Indigo Crisis: देश की उड्डयन व्यवस्था इन दिनों जिस उथल-पुथल से गुजर रही है, वह केवल एक एयरलाइन का संचालन संकट भर नहीं है, बल्कि यह पूरी व्यवस्था की गहराई में छिपी उन खामियों को उजागर करती है, जिन्हें अक्सर फाइलों के बीच दबा दिया जाता है। इंडिगो की उड़ानों के अभूतपूर्व स्तर पर रद्द होने के बाद शुक्रवार को डीजीसीए द्वारा चार फ्लाइट ऑपरेशन इंस्पेक्टरों को निलंबित कर दिया गया. ये सभी अधिकारी पायलट प्रशिक्षण, एयरलाइन की सुरक्षा मानकों तथा परिचालन अनुपालन की निगरानी जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य देखते हैं। ऐसे संवेदनशील पदों पर बैठे लोगों के निलंबन ने संकेत दिया है कि समस्या कहीं न कहीं नियामक प्रक्रिया तक भी जा पहुंची है।
उड़ान रद्द होने के पीछे की असली वजहें
इंडिगो पर हालिया संकट अचानक पैदा नहीं हुआ। पिछले सप्ताह शुक्रवार को 1,600 से अधिक उड़ानों का रद्द होना भारतीय उड्डयन इतिहास का सबसे बड़ा व्यवधान माना जा रहा है।
मुख्य कारण था—Flight Duty Time Limitations (FDTL Phase-2) को समय पर और व्यवस्थित तरीके से लागू न कर पाना। क्रू रोस्टर तैयार करने में अव्यवस्था, स्टाफ प्रबंधन में कमी और उड़ानों का अत्यधिक दबाव इस समस्या को विकराल बनाते गए।
सरकार ने भी साफ कहा कि इंडिगो की योजना बनाना और परिचालन प्रबंधन दोनों बेहद कमजोर रहे, जिसके चलते पूरा ढांचा चरमरा गया।
यात्रियों की परेशानी और सरकार की तत्परता
उड़ान रद्द होने का सिलसिला जैसे-जैसे बढ़ता गया, यात्रियों की दैनिक दिनचर्या, व्यावसायिक यात्राएं और पारिवारिक कार्यक्रम सभी प्रभावित होने लगे। कई यात्रियों को घंटों की देरी और अनिश्चितता से गुजरना पड़ा। सरकार तुरंत सक्रिय हुई और समय पर रिफंड सुनिश्चित करने के लिए कड़ी समयसीमा तय की गई। अन्य एयरलाइनों को टिकट कीमतें न बढ़ाने की हिदायत दी गई ताकि संकट का अनुचित लाभ न उठाया जाए। इंडिगो को प्रतिदिन की उड़ानों में 10 प्रतिशत की कटौती करने का निर्देश जारी किया गया, ताकि संचालन पर दबाव घट सके और उड़ान की विश्वसनीयता बहाल की जा सके।
इंडिगो की नयी उड़ान योजना
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, कटौती लागू होने के बाद इंडिगो अब प्रतिदिन लगभग 1,950 उड़ानें संचालित करेगा, जिनमें करीब तीन लाख यात्री सफर करेंगे। सर्दियों के दौरान सामान्य स्थिति में एयरलाइन प्रतिदिन 2,300 उड़ानें चलाती रही है, ऐसे में यह कटौती सीधे परिचालन दबाव को कम करने के उद्देश्य से की गई है। यात्रियों के लिए यह एक राहत की स्थिति हो सकती है, क्योंकि कम उड़ानों में भी बेहतर प्रबंधन की उम्मीद बढ़ जाती है।
मुख्यालय में डीजीसीए की तैनाती
गुरुवार को डीजीसीए अधिकारियों को सीधे इंडिगो के मुख्यालय भेजा गया ताकि वे स्थिति की रियल-टाइम निगरानी कर सकें। उसी दिन दिल्ली और बेंगलुरु जैसे प्रमुख हवाईअड्डों पर 200 से अधिक उड़ानें रद्द होना इस बात का प्रमाण था कि परिस्थितियाँ सामान्य होने से अभी बहुत दूर थीं। इंडिगो के भीतर परिचालन समन्वय की कमी और नियमों के सही तौर पर पालन न होने पर डीजीसीए की सख्ती अब और बढ़ने के संकेत देती है।
डिगो ने छिपाई समस्या
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने संसद में बताया कि 1 दिसंबर को हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में इंडिगो ने किसी भी तरह की समस्या की जानकारी नहीं दी थी। इस खुलासे ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर एयरलाइन ने संकट को लेकर पारदर्शिता क्यों नहीं बरती। जब उड़ान रद्दीकरण अचानक बढ़ा और यात्रियों का भरोसा टूटने लगा, तब सरकार को यह एहसास हुआ कि इंडिगो ने अपनी चुनौतियों को समय पर साझा नहीं किया। यही वजह है कि आज नियामक और एयरलाइन के बीच संवाद और जवाबदेही को लेकर बहस और गहरी हो गई है।