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दिल्ली की हवा में सांस लेना हुआ मुश्किल, प्रदुषण ने तोड़े सभी रिकॉर्ड

Delhi Pollution:दिल्ली की हवा में सांस लेना हुआ मुश्किल
Delhi Pollution:दिल्ली की हवा में सांस लेना हुआ मुश्किल
दिल्ली और एनसीआर में घने कोहरे और स्मॉग के कारण वायु प्रदूषण बेहद खराब स्तर पर पहुंच गया है। कई इलाकों में AQI 400 के पार दर्ज किया गया। खराब हवा ने जनजीवन, स्वास्थ्य और यातायात पर गहरा असर डाला है।
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Delhi Pollution: दिल्ली में शनिवार की सुबह कुछ अलग नहीं, बल्कि पहले से कहीं अधिक परेशान करने वाली साबित हुई। मौसम की ठंडक के साथ घना कोहरा और हवा में घुला ज़हरीला स्मॉग जब एक साथ दिखाई दिया, तो यह साफ संकेत था कि राजधानी की हवा फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ जैसी शिकायतें आम हो गईं। शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 387 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी के अंतिम छोर पर है और ‘गंभीर’ स्तर को छूने के करीब है।

राजधानी की हवा में घुलता संकट

दिल्ली के कई इलाकों में हालात और भी भयावह रहे। वजीरपुर में AQI 443 तक पहुंच गया, जो यह बताने के लिए काफी है कि वहां की हवा स्वास्थ्य के लिए सीधे खतरे की तरह है। जहांगीरपुरी, विवेक विहार, रोहिणी, आनंद विहार और अशोक विहार जैसे इलाकों में AQI 430 के पार दर्ज किया गया। पंजाबी बाग, आईटीओ और डीयू नॉर्थ कैंपस जैसे व्यस्त और शैक्षणिक क्षेत्रों में भी हवा सांस लेने लायक नहीं रही। सुबह के समय घने कोहरे और स्मॉग ने दृश्यता को इतना कम कर दिया कि सड़क पर चलना भी जोखिम भरा लगने लगा।

सप्ताहभर में बदलती रही हवा की चाल

दिल्ली की हवा बीते कुछ दिनों से आंखमिचौली खेल रही है। सप्ताह की शुरुआत में ऐसा लगा था कि हालात थोड़े सुधर रहे हैं। मंगलवार को औसत AQI 282 पर आ गया था, जो ‘खराब’ श्रेणी में माना जाता है। बुधवार को यह और गिरकर 259 तक पहुंचा, लेकिन यह राहत अस्थायी साबित हुई। गुरुवार और शुक्रवार को AQI फिर से बढ़कर क्रमशः 307 और 349 हो गया। शनिवार को यह तेजी से ऊपर चढ़ा और लोगों को एक बार फिर एहसास हुआ कि प्रदूषण की समस्या कितनी जटिल और स्थायी हो चुकी है।

एनसीआर के शहर भी बेहाल

दिल्ली की सीमाओं के बाहर भी स्थिति कुछ बेहतर नहीं रही। गाज़ियाबाद और नोएडा में AQI 422 दर्ज किया गया, जो सीधे ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। गुरुग्राम में AQI 295 और फरीदाबाद में 208 दर्ज हुआ। इसका मतलब यह है कि पूरे एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की चादर एक समान रूप से फैली हुई है। हवा की दिशा और गति कमजोर होने के कारण प्रदूषक कण वातावरण में ही अटके हुए हैं और साफ होने का मौका नहीं मिल पा रहा।

मौसम की भूमिका और प्रदूषण का जाल

सर्दियों के मौसम में तापमान गिरने के साथ हवा की गति धीमी हो जाती है। यही कारण है कि वाहनों का धुआं, निर्माण कार्यों की धूल और आसपास के राज्यों में पराली जलाने से निकला धुआं दिल्ली-एनसीआर में फंस जाता है। ऊपर से कोहरे और नमी के कारण यह प्रदूषण स्मॉग का रूप ले लेता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक तेज़ हवा या बारिश नहीं होती, तब तक इस स्थिति से राहत मिलना मुश्किल है।

हवाई अड्डे पर भी बढ़ी सतर्कता

घने कोहरे और कम दृश्यता का असर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी दिखा। यात्रियों को उड़ानों की स्थिति जांचने की सलाह दी गई। कई उड़ानों में देरी की आशंका बनी रही। सड़क और रेल यातायात पर भी मौसम और प्रदूषण का असर साफ नजर आया, जिससे आम लोगों की दिनचर्या प्रभावित हुई।

सेहत पर पड़ता सीधा असर

लगातार ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी की हवा का असर सबसे पहले बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर पड़ता है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे समय में अनावश्यक बाहर निकलने से बचना चाहिए, मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए और घर के अंदर भी हवा को साफ रखने के उपाय अपनाने चाहिए। आंखों में जलन, सिरदर्द और सांस फूलने जैसी समस्याओं को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है।

समाधान की तलाश और आम आदमी की उम्मीद

हर साल सर्दियों में दिल्ली इसी समस्या से जूझती है। नीतियां बनती हैं, प्रतिबंध लगाए जाते हैं, लेकिन स्थायी समाधान अभी भी दूर लगता है। आम नागरिक की उम्मीद है कि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय केवल कागजों तक सीमित न रहें, बल्कि ज़मीन पर भी असर दिखे। साफ हवा कोई विलासिता नहीं, बल्कि जीवन की बुनियादी जरूरत है।

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Dipali Kumari

दीपाली कुमारी पिछले तीन वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने रांची के गोस्सनर कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक सरोकारों, जन-जागरूकता और जमीनी मुद्दों पर लिखने में उनकी विशेष रुचि है। आम लोगों की आवाज़ को मुख्यधारा तक पहुँचाना और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को धारदार लेखन के माध्यम से सामने लाना उनका प्रमुख लक्ष्य है।