न्यूयॉर्क के नवनिर्वाचित मेयर जोहरान ममदानी से मिलने को आतुर हुए ट्रंप, बदले सियासी सुरों ने बढ़ाई चर्चाएँ

Donald Trump to meet Zohran Mamdani
Donald Trump to meet Zohran Mamdani: न्यूयॉर्क में बदले सियासी समीकरण और ट्रंप की अचानक बदलती रणनीति (File Photo)
भारतीय मूल के जोहरान ममदानी की न्यूयॉर्क मेयर चुनाव में जीत के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने उनसे मिलने की इच्छा जताई है। पूर्व में दोनों के रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे, परंतु अब ट्रंप का रुख नरम पड़ा है। यह बदलाव अमेरिकी राजनीति में नए समीकरणों का संकेत माना जा रहा है।
नवम्बर 17, 2025

न्यूयॉर्क की राजनीति में नया अध्याय

हाल ही में न्यूयॉर्क सिटी के मेयर चुनाव में भारतीय मूल के जोहरान ममदानी ने उल्लेखनीय जीत दर्ज कर अमेरिकी राजनीति में एक नया अध्याय लिख दिया है। ममदानी को लंबे समय से प्रगतिशील राजनीति का मजबूत चेहरा माना जाता रहा है, और न्यूयॉर्क जैसे बहुसांस्कृतिक नगर में उनकी भारी विजयी बढ़त ने उन्हें राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बना दिया है। किंतु जिस बात ने राजनीतिक गलियारों में सबसे अधिक हलचल पैदा की है, वह है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अचानक नरम पड़ता रुख और ममदानी से मुलाकात का संकेत देना।

ममदानी की जीत ने क्यों बढ़ाई ट्रंप की बेचैनी?

जोहरान ममदानी का चुनाव अभियान पूरी तरह सामाजिक न्याय, आप्रवासी समुदायों के सशक्तिकरण और आर्थिक संरचनात्मक सुधारों पर आधारित था। वे डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रगतिशील धड़े के महत्वपूर्ण नेता माने जाते हैं। दूसरी ओर, ट्रंप की राजनीति लंबे समय से कठोर आप्रवासन नीतियों और राष्ट्रवादी रुख के लिए जानी जाती है।
ममदानी की जीत ने ट्रंप शिविर को यह संकेत दे दिया कि आप्रवासी मूल के नेता अब न केवल सक्रिय रूप से अमेरिकी राजनीति को आकार दे रहे हैं, बल्कि जनमत पर भी गहरा प्रभाव छोड़ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसी समीकरण ने ट्रंप को अपने तीखे सुर नरम करने के लिए प्रेरित किया है।

‘‘मैं न्यूयॉर्क के मेयर से मिलना चाहूंगा’’—ट्रंप का नया बयान

अपनी पूर्ववर्ती सख्त राय से बिल्कुल उलट, ट्रंप ने बीते रविवार कहा,
‘‘मैं न्यूयॉर्क के मेयर से मिलना चाहूंगा। हम इसके लिए जल्द ही कुछ करेंगे। अभी किसी तारीख का निर्धारण नहीं हुआ है, मगर हम मिलकर यह चर्चा करेंगे कि न्यूयॉर्क के हित में क्या किया जा सकता है।’’
यह वक्तव्य न केवल अमेरिकी मीडिया में सुर्खियाँ बना, बल्कि दोनों नेताओं के बीच की पुरानी तल्खी को देखते हुए इसे राजनीतिक रणनीति में अहम बदलाव माना जा रहा है।

संबंध पहले क्यों थे तनावपूर्ण?

जोहरान ममदानी ने अपने चुनाव अभियान तथा पूर्व राजनीतिक वक्तव्यों में कई बार ट्रंप की नीतियों पर कठोर टिप्पणी की थी। वे ट्रंप की आव्रजन नीति को विभाजनकारी बताते रहे हैं।
ट्रंप भी पीछे हटने वालों में से नहीं रहे। उन्होंने खुले मंचों पर कहा था कि ममदानी ‘‘अमेरिका के लिए खतरा’’ बन सकते हैं और यहां तक कि उन्हें ‘‘अमेरिका से बाहर भेजने’’ की धमकी भी दी थी।
ममदानी का जन्म युगांडा में हुआ और बाद में उन्होंने अमेरिकी नागरिकता प्राप्त की। यह पृष्ठभूमि ट्रंप के आरोपों और बयानबाज़ी का केंद्र बनाई गई। इतना ही नहीं, ट्रंप ने यह भी कहा था कि अगर न्यूयॉर्क में ममदानी जीतते हैं, तो वे केंद्र की फंडिंग रोकने पर विचार करेंगे।

अब क्यों बदलने लगे हैं सुर?

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की बदलती भाषा कई राजनीतिक संकेत दे रही है।
पहला, न्यूयॉर्क जैसे बड़े और प्रभावशाली शहर का मेयर, चाहे किसी भी विचारधारा से हो, राष्ट्रीय प्रशासन के लिए रणनीतिक महत्व रखता है।
दूसरा, ममदानी की भारी लोकप्रियता आप्रवासी और अल्पसंख्यक समुदायों में लगातार बढ़ रही है। यह वही जनवर्ग है जिसके समर्थन के बिना कोई भी राष्ट्रीय चुनाव जीतना कठिन होता है।
तीसरा, 2028 की चुनावी तैयारी को लेकर ट्रंप किसी प्रकार का नया टकराव नहीं चाहते, विशेषकर उस समय जब रिपब्लिकन पार्टी में भी नेतृत्व को लेकर अंतर्कलह चल रही है।

ट्रंप पर क्या कहा ममदानी ने?

ममदानी ने मेयर बनने के बाद कहा था कि उनकी जीत यह दर्शाती है कि ‘‘राजनीति में जनता का भरोसा विचारधारा और कार्यशैली पर निर्भर करता है, न कि पद की ताकत पर।’’
ट्रंप से संभावित मुलाकात पर ममदानी की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई, परंतु डेमोक्रेटिक खेमे के करीबी सूत्रों के अनुसार ममदानी किसी भी संवाद के लिए तैयार हैं, यदि वह ‘‘नगरहित और जनकल्याण’’ पर आधारित हो।

आप्रवासी समुदायों के लिए बड़ा संदेश

ममदानी की जीत और ट्रंप की ओर से बदलते सुर अमेरिकी आप्रवासी समुदायों के लिए महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक संकेत हैं। यह दर्शाता है कि विचारधारात्मक मतभेद के बावजूद राजनीतिक संवाद से समाधान खोजे जा सकते हैं।
साथ ही यह अमेरिकी राजनीति के बदलते चरित्र को भी रेखांकित करता है, जहाँ विविधता, प्रवासन और वैश्विक मूल के नेताओं का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।

क्या यह मुलाकात वास्तव में होगी?

हालाँकि ट्रंप ने मुलाकात की इच्छा जरूर जताई है, लेकिन तारीख तय न होने के कारण अभी भी प्रश्न बना हुआ है कि यह भेंट वास्तव में कब और कैसे होगी। विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह बैठक होती है, तो इसका प्रभाव केवल न्यूयॉर्क तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राष्ट्रीय राजनीतिक विमर्श को भी प्रभावित करेगा।

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