगे की जांच तय करेगी दिशा
ईडी की कार्रवाई के बाद बीसीसीएल के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है। जहां एक ओर आईपीओ की तैयारी एक महत्वपूर्ण कदम है, वहीं दूसरी ओर पुराने विवाद और ताजा रेड कंपनी की विश्वसनीयता पर असर डाल सकते हैं। अगर जांच में कॉन्ट्रैक्ट और लेनदेन में गड़बड़ी साबित होती है, तो यह बीसीसीएल के लिए न केवल कानूनी बल्कि वित्तीय संकट की भी शुरुआत हो सकती है।
निवेशक और उद्योग जगत अब इस मामले में आने वाले दिनों में ईडी की रिपोर्ट पर निगाहें रखे हुए हैं।