केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में होने वाली अगली जनगणना के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने जनगणना 2027 के लिए 11,718 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे दी है। यह जनगणना देश के इतिहास में पहली बार पूरी तरह से डिजिटल तरीके से होगी। नई दिल्ली में आज मीडिया को जानकारी देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की घोषणा की।
मंत्री ने बताया कि जनगणना 2027 को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहला चरण और दूसरा चरण मिलकर इस बड़े काम को अंजाम देंगे। यह भारत की 16वीं जनगणना होगी और आजादी के बाद से यह आठवीं जनगणना होगी। भारत की जनगणना को दुनिया का सबसे बड़ा प्रशासनिक और सांख्यिकीय काम माना जाता है।
जनगणना 2027 की खास बातें
जाति गणना भी होगी शामिल
इस बार की जनगणना में एक बड़ा बदलाव यह होगा कि इसमें जाति गणना भी शामिल की जाएगी। यह फैसला काफी समय से चर्चा में था और अब सरकार ने इसे जनगणना का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया है। जाति गणना से देश में विभिन्न जातियों की सही संख्या का पता चल सकेगा।
पहली बार होगी डिजिटल जनगणना
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह देश की पहली पूर्ण डिजिटल जनगणना होगी। इसके लिए मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग किया जाएगा। यह एप्लीकेशन एंड्रॉयड और आईओएस दोनों में उपलब्ध होगी। इससे जनगणना का काम और आसान हो जाएगा और गलतियों की संभावना भी कम होगी।
30 लाख कर्मचारी करेंगे काम
इस बड़े काम को पूरा करने के लिए करीब 30 लाख फील्ड कर्मचारी लगाए जाएंगे। ये कर्मचारी घर-घर जाकर जानकारी इकट्ठा करेंगे। मोबाइल एप्लीकेशन की मदद से वे सीधे डेटा दर्ज कर सकेंगे।
कैसे होगी जनगणना
जनगणना 2027 में देश की पूरी आबादी को शामिल किया जाएगा। इस प्रक्रिया में हर घर में जाकर जानकारी ली जाएगी। घरों की सूची बनाने और आवास जनगणना के लिए अलग प्रश्नावली होगी। साथ ही जनसंख्या गणना के लिए भी अलग फॉर्म होगा।
कर्मचारी हर घर का दरवाजा खटखटाएंगे और परिवार के सदस्यों से सवाल पूछेंगे। इस बार कागज की जगह मोबाइल फोन पर सारी जानकारी भरी जाएगी। इससे डेटा सुरक्षित रहेगा और उसे जल्दी जांचा जा सकेगा।
कोयला नीति में सुधार
मंत्री ने यह भी घोषणा की कि मंत्रिमंडल ने कोयला लिंकेज नीति में सुधार को मंजूरी दी है। इसका नाम कोलसेतु है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
कोलसेतु नीति क्या है
इस नीति के तहत लंबे समय के लिए कोयला आवंटन नीलामी के आधार पर होगा। इसका उपयोग किसी भी औद्योगिक काम और निर्यात के लिए किया जा सकेगा। 2016 की गैर-नियमित क्षेत्र लिंकेज नीलामी नीति में एक अलग खिड़की जोड़ी गई है। इसमें कोई भी घरेलू खरीदार जिसे कोयले की जरूरत है, वह लिंकेज नीलामी में हिस्सा ले सकता है।
यह नीति उद्योगों को कोयले की आपूर्ति आसान बनाएगी। साथ ही यह भारत को कोयले के मामले में दूसरे देशों पर कम निर्भर बनाएगी। देश में कोयले का उत्पादन बढ़ेगा और उद्योगों को सस्ता कोयला मिल सकेगा।
खोपरा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य
मंत्रिमंडल ने 2026 सीजन के लिए खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी मंजूरी दी है। किसानों को उचित दाम देने के लिए सरकार ने 2018-19 के बजट में घोषणा की थी कि सभी अनिवार्य फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना पर तय किया जाएगा।
किसानों को फायदा
खोपरा यानी सूखे नारियल की गिरी नारियल उत्पादक किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होने से किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिल सकेगा। वे बाजार में कम कीमत की चिंता किए बिना अपनी उपज बेच सकेंगे।
यह कदम खासकर दक्षिण भारत और तटीय इलाकों के किसानों के लिए राहत भरा है। नारियल की खेती करने वाले किसानों की आय बढ़ेगी और उन्हें अपनी मेहनत का सही फल मिलेगा।
जनगणना का महत्व
जनगणना किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी होती है। इससे सरकार को योजनाएं बनाने में मदद मिलती है। जनसंख्या, शिक्षा, रोजगार, आवास जैसी जानकारी से नीतियां बनाई जाती हैं। संसाधनों का बंटवारा भी जनगणना के आंकड़ों से तय होता है।
डिजिटल जनगणना से काम तेज होगा और आंकड़े ज्यादा सही होंगे। जाति गणना से समाज के विभिन्न वर्गों की स्थिति का सही अनुमान लगाया जा सकेगा। इससे सामाजिक न्याय की योजनाएं बनाने में आसानी होगी।
सरकार के ये तीनों फैसले देश के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। जनगणना से डेटा मिलेगा, कोयला नीति से उद्योग मजबूत होंगे और किसानों को उचित मूल्य मिलेगा। ये सभी कदम मिलकर देश को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाने में मदद करेंगे।