भारत-ब्रिटेन के बीच मिसाइल डील
नई दिल्ली: भारत और ब्रिटेन ने 468 मिलियन डॉलर (लगभग 350 मिलियन पाउंड) की मिसाइल डील पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत भारतीय सेना को ब्रिटेन निर्मित मिसाइलें उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे देश की वायु रक्षा क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। रक्षा मंत्रालय के अनुसार यह सौदा भारत की वर्तमान और भविष्य की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक मजबूत कदम है।
ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस मिसाइल आपूर्ति से उत्तरी आयरलैंड में 700 से अधिक नौकरियों का सृजन होगा, जो ब्रिटेन के चार घटक देशों में से एक है।
प्रौद्योगिकी और नवाचार में समझौते
भारत और ब्रिटेन ने विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलें भी शुरू की हैं।
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भारत-यूके कनेक्टिविटी और नवाचार केंद्र की स्थापना।
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एआई के लिए भारत-यूके संयुक्त केंद्र की स्थापना।
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यूके-भारत महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला वेधशाला के द्वितीय चरण का शुभारंभ।
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IIT-ISM धनबाद में एक नया उपग्रह परिसर स्थापित किया जाएगा।
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लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं और हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए क्रिटिकल मिनरल्स इंडस्ट्री गिल्ड की स्थापना।
इन पहलों से दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी साझेदारी और नवाचार को नई गति मिलेगी।
शिक्षा क्षेत्र में समझौते
शिक्षा और अनुसंधान में भी भारत-ब्रिटेन ने कई कदम उठाए हैं।
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बेंगलुरु में लैंकेस्टर विश्वविद्यालय का परिसर खोलने के लिए आशय पत्र सौंपा गया।
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गिफ्ट सिटी में सरे विश्वविद्यालय के परिसर के लिए सैद्धांतिक मंजूरी।
इन कदमों से छात्रों और शोधकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय अनुभव और उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त होगी।
व्यापार और निवेश
आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत और ब्रिटेन ने व्यापार और निवेश में भी कई समझौते किए।
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पुनर्गठित भारत-यूके सीईओ फोरम की उद्घाटन बैठक।
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भारत-यूके संयुक्त आर्थिक व्यापार समिति (JETCO) का पुनर्गठन।
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जलवायु प्रौद्योगिकी स्टार्टअप फंड में संयुक्त निवेश, जो जलवायु प्रौद्योगिकी और AI जैसे क्षेत्रों में नवोन्मेषी उद्यमियों को समर्थन देगा।
इन पहलों से रोजगार सृजन और दोनों देशों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
जलवायु, स्वास्थ्य और अनुसंधान
भारत और ब्रिटेन ने स्वास्थ्य, जलवायु और अनुसंधान के क्षेत्र में भी सहयोग को बढ़ावा दिया।
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जैव-चिकित्सा अनुसंधान कैरियर कार्यक्रम के तीसरे चरण का शुभारंभ।
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अपतटीय पवन कार्यबल की स्थापना।
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स्वास्थ्य अनुसंधान पर ICMR और NIHR के बीच आशय पत्र (LOI)।
इससे वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य और अनुसंधान में साझेदारी और नवाचार को बल मिलेगा।
भारत और ब्रिटेन के बीच यह 468 मिलियन डॉलर की डील केवल मिसाइल और रक्षा तक सीमित नहीं है। शिक्षा, प्रौद्योगिकी, नवाचार, व्यापार और जलवायु के क्षेत्रों में हुए समझौते दोनों देशों के दीर्घकालिक सहयोग और विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। इस पहल से रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और रक्षा क्षमता में वृद्धि के साथ-साथ वैश्विक साझेदारी को मजबूती मिलेगी।