उत्तर भारत में कोहरे के कारण 1 दिसंबर से 28 फरवरी तक 24 ट्रेन जोड़ी पूरी तरह रद, यात्रियों की चिंता बढ़ी
भारतीय रेलवे के लिए सर्दियों का मौसम हर साल एक बड़ी चुनौती लेकर आता है। घना कोहरा, कम दृश्यता और जलवायु परिस्थितियां ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे ने 1 दिसंबर 2025 से 28 फरवरी 2026 तक के तीन महीनों में एक व्यापक निर्णय लिया है। इस अवधि में कुल 24 ट्रेन जोड़ियों को पूरी तरह रद कर दिया गया है, जबकि कई प्रमुख ट्रेनों की आवृत्ति भी कम की गई है। यह निर्णय एक ओर तो सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है, लेकिन दूसरी ओर लाखों यात्रियों के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी करता है।
कोहरे की समस्या और रेलवे की चुनौती
भारत के उत्तरी क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान कोहरे की घटना एक प्राकृतिक पर्यावरणीय समस्या है। यह कोहरा केवल दृश्यमानता को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि ट्रेनों के संचालन में महत्वपूर्ण जटिलताएं पैदा करता है। जब कोहरा घना होता है, तो ट्रेन के ड्राइवर और संचालकों को सड़क के आगे की स्पष्ट दृश्यता नहीं मिलती। ऐसे में ट्रेन की गति को कम करना पड़ता है, जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। रेल पटरी पर संकेत और सिग्नल्स को ठीक से नहीं देखा जा सकता, जो भारी परिणाम दे सकता है।
भारतीय रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, कोहरे की तीव्रता कुछ विशेष रूटों पर बेहद गंभीर होती है। आगरा-मथुरा खंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्से और बिहार के कुछ क्षेत्र सर्दियों में सबसे अधिक कोहरे से प्रभावित होते हैं। इन क्षेत्रों में ट्रेनों को नियत समय पर चलाना व्यावहारिक रूप से असंभव हो जाता है, और विलंब की घटनाएं आम हो जाती हैं।
रद की गई प्रमुख ट्रेनें और यात्रियों पर प्रभाव
रेलवे द्वारा रद की गई 24 ट्रेन जोड़ियों में कई प्रमुख और महत्वपूर्ण सेवाएं शामिल हैं। बरौनी-अम्बाला हरिहर एक्सप्रेस, जो बिहार और पंजाब के बीच एक महत्वपूर्ण लिंक है, पूरी तरह बंद रहेगी। इसी प्रकार, पूर्णिया कोर्ट-अमृतसर जनसेवा एक्सप्रेस भी तीन महीनों के लिए संचालन से बाहर होगी। अन्य रद की गई ट्रेनों में उपासना एक्सप्रेस, वीरांगना लक्ष्मीबाई-कोलकाता एक्सप्रेस, मालदा-नई दिल्ली एक्सप्रेस, हटिया-आनंद विहार एक्सप्रेस, और संतरागाछी-आनंद विहार एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें शामिल हैं।
ये ट्रेनें सामान्य समय में हजारों यात्रियों को दैनिक या साप्ताहिक आधार पर ढोती हैं। कर्मचारी, छात्र, व्यापारी, और पर्यटक – सभी इन ट्रेनों पर निर्भर रहते हैं। उनके लिए रद की गई ट्रेनें मतलब वैकल्पिक परिवहन विकल्प खोजना, जो अक्सर महंगा और असुविधाजनक होता है।
आवृत्ति में कटौती की नीति
रद की गई ट्रेनों के अलावा, रेलवे ने कई अन्य प्रमुख सेवाओं की आवृत्ति भी घटा दी है। ग्वालियर-बरौनी, अजमेर-सियालदह, हावड़ा-काठगोदाम बाघ एक्सप्रेस, कोलकाता-अमृतसर गरीबरथ, नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस, सिक्किम महानंदा, अवध आसाम, और पाटलिपुत्र-लखनऊ/गोरखपुर जैसी ट्रेनें अब सप्ताह के निश्चित दिनों में ही चलेंगी। यह नीति यात्रियों को अपनी यात्रा योजनाओं में महत्वपूर्ण संशोधन करने के लिए बाध्य करती है।
उदाहरण के लिए, जो यात्री पहले सप्ताह में छह दिन अपनी पसंद की ट्रेन से यात्रा कर सकते थे, अब उन्हें केवल कुछ विशिष्ट दिनों पर ही उपलब्ध विकल्प मिलेंगे। यह व्यावसायिक संबंधों, परिवार के मिलन-जुलन, और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को प्रभावित कर सकता है।
चंबल एक्सप्रेस का आंशिक रद
आगरा-मथुरा खंड, जो सर्दियों में सबसे अधिक कोहरे से प्रभावित होता है, पर चंबल एक्सप्रेस (12177/12178) को आंशिक रूप से रद किया गया है। इस खंड पर कोहरे की तीव्रता इतनी अधिक होती है कि ट्रेन के ड्राइवरों के लिए सुरक्षित संचालन लगभग असंभव हो जाता है। चंबल एक्सप्रेस उत्तर भारत के एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन मार्ग को जोड़ती है, इसलिए इसका आंशिक रद भी यात्रियों के लिए एक बड़ी असुविधा है।
सुरक्षा बनाम सेवा की द्वंद्विता
रेलवे का यह निर्णय एक जटिल परिस्थिति में लिया गया है। एक ओर, लोको पायलटों की सुरक्षा और यात्रियों के जीवन की रक्षा करना सर्वोच्च प्राथमिकता है। कोहरे में ट्रेन चलाना वास्तव में जानलेवा हो सकता है, और दुर्घटनाओं के कारण सामूहिक नुकसान हो सकता है। इस दृष्टि से, सावधानीपूर्वक निर्णय लेना न्यायसंगत है।
दूसरी ओर, रेलवे देश की परिवहन व्यवस्था की रीढ़ है। लाखों यात्रियों की दैनिक जरूरतें इस पर निर्भर करती हैं। सेवाओं को अचानक रद करने से आर्थिक गतिविधियों में बाधा आती है, रोजगार प्रभावित होता है, और सामान्य जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
सुरक्षा प्रौद्योगिकी में निवेश की आवश्यकता
इस समस्या का स्थायी समाधान केवल ट्रेनें रद करना नहीं है। भारतीय रेलवे को अधिक उन्नत प्रौद्योगिकी में निवेश करना चाहिए। कोहरे में ट्रेन संचालन के लिए अत्याधुनिक रेडार सिस्टम, ऑटोमेटेड ब्रेकिंग सिस्टम, और उन्नत संचार प्रणाली उपलब्ध हैं। इन तकनीकों का उपयोग करके, रेलवे खराब दृश्यता में भी सुरक्षित संचालन सुनिश्चित कर सकता है।
अन्य देशों, जैसे कि योरोप और पूर्वी एशिया, ने इस प्रकार की प्रौद्योगिकियों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। भारतीय रेलवे को भी इसी दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए, ताकि सुरक्षा और सेवा दोनों को संतुलित किया जा सके।
यात्रियों के लिए सलाह और वैकल्पिक विकल्प
रेलवे ने सभी यात्रियों से अपील की है कि वे आगामी दो-तीन महीनों में यात्रा योजना बनाते समय अपनी ट्रेन की ताजा स्थिति अवश्य जांच लें। यात्रियों को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
सबसे पहले, रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट पर ट्रेन की स्थिति की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। दूसरा, यदि पसंद की ट्रेन रद है, तो वैकल्पिक ट्रेनों या अन्य परिवहन साधनों को ढूंढना चाहिए। तीसरा, महत्वपूर्ण यात्राओं के लिए पहले से ही बुकिंग कर लेनी चाहिए, क्योंकि अन्य ट्रेनें अधिक भीड़ से भरी रहेंगी।
भविष्य की संभावनाएं
रेलवे के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि कोहरे की स्थिति के आधार पर आगे के महीनों में और भी बदलाव संभव हैं। यदि कोहरा सामान्य से अधिक गंभीर हो, तो अधिक ट्रेनें रद की जा सकती हैं। इसके विपरीत, यदि मौसम अनुकूल रहे, तो कुछ सेवाएं पुनः शुरू की जा सकती हैं।
निष्कर्ष
भारतीय रेलवे का यह निर्णय सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी का प्रदर्शन करता है। हालांकि, यह यात्रियों के लिए एक बड़ी असुविधा भी है। दीर्घकालीन समाधान के लिए, रेलवे को अधिक उन्नत प्रौद्योगिकी में निवेश करना चाहिए और आपातकालीन परिवहन व्यवस्था की तैयारी करनी चाहिए। सर्दियों के इस कठिन मौसम में, सरकार और रेलवे को मिलकर यात्रियों की असुविधा को कम से कम करने का प्रयास करना चाहिए।