Delhi Pollution: राजधानी दिल्ली की हवा ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि प्रदूषण अब सिर्फ मौसम से जुड़ी समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक संकट बन चुका है। शनिवार सुबह 10 बजे जब औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 401 दर्ज किया गया, तो यह महज एक आंकड़ा नहीं था, बल्कि करोड़ों लोगों की सेहत पर मंडराते खतरे का संकेत था। ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुकी हवा ने प्रशासन को भी त्वरित और कड़े कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
लगातार बिगड़ते हालात को देखते हुए सेंट्रल एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) की उप-समिति ने आपात बैठक बुलाई और बिना देरी किए पूरे दिल्ली-एनसीआर में ग्रेप के स्टेज-3 की पाबंदियां लागू करने का फैसला लिया। यह फैसला बताता है कि हालात सामान्य नियंत्रण से बाहर जा चुके हैं और अब सख्ती ही एकमात्र विकल्प बचा है।
दिल्ली की हवा क्यों पहुंची गंभीर स्तर पर
ठंड बढ़ने के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का बढ़ना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार हालात कुछ ज्यादा ही चिंताजनक हैं। हवा की रफ्तार कम होने, नमी बढ़ने और तापमान गिरने के कारण प्रदूषक कण वातावरण में ही ठहर जाते हैं। ऊपर से वाहनों का धुआं, निर्माण गतिविधियां, डीजल जनरेटर और आसपास के राज्यों से आने वाला प्रदूषण मिलकर हालात को और बिगाड़ देता है।
सुबह और रात के समय धुंध की मोटी परत सिर्फ दृश्यता ही नहीं घटा रही, बल्कि फेफड़ों में जहर की तरह उतर रही है। कई इलाकों में AQI 450 के पार पहुंच चुका है, जो सीधे तौर पर स्वास्थ्य आपात स्थिति की ओर इशारा करता है।
ग्रेप-3 लागू होने का क्या मतलब है
ग्रेप यानी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान का स्टेज-3 तब लागू किया जाता है, जब प्रदूषण ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ की ओर बढ़ जाता है। इस चरण में प्रशासन केवल अपील नहीं करता, बल्कि सीधे पाबंदियां लगाता है ताकि प्रदूषण के स्रोतों को तुरंत रोका जा सके।
ग्रेप-3 के तहत निर्माण और ध्वस्तीकरण गतिविधियों पर सख्त रोक लगा दी गई है। गैर-जरूरी निर्माण कार्य पूरी तरह बंद रहेंगे। स्टोन क्रशर, खनन और इससे जुड़ी गतिविधियों पर भी प्रतिबंध रहेगा। इसका सीधा असर रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर पड़ सकता है, लेकिन प्रशासन का मानना है कि स्वास्थ्य के मुकाबले कोई भी आर्थिक नुकसान छोटा है।
पुराने वाहनों पर ब्रेक
बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों के संचालन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में डीजल बसों पर भी प्रतिबंध रहेगा। सीमेंट, बालू और अन्य निर्माण सामग्री ढोने वाले ट्रकों की आवाजाही पर भी रोक लगाई गई है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
स्कूल बंद, ऑनलाइन पढ़ाई का सहारा
बढ़ते प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए कक्षा पांच तक के सभी स्कूल बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से जारी रखने की सलाह दी गई है, ताकि उनकी सेहत से कोई समझौता न हो।
वर्क फ्रॉम होम की सलाह
कार्यालयों और निजी कंपनियों को वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड मोड अपनाने की सलाह दी गई है। इससे सड़कों पर वाहनों की संख्या घटेगी और प्रदूषण पर कुछ हद तक नियंत्रण संभव हो सकेगा।
डॉक्टरों की चेतावनी और सलाह
चिकित्सकों का कहना है कि इस स्तर का प्रदूषण फेफड़ों, दिल और आंखों के लिए बेहद खतरनाक है। बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और सांस के मरीजों को घर से बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जा रही है। यदि बाहर निकलना जरूरी हो तो मास्क पहनना और भारी शारीरिक गतिविधियों से बचना जरूरी है।
दिल्ली एयरपोर्ट पर धुंध का असर
प्रदूषण और धुंध का असर हवाई यातायात पर भी दिखने लगा है। दिल्ली एयरपोर्ट पर लो विजिबिलिटी प्रोसीजर लागू कर दिया गया है। फिलहाल सभी फ्लाइट ऑपरेशंस सामान्य हैं, लेकिन यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फ्लाइट का ताजा स्टेटस एयरलाइन से जरूर जांच लें और समय से पहले एयरपोर्ट पहुंचें, क्योंकि दृश्यता और खराब हो सकती है।
हर साल वही कहानी, समाधान कब
हर सर्दी में दिल्ली इसी दौर से गुजरती है। सवाल यह नहीं कि ग्रेप-3 लागू हुआ या नहीं, बल्कि यह है कि स्थायी समाधान कब निकलेगा। प्रदूषण पर काबू पाने के लिए तात्कालिक पाबंदियों के साथ-साथ दीर्घकालिक नीतियों की भी उतनी ही जरूरत है, वरना हर साल दिल्ली की सांसें इसी तरह घुटती रहेंगी।