इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच नया राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की पूर्व प्रमुख मिशेल बैचलेट को यह पुरस्कार मिलने के बाद भाजपा ने कांग्रेस के इस फैसले को भारत विरोधी कदम करार दिया है। भाजपा का आरोप है कि बैचलेट ने धारा 370 हटाने, एनआरसी लागू करने और कश्मीर नीतियों पर भारत सरकार की आलोचना की थी, इसलिए कांग्रेस द्वारा उन्हें सम्मानित करना देश की संप्रभुता के खिलाफ खड़ा होना है।
इंदिरा गांधी पुरस्कार पर राजनीतिक टकराव बढ़ा
बीते बुधवार कांग्रेस की संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने वर्ष 2024 का इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण और विकास पुरस्कार मिशेल बैचलेट को प्रदान किया। यह सम्मान उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिनके कार्यों का वैश्विक स्तर पर शांति और विकास में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। समारोह के बाद ही भाजपा ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोल दिया। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि कांग्रेस का डीएनए ही भारत विरोधी झुकाव रखता है और इस बार जो सम्मान दिया गया है, वह इसी मानसिकता का प्रतीक है।
भाजपा का आरोप: भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाने वाली बैचलेट को क्यों पुरस्कार
गौरव भाटिया ने दावा किया कि मिशेल बैचलेट भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के मुद्दों पर पक्षपातपूर्ण रुख रखती रही हैं। उन्होंने कहा कि 2019 में जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था, तब बैचलेट ने इस निर्णय का विरोध किया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बैचलेट ने कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन को बिना प्रमाण के मुद्दा बनाया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को कठघरे में खड़ा किया। भाजपा के अनुसार, ऐसे व्यक्ति को सम्मान देना भारत की वैश्विक छवि के खिलाफ काम करने जैसा है।
भाटिया ने यह भी कहा कि बैचलेट ने असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी के कार्यान्वयन पर भी सवाल उठाए थे। जबकि एनआरसी, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, कानून प्रक्रिया का हिस्सा था। भाटिया ने पूछा कि क्या कांग्रेस को यह नहीं पता कि एनआरसी अदालत के निर्देश पर लागू हो रहा था और इसमें किसी भी राजनीतिक दल का योगदान नहीं था। भाजपा का सवाल था कि क्या कांग्रेस जानबूझकर उन आवाजों को समर्थन दे रही है, जो भारत की अखंडता और जनसांख्यिकीय सुरक्षा को लेकर अस्थिरता फैलाती हैं।
कांग्रेस पर सिख दंगों का घाव न भरने का आरोप
समारोह में जगदीश टाइटलर की मौजूदगी पर भी भाजपा ने गंभीर सवाल उठाए। गौरव भाटिया ने कहा कि सोनिया गांधी को 1984 के सिख विरोधी दंगों का दर्द समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि टाइटलर, जिन पर आरोप रहे हैं, उनकी उपस्थिति इस समारोह में भारत के लिए शर्मनाक संकेत है। भाजपा ने इस मुद्दे को सियासी नैतिकता से जोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस को बताना चाहिए कि क्या देश की पीड़ा उनके लिए मायने नहीं रखती।
कांग्रेस की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
कांग्रेस की ओर से इस विवाद पर अभी तक कोई सीधा जवाब नहीं दिया गया है। कार्यक्रम में मौजूद नेताओं का कहना है कि यह सम्मान बैचलेट की वैश्विक भूमिका को देखते हुए दिया गया है। कांग्रेस नेताओं के अनुसार, वैश्विक मानवीय मूल्यों के लिए काम करने वाले किसी भी अंतरराष्ट्रीय हस्ताक्षर को सम्मानित करने का अर्थ किसी राजनीतिक विचारधारा का समर्थन नहीं होता। पार्टी का रुख है कि पुरस्कार विश्व-स्तरीय उपलब्धियों के आधार पर प्रदान किया गया है।
सियासी हलकों में यह बहस तेजी से फैलती जा रही है। एक ओर भाजपा इसे भारत के हितों के खिलाफ उठाया गया कदम बता रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस इस सम्मान को अंतरराष्ट्रीय आपसी सहयोग और शांति का प्रतीक मान रही है। सवाल यह है कि क्या पुरस्कारों को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखने की परंपरा भारतीय लोकतंत्र के लिए सही है या यह केवल वोट राजनीति का हिस्सा है।
आने वाले समय में बढ़ सकती है सियासी गर्मी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आने वाले दिनों में और गहरा सकता है। कश्मीर, एनआरसी और मानवाधिकार जैसे मुद्दे पहले भी चुनावी राजनीति का केंद्र रहे हैं। भाजपा इस मुद्दे को राष्ट्रवाद बनाम कथित भारत विरोधी विचारधारा के रूप में प्रस्तुत करने की रणनीति अपना सकती है। कांग्रेस की चुनौती यह होगी कि वह इस बहस को अंतरराष्ट्रीय संवेदनशीलता और सौहार्द के मुद्दे के रूप में स्थापित करे।