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मनरेगा का नाम बदलने की तैयारी, अब 125 दिन रोजगार की नई गारंटी पर सरकार का बड़ा दांव

New MNREGA Policy: मनरेगा का नया नाम जी राम जी योजना, 125 दिन रोजगार की गारंटी
New MNREGA Policy: मनरेगा का नया नाम जी राम जी योजना, 125 दिन रोजगार की गारंटी (File Photo)
केंद्र सरकार मनरेगा का नाम बदलकर जी राम जी योजना लाने की तैयारी में है। नई योजना में ग्रामीण लोगों को 125 दिन रोजगार देने का प्रस्ताव है। इसे विकसित भारत 2047 से जोड़ा जाएगा। नाम बदलने को लेकर राजनीतिक विवाद भी तेज हो गया है।
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देश में ग्रामीण रोजगार से जुड़ी सबसे बड़ी योजना मनरेगा को लेकर केंद्र सरकार एक बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार सरकार मनरेगा का नाम बदलने पर विचार कर रही है और इसके लिए संसद में विधेयक लाया जा सकता है। नए प्रस्ताव के तहत ग्रामीण लोगों को 100 दिन के बजाय 125 दिन रोजगार की गारंटी दी जाएगी। यह बदलाव केवल नाम तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि योजना की सोच, काम के तरीके और निगरानी व्यवस्था में भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

इस नई योजना का पूरा नाम होगा विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)। आम बोलचाल में इसे वीबी- जी राम जी योजना कहा जा रहा है। सरकार इसे विकसित भारत 2047 के लक्ष्य से जोड़कर देख रही है, ताकि आने वाले वर्षों में गांवों को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया जा सके।

मनरेगा से जी राम जी योजना तक का सफर

मनरेगा को करीब दो दशक पहले ग्रामीण गरीबों को रोजगार देने के मकसद से शुरू किया गया था। इस योजना के तहत गांवों में रहने वाले लोगों को सरकारी कामों में मजदूरी दी जाती है। इससे न केवल लोगों की आमदनी बढ़ी, बल्कि गांवों में सड़क, तालाब, नहर और अन्य जरूरी काम भी हुए।

अब सरकार का मानना है कि समय के साथ योजना को नए रूप में आगे बढ़ाना जरूरी है। इसी सोच के तहत मनरेगा का नाम बदलकर जी राम जी योजना रखने की तैयारी हो रही है। सरकार का कहना है कि यह योजना केवल रोजगार तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आजीविका, गांव की व्यवस्था और पलायन रोकने जैसे बड़े लक्ष्यों पर काम करेगी।

125 दिन रोजगार की नई गारंटी

नई योजना की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें 125 दिन रोजगार देने की बात कही जा रही है। अभी तक मनरेगा के तहत 100 दिन काम की गारंटी है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे ग्रामीण परिवारों को ज्यादा काम और ज्यादा आमदनी मिलेगी।

सरकार का मानना है कि इससे गांव के लोग शहरों की ओर मजदूरी के लिए जाने से बचेंगे। गांव में ही काम मिलने से परिवार साथ रहेंगे और सामाजिक ढांचा मजबूत होगा। खासकर गरीब और मजदूर वर्ग के लिए यह फैसला राहत भरा हो सकता है।

गांवों में ही होंगे सरकारी काम

बिल के मसौदे के अनुसार सरकारी कामों को इसी योजना के तहत कराया जाएगा। इसमें जल संरक्षण, तालाबों की सफाई, खेतों की मेड़बंदी, ग्रामीण सड़कों का निर्माण और अन्य बुनियादी काम शामिल होंगे। इसके साथ ही आजीविका से जुड़े मिशनों पर भी काम किया जाएगा, ताकि लोगों को लंबे समय तक फायदा मिल सके।

खेती के समय गांवों में मजदूरों की कमी न हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा। पीक सीजन में गांव के लोगों को खेतों में काम करने का मौका मिलेगा और खेती को नुकसान नहीं होगा।

तकनीक से होगी निगरानी

नई योजना में तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल करने की बात कही गई है। काम की निगरानी के लिए जीपीएस और मोबाइल आधारित व्यवस्था लागू की जा सकती है। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि काम सही जगह पर और सही तरीके से हो रहा है या नहीं।

इसके अलावा काम की योजना, जांच और धोखाधड़ी रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी सहारा लिया जा सकता है। सरकार का कहना है कि इससे सिस्टम पारदर्शी बनेगा और गलत तरीके से पैसे निकालने पर रोक लगेगी।

पीएम गति शक्ति से जुड़ सकती है योजना

सरकार इस योजना को पीएम गति शक्ति जैसे बड़े कार्यक्रमों से जोड़ने की भी तैयारी में है। इससे गांवों में होने वाले काम देश के बड़े विकास लक्ष्यों से जुड़े रहेंगे। सड़क, पानी, बिजली और अन्य सुविधाओं को एक साथ आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

नाम बदलने पर सियासी बहस तेज

मनरेगा का नाम बदलने की खबर सामने आते ही राजनीति भी तेज हो गई है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। उनका कहना है कि महात्मा गांधी का नाम हटाने की क्या जरूरत है। उन्होंने इसे महात्मा गांधी के योगदान का अपमान बताया है।

दरअसल पहले से ही यह अंदेशा था कि यदि मनरेगा का नाम बदला गया तो विवाद होगा। अब जी राम जी नाम सामने आने के बाद यह बहस और गहरी हो गई है। विपक्ष इसे महात्मा गांधी बनाम राम के नजरिये से देख रहा है।

भाजपा को मिला नया सियासी मुद्दा

वहीं दूसरी ओर, जी राम जी नाम से भाजपा को एक नया सियासी मुद्दा भी मिल गया है। समर्थकों का कहना है कि योजना का मकसद रोजगार देना है, नाम से ज्यादा जरूरी काम है। उनका यह भी कहना है कि नई योजना ज्यादा प्रभावी होगी और ग्रामीण भारत को मजबूत बनाएगी।

संभावना है कि संसद में इस मुद्दे पर लंबी बहस हो सकती है। आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि सरकार इस नाम पर अडिग रहती है या विपक्ष के दबाव में बदलाव करती है।

मनरेगा का अब तक का असर

पिछले करीब बीस वर्षों में मनरेगा ने गांवों की तस्वीर बदलने का काम किया है। इस योजना से लाखों लोगों को रोजगार मिला और गांवों में बुनियादी ढांचा मजबूत हुआ। कई जगहों पर पलायन कम हुआ और लोगों की आमदनी बढ़ी।

अब सवाल यह है कि क्या नया नाम और नई व्यवस्था इस सफलता को आगे बढ़ा पाएगी। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बदलाव से गरीब और मजदूर वर्ग को नुकसान न हो, बल्कि उनका भरोसा और मजबूत हो।

आगे क्या हो सकता है

यदि विधेयक संसद में पास हो जाता है, तो मनरेगा एक नए रूप में सामने आएगी। 125 दिन रोजगार, तकनीक से निगरानी और विकसित भारत 2047 से जुड़ाव इस योजना को नई दिशा दे सकता है। लेकिन नाम बदलने को लेकर विवाद भी लंबे समय तक चल सकता है।

ग्रामीण भारत की नजर अब सरकार के अगले कदम पर टिकी है। यह योजना उम्मीद बनेगी या बहस का मुद्दा, इसका फैसला आने वाला समय करेगा।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।