नीरज चोपड़ा को मिला टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल का पद
भारतीय एथलेटिक्स के गौरव और ओलंपिक स्वर्ण विजेता नीरज चोपड़ा को एक बार फिर देश ने सम्मानित किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को नई दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान नीरज चोपड़ा को टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल (Honorary Lieutenant Colonel) की रैंक प्रदान की।
इस अवसर पर थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी भी उपस्थित रहे। यह सम्मान नीरज के खेलों में अभूतपूर्व योगदान और देश का नाम विश्व पटल पर ऊंचा करने के लिए दिया गया है।
खेल और देशभक्ति के संगम का प्रतीक यह सम्मान
नीरज चोपड़ा को यह मानद रैंक केवल उनके एथलेटिक कौशल के लिए नहीं बल्कि उनकी अनुशासनप्रियता, निष्ठा और देशभक्ति की भावना के प्रतीक के रूप में प्रदान की गई है। टोक्यो 2020 ओलंपिक में स्वर्ण पदक और पेरिस 2024 ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद नीरज ने भारतीय एथलेटिक्स को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समारोह में कहा कि, “नीरज चोपड़ा ने जिस प्रकार विश्व स्तर पर भारत का नाम ऊंचा किया है, वह पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। उनकी दृढ़ता, मेहनत और समर्पण सेना के मूल्यों से गहराई से जुड़ा हुआ है।”
समारोह में गरिमा और गर्व का माहौल
नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में आयोजित इस ‘पिपिंग सेरेमनी’ के दौरान भारतीय थलसेना के अधिकारियों, खिलाड़ियों और वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। नीरज को लेफ्टिनेंट कर्नल की वर्दी पहनाई गई और उनके कंधों पर मानद सितारे लगाए गए।
नीरज ने सम्मान स्वीकार करते हुए कहा, “यह मेरे लिए बहुत बड़ा गर्व का क्षण है। मैं हमेशा से भारतीय सेना का आदर करता रहा हूं और आज इस परिवार का हिस्सा बनना मेरे लिए प्रेरणादायक अनुभव है।”
खेल जगत में सम्मान की परंपरा
टेरिटोरियल आर्मी द्वारा खेल जगत के नायकों को मानद रैंक प्रदान करने की परंपरा पुरानी है। इससे पहले भी कई नामी खिलाड़ियों को यह सम्मान मिल चुका है।
इनमें अभिनव बिंद्रा, महेंद्र सिंह धोनी, और साक्षी मलिक जैसे खिलाड़ी शामिल हैं, जिन्हें उनके क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए भारतीय सेना ने सम्मानित किया था। नीरज का नाम अब इस गौरवशाली सूची में शामिल हो गया है।
राष्ट्र गौरव और युवाओं के लिए प्रेरणा
नीरज चोपड़ा की यह उपलब्धि केवल एक व्यक्तिगत सम्मान नहीं, बल्कि देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके अनुशासन, मेहनत और समर्पण ने यह साबित किया है कि खेल और राष्ट्र सेवा एक ही धारा में बह सकते हैं।
वह न केवल एथलेटिक्स के क्षेत्र में एक आदर्श बने हैं, बल्कि अब सेना की वर्दी में एक ऐसे प्रतीक के रूप में उभर रहे हैं जो खेल, परिश्रम और राष्ट्रभक्ति को एक सूत्र में पिरोता है।
नीरज चोपड़ा की यात्रा: गांव से ग्लोबल मंच तक
हरियाणा के पानीपत जिले के छोटे से गांव खंडरा से निकलकर नीरज ने विश्व पटल तक अपनी पहचान बनाई है। बचपन में भाला फेंकने का शौक आज उन्हें भारत का स्वर्णिम चेहरा बना चुका है।
उन्होंने न केवल देश के लिए पदक जीते बल्कि एक ऐसी नई पीढ़ी को प्रेरित किया जो अब खेलों में अपना भविष्य देख रही है।
सेना और खेल: एक साझा अनुशासन की मिसाल
नीरज की नियुक्ति भारतीय सेना और खेल जगत के उस साझा मूल्य को दर्शाती है जो अनुशासन, समर्पण और देशभक्ति पर आधारित है। सेना और खिलाड़ी दोनों ही अपने परिश्रम और संयम से राष्ट्र का गौरव बढ़ाते हैं।
नीरज चोपड़ा को टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल का पद मिलना केवल एक औपचारिक सम्मान नहीं, बल्कि उस मेहनत, अनुशासन और देशप्रेम की पहचान है जिसने उन्हें भारत का गौरव बनाया है। यह सम्मान भारतीय युवाओं को यह संदेश देता है कि देशभक्ति केवल शब्दों में नहीं, कर्म में झलकती है — चाहे वह खेल के मैदान में हो या सेना की वर्दी में।