दिल्ली लाल किले के पास ब्लास्ट केस में बड़ा खुलासा, संगठित आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश
नई दिल्ली, 18 नवंबर – दिल्ली लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट केस में मुंबई पुलिस ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आरोपियों से जुड़े तीन व्यक्तियों को विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार किया है। ये तीनों व्यक्ति अब दिल्ली के लिए भेजे जा चुके हैं जहां उनकी और अधिक पूछताछ की जाएगी। मुंबई पुलिस की विशेष टीम द्वारा गुप्त ऑपरेशन में गिरफ्तार किए गए ये तीनों व्यक्ति फिलहाल पूछताछ के दौर में हैं। सूत्रों के अनुसार, ये सभी आरोपी सोशल मीडिया ऐप्लिकेशन के माध्यम से दिल्ली ब्लास्ट केस के मुख्य आरोपियों के संपर्क में थे।
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार किए गए ये तीनों व्यक्ति डॉक्टर उमर मुहम्मद और डॉक्टर मुजम्मिल जैसे ही अच्छे परिवारों से संबंधित हैं। ये पहलू बिल्कुल नया और चिंताजनक है क्योंकि यह दिखाता है कि आतंकवाद की जड़ें शिक्षित और संपन्न वर्गों में कैसे प्रवेश कर रही हैं। राज्य भर के विभिन्न जिलों में पुलिस द्वारा इसी तरह की जांच की जा रही है।
एनक्रिप्टेड नेटवर्क का खुलासा और गुप्त संचार चैनल
जांचकर्ताओं को दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े इस आतंकी मॉड्यूल के अंदर एक कसकर संगठित नेटवर्क की खोज की है। यह नेटवर्क एनक्रिप्टेड बातचीत और हथियारों की आवाजाही से बना है। मुंबई और दिल्ली पुलिस के संयुक्त प्रयासों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, लाल किले के पास विस्फोट करने वाली आई20 कार के ड्राइवर डॉक्टर उमर मुहम्मद ने लगभग तीन महीने पहले एक एनक्रिप्टेड सिग्नल ग्रुप बनाया था। उन्होंने इस ग्रुप का नाम विशेष चिन्हों से चिह्नित किया ताकि निगरानी से बचा जा सके।
उमर द्वारा इसी सिग्नल चैनल में मुजम्मिल, आदिल राठर, मुजफ्फर राठर और मौलवी इरफान अहमद वाघे को जोड़ा गया था। यह चैनल आंतरिक समन्वय के लिए प्राथमिक केंद्र के रूप में कार्य करता था। यह बेहद संगठित तरीका अपनाया गया ताकि उनके गतिविधियों पर सीधी नजर न आए और सुरक्षा एजेंसियों से बचा जा सके।
हथियारों की खोज और प्रोक्योरमेंट नेटवर्क
जांच में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब डॉक्टर शाहीन शाहिद की कार से एक असॉल्ट राइफल और एक पिस्तौल बरामद की गई। जांचकर्ताओं का विश्वास है कि उमर ने ये हथियार खरीदे थे और 2024 में किसी समय इरफान को सौंपे थे। शाहीन ने पहले मुजम्मिल के साथ इरफान के कमरे का दौरा किया था और इस दौरान उसी हथियार को देखा था।
अक्टूबर 2023 में, आदिल और उमर कश्मीर की एक मस्जिद में इरफान से मिले थे और वे एक थैले में छिपी हुई राइफल ले आए थे। बाद में उन्होंने इसकी बैरल को साफ किया। एक महीने बाद, आदिल फिर से एक राइफल लेकर इरफान के घर पहुंचे। उसी दिन मुजम्मिल और शाहीन भी वहां पहुंचे। हथियार को इरफान के पास रखा गया और अगली सुबह आदिल इसे लेने के लिए वापस आए। इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि यह नेटवर्क कितना व्यवस्थित और सुचिंतित था।
वित्तीय सहायता और भूमिकाओं का विभाजन
जांच में मिले सबूतों से साफ है कि इस आतंकी मॉड्यूल में एक स्पष्ट पदानुक्रम और भूमिकाओं का विभाजन था। वित्तीय समर्थन मुख्य रूप से तीन डॉक्टरों द्वारा संभाला जाता था, जिनमें डॉक्टर मुजम्मिल ने एक केंद्रीय भूमिका निभाई थी। शाहीन को संदेह है कि उसने मॉड्यूल की गतिविधियों को बनाए रखने के लिए आवश्यक धन का सबसे बड़ा हिस्सा प्रदान किया।
कश्मीरी युवाओं की भर्ती का काम मौलवी इरफान द्वारा किया जाता था, जो माना जाता है कि उसने दो गिरफ्तार किए गए भर्तियों को लाया था – आरिफ निसार दार उर्फ साहिल और यासिर उल अशरफ। इस तरह की भूमिका विभाजन यह दर्शाती है कि यह नेटवर्क कितना पेशेवर ढंग से संचालित हो रहा था।
लाल किले के पास विस्फोट और तबाही
दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए इस विस्फोट में कम से कम 13 लोग मारे गए और एक दर्जन से अधिक घायल हुए। यह हमला भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी थी। आई20 कार जो विस्फोट हुई उसमें डॉक्टर उमर मुहम्मद बैठे थे, जो अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं।
फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल का संबंध
यह नेटवर्क फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा हुआ है, जिसका पर्दाफाश 9 नवंबर को हुआ था। पुलिस ने मुजम्मिल के नाम पर किराए पर लिए गए कमरों से 2,900 किलोग्राम विस्फोटक और गोला-बारूद जब्त किया था। मुजम्मिल भी अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ है, जो एक प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान है। इस बात से चिंता और भी गहरी हो जाती है कि शैक्षणिक संस्थानों के भीतर कैसे आतंकवाद के विचार पनाह पा रहे हैं।
संगठित नेटवर्क की कार्यप्रणाली
खोजे गए सबूत एक समन्वित नेटवर्क के संचालन को दर्शाते हैं जो एनक्रिप्टेड प्लेटफॉर्म के माध्यम से काम कर रहा था। इसमें व्यवस्थित धन संग्रहण, लक्षित भर्ती और हथियारों की सावधानीपूर्वक हैंडलिंग शामिल थी। पुलिस के अनुसार, सभी सदस्य अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को समझते थे और उन्हें पूरी दक्षता से निभा रहे थे।
अक्टूबर 2023 में कश्मीर में एक मस्जिद में आदिल और उमर का हथियार लेकर जाना, फिर बाद में दोबारा-तिबारा हथियारों का आदान-प्रदान, और मुजम्मिल तथा शाहीन का इसी स्थान पर पहुंचना – ये सभी घटनाएं दर्शाती हैं कि यह एक पूरी तरह योजनाबद्ध और अत्यंत गुप्त नेटवर्क था।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए चेतावनी
इस खोज से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को एक बड़ी चेतावनी मिली है। यह दिखाता है कि आतंकवाद केवल गरीब और शिक्षा से वंचित लोगों का ही काम नहीं है, बल्कि शिक्षित और संपन्न परिवारों के लोग भी इसमें शामिल हो रहे हैं। विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में इस तरह की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है।
जांच अभी जारी है
पुलिस ने नेटवर्क से जुड़े सभी व्यक्तियों की खोज तेज कर दी है। विभिन्न राज्यों में समान जांचें चल रही हैं। लोगों से अपील की जा रही है कि अगर उन्हें ऐसी किसी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी हो तो वे तुरंत पुलिस को सूचित करें। आने वाले दिनों में इस केस में और महत्वपूर्ण खुलासे हो सकते हैं।