भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई का भूटान दौरा: न्यायपालिका की भूमिका पर दिया प्रेरक संदेश
भूटान की राजधानी थिम्फू में भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने “संवैधानिक शासन को सुदृढ़ करने में न्यायपालिका की भूमिका” विषय पर एक सारगर्भित भाषण देकर दोनों देशों के न्यायिक संबंधों में नई ऊर्जा का संचार किया। यह भाषण उन्होंने रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के परिसर में आयोजित जिग्मे सिंगये वांगचुक (JSW) स्कूल ऑफ लॉ के एक विशेष कार्यक्रम में दिया।
न्यायपालिका और संविधान पर गवई का दृष्टिकोण
अपने संबोधन में न्यायमूर्ति गवई ने भूटान के संविधान की गहराई से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भूटान का संविधान केवल शासन की रूपरेखा नहीं, बल्कि जनता के कल्याण, शांति और “सकल राष्ट्रीय खुशी” (Gross National Happiness) को मार्गदर्शित करने वाला जीवंत दस्तावेज़ है।
उन्होंने कहा, “भूटान का संविधान न्याय को आनंद से, अधिकारों को उत्तरदायित्व से और स्वतंत्रता को सामूहिक उत्कर्ष से जोड़ता है।”
न्यायमूर्ति गवई ने यह भी रेखांकित किया कि लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका केवल विवादों के समाधान तक सीमित नहीं, बल्कि यह संविधान के मूल सिद्धांतों — न्याय, समानता और स्वतंत्रता — की रक्षा करने वाला स्तंभ भी है।
भूटान के न्यायिक तंत्र की सराहना
मुख्य न्यायाधीश ने भूटान की न्याय प्रणाली की प्रशंसा करते हुए कहा कि भूटान ने न्यायिक पारदर्शिता और न्यायसुलभता को जिस प्रकार अपनाया है, वह अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि भारत और भूटान के बीच साझा सांस्कृतिक और संवैधानिक मूल्यों के कारण दोनों देशों की न्यायपालिकाएँ लोकतंत्र को सशक्त करने में समान रूप से योगदान दे रही हैं।
इस अवसर पर महामहिम राजकुमारी सोनम डेचेन वांगचुक, जो JSW स्कूल ऑफ लॉ की अध्यक्ष भी हैं, भूटान के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ल्योंपो नोरबु त्शेरिंग, सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, संसद सदस्य और विधि संकाय के छात्र भी उपस्थित रहे।
न्यायिक सहयोग और तकनीकी उन्नयन पर चर्चा
भूटान के मुख्य न्यायाधीश के साथ मुलाकात के दौरान न्यायमूर्ति गवई ने न्यायिक सहयोग, न्यायिक प्रशिक्षण, और तकनीकी उन्नयन के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने पर विशेष रूप से चर्चा की।
दोनों देशों के न्यायिक प्रतिनिधियों ने इस बात पर सहमति जताई कि न्याय प्रणाली में आधुनिक तकनीक का समावेश न्याय को तेज, पारदर्शी और सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत और भूटान के बीच न्यायिक शिक्षा के आदान-प्रदान, न्यायिक शोध, और न्यायिक प्रक्रिया में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त पहल की भी संभावना जताई गई।
पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का प्रतीक: पौधारोपण
अपने दौरे के दौरान मुख्य न्यायाधीश गवई ने भूटान के सर्वोच्च न्यायालय परिसर में एक पौधा भी रोपा। यह कार्य भूटान और भारत के साझा पर्यावरणीय संकल्प का प्रतीक रहा। उन्होंने कहा कि “न्याय केवल सामाजिक या संवैधानिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन का भी रक्षक है।”
भूटान, जो विश्व का एकमात्र देश है जो ‘कार्बन निगेटिव’ है, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक आदर्श प्रस्तुत करता है। न्यायमूर्ति गवई ने इस नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि सतत विकास और पर्यावरणीय न्याय, दोनों का संतुलन न्यायपालिका की भविष्य की प्राथमिकताओं में शामिल होना चाहिए।
भारत-भूटान न्यायिक संबंधों में नई ऊर्जा
मुख्य न्यायाधीश का यह चार दिवसीय दौरा भारत-भूटान के न्यायिक संबंधों में एक नई दिशा देने वाला साबित हो रहा है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच न्यायिक सहयोग को और गहरा करने के साथ-साथ, संवैधानिक शासन की साझा भावना को भी मजबूत बनाती है।
यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दक्षिण एशिया में न्यायिक मूल्यों और लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच पारस्परिक विश्वास को भी नई ऊँचाई प्रदान करता है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई का भूटान दौरा भारत की न्यायपालिका की वैश्विक प्रतिबद्धता और उसके संवैधानिक आदर्शों के प्रसार का सशक्त उदाहरण है।
उनका भाषण यह संदेश देता है कि न्याय केवल कानूनी दायरे में सीमित नहीं, बल्कि यह मानवता, पर्यावरण और सामाजिक संतुलन का आधार है।