भारत-रूस शिखर सम्मेलन से पूर्व पुतिन के शीर्ष सहयोगी की प्रधानमंत्री से भेंट, सामरिक समुद्री सहयोग पर व्यापक विमर्श

India-Russia Summit
India-Russia Summit: समुद्री सहयोग, सामरिक साझेदारी और दिसंबर शिखर बैठक की तैयारियों पर केंद्रित महत्वपूर्ण चर्चा (Photo: IANS)
रूसी राष्ट्रपति पुतिन के शीर्ष सहयोगी निकोलाई पत्रुशेव ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर दिसंबर में होने वाले भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों और समुद्री-सामरिक सहयोग पर विस्तृत बातचीत की। यह वार्ता दोनों देशों की दीर्घकालीन साझेदारी और वैश्विक मंचों पर समन्वय को नया बल प्रदान करती है।
नवम्बर 18, 2025

भारत-रूस समुद्री एवं सामरिक सहयोग को नई दिशा देने की तैयारी

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शीर्ष सहयोगी और रूस के समुद्री बोर्ड के अध्यक्ष निकोलाई पत्रुशेव का भारत दौरा दोनों देशों के बीच आगामी उच्च-स्तरीय संवाद को लेकर अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मंगलवार को उन्होंने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों तथा समुद्री क्षेत्र सहित अनेक द्विपक्षीय विषयों पर गहन चर्चा की। यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब दिसंबर में निर्धारित 23वें वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन की प्रतीक्षा वैश्विक कूटनीतिक हलकों में उत्सुकता के साथ की जा रही है।

समुद्री सहयोग को सुदृढ़ बनाने पर विशेष बल

प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान पत्रुशेव और भारतीय पक्ष के बीच समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने, समुद्री सुरक्षा तंत्र को साझा करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के नए आयामों पर विचार किया गया। दोनों देशों ने इस बात पर बल दिया कि समुंदर आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर, तकनीकी आदान-प्रदान और समुद्री निगरानी क्षमता को उन्नत कर द्विपक्षीय साझेदारी को वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाया जा सकता है।

रूसी दूतावास द्वारा साझा जानकारी के अनुसार, बैठक में समुद्री क्षेत्र को भविष्य के सामरिक सहयोग के प्रमुख स्तंभों में से एक के रूप में देखा गया। दोनों पक्षों ने इस दिशा में दीर्घकालीन योजनाओं और संयुक्त पहलों पर आगे बढ़ने की इच्छा व्यक्त की।

दिसंबर में संभावित पुतिन यात्रा को लेकर गहन विमर्श

अपनी पिछली भारत यात्रा दिसंबर 2021 में करने वाले पुतिन इस बार 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आ रहे हैं। पत्रुशेव ने प्रधानमंत्री को रूस की ओर से की जा रही तैयारियों से अवगत कराया और दोनों देशों के बीच रक्षा, आर्थिक, ऊर्जा, विज्ञान तथा अंतरिक्ष के क्षेत्रों में प्रगति की समीक्षा की। इस वर्ष यह शिखर सम्मेलन सामरिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित हो रहा है, जिससे इसका महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है।

भारत-रूस संबंधों की पहचान हमेशा से विश्वास, साझेदारी और दीर्घकालिक सहयोग पर आधारित रही है। दोनों देशों के नेताओं ने अपने हालिया संवादों में यह स्पष्ट किया है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में एक-दूसरे के साथ तालमेल और भी आवश्यक हो गया है।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और प्रधानमंत्रि संग्रहालय का दौरा

पत्रुशेव ने भारत के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहुंचकर भारतीय सशस्त्र बलों के वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके इस कदम को भारत-रूस रक्षा संबंधों की मजबूती और परस्पर सम्मान की परंपरा के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्रि संग्रहालय का भी भ्रमण किया, जिसमें भारत की स्वतंत्रता के बाद की राजनीतिक यात्रा का विस्तृत इतिहास संजोया गया है। उन्होंने अतिथि-पुस्तक में अपने भाव भी अंकित किए।

विदेश मंत्रियों की वार्ता ने दिया सकारात्मक संदेश

इससे एक दिन पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मास्को में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग के साथ-साथ बहुपक्षीय मंचों — संयुक्त राष्ट्र, एससीओ, ब्रिक्स और जी-20 — में साझा दृष्टिकोण को लेकर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया। दोनों देशों ने एक न्यायपूर्ण, बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

विदेश मंत्रियों की इस वार्ता ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि आगामी शिखर सम्मेलन में व्यापक बहुपक्षीय सहयोग को नई ऊर्जा मिलने वाली है।

हालिया संवाद और बढ़ती रणनीतिक निकटता

पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच टेलीफोन पर वार्ता हुई थी, जिसमें द्विपक्षीय प्रगति की समीक्षा के साथ-साथ आपसी रणनीतिक भरोसे को और सुदृढ़ करने पर सहमति बनी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को जन्मदिन की शुभकामनाएँ भी दी थीं और दिसंबर की यात्रा के प्रति अपनी सकारात्मक आशा जताई थी।

इसके अतिरिक्त, सितंबर में दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के दौरान भी मिले थे। उस समय उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों, विशेषकर यूक्रेन की स्थिति, पर विचार किया था। मोदी ने यह भी कहा था कि 1.40 करोड़ भारतीय पुतिन की भारत यात्रा का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। इसे दोनों देशों की ‘विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी’ की गहराई का संकेत माना जाता है।

भविष्य के सहयोगों की संभावनाएं

भारत-रूस के बीच ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष, व्यापार, शिक्षा और विज्ञान-प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में दीर्घकालीन परियोजनाएँ चल रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार की वार्षिक बैठक में समुद्री सुरक्षा, वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति, नयी प्रौद्योगिकियों, आर्कटिक सहयोग, और आपसी व्यापार को स्थानीय मुद्राओं में बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण घोषणाएँ हो सकती हैं।

पत्रुशेव-मोदी मुलाकात ने इस दिशा में सकारात्मक वातावरण तैयार किया है और स्पष्ट किया है कि दोनों पक्ष आगामी शिखर सम्मेलन को अत्यंत परिणामोन्मुख बनाना चाहते हैं।


यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।

Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।