नए श्रम कानून से वेतन संरचना में बड़ा परिवर्तन, कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी घटेगी, सेवानिवृत्ति निधि होगी सुदृढ़

New Labour Law Code: कर्मचारियों की बेसिक सैलरी बढ़ेगी, PF और ग्रैच्युटी में होगा इजाफा
New Labour Law Code: कर्मचारियों की बेसिक सैलरी बढ़ेगी, PF और ग्रैच्युटी में होगा इजाफा (File Photo)
नए श्रम कानून के तहत कर्मचारियों की मूल सैलरी को CTC का न्यूनतम 50 प्रतिशत करना अनिवार्य होगा। इससे PF और ग्रैच्युटी में वृद्धि होगी, जिससे सेवानिवृत्ति बचत मजबूत होगी। हालांकि टेक-होम सैलरी कम होने की संभावना है। कंपनियों को अपनी वेतन संरचना में व्यापक बदलाव करने होंगे।
नवम्बर 22, 2025

नए श्रम कानून से वेतन संरचना में बड़ा परिवर्तन

केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किए गए नए श्रम कानूनों ने देशभर में नौकरीपेशा वर्ग के बीच व्यापक चर्चा और चिंतन का विषय बना दिया है। इन श्रम संहिताओं के लागू होने के बाद वेतन संरचना, बचत घटकों तथा कर्मचारियों की कुल आमदनी पर सीधा प्रभाव पड़ना तय है। नए प्रावधानों के अनुसार, कर्मचारियों का मूल वेतन अब कुल कॉस्ट-टू-कंपनी (CTC) का कम से कम 50 प्रतिशत होना अनिवार्य होगा, या वह प्रतिशत जो सरकार आगे अधिसूचित करेगी। इस परिवर्तन से प्रोविडेंट फंड (PF) और ग्रैच्युटी में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, परंतु कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी पर दबाव बढ़ने की आशंका है।

मूल वेतन में वृद्धि : प्रभाव और परिणाम

नए नियम के तहत जब कंपनियों को कर्मचारियों की मूल सैलरी को CTC का न्यूनतम 50 प्रतिशत रखना होगा, तब स्वाभाविक रूप से PF और ग्रैच्युटी की गणना का आधार बड़ा हो जाएगा। चूँकि PF का योगदान मूल वेतन का 12 प्रतिशत होता है और ग्रैच्युटी का निर्धारण भी अंतिम मूल वेतन और सेवा अवधि के आधार पर होता है, इसलिए दोनों में वृद्धि सुनिश्चित है। इससे कर्मचारियों की दीर्घकालिक सेवानिवृत्ति बचत मजबूत होने की संभावना बढ़ जाएगी।
हालाँकि, वही योगदान कर्मचारी के हाथ में आने वाले वेतन में कटौती का कारण भी बनेगा। CTC समान रहने पर अधिक राशि बचत फंडों में जानी शुरू हो जाएगी, जिससे इन-हैंड वेतन अपेक्षाकृत कम हो जाएगा।

इन-हैंड सैलरी में कमी की आशंका

कई विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियाँ व्यय संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से कुल CTC संरचना में बड़े बदलाव नहीं करेंगी। ऐसे में PF और ग्रैच्युटी का बढ़ा हुआ योगदान सीधे कर्मचारी की टेक-होम सैलरी पर प्रभाव डालेगा। अब तक अनेक कंपनियाँ मूल वेतन को कम रखकर भत्तों का अनुपात बढ़ा देती थीं, जिससे PF और ग्रैच्युटी पर कम योगदान देना पड़ता था। नए श्रम कानून इस प्रवृत्ति पर रोक लगाएंगे, जिससे वेतन संरचना अधिक पारदर्शी और संतुलित होगी।

PF और ग्रैच्युटी की वर्तमान गणना

वर्तमान में PF में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों द्वारा बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत योगदान दिया जाता है। दूसरी ओर, ग्रैच्युटी की गणना कर्मचारी द्वारा कंपनी में की गई कुल सेवा अवधि तथा अंतिम मूल वेतन के आधार पर होती है।
नए नियमों के लागू होने से इन गणनाओं के आधार में विस्तार आएगा, क्योंकि ‘वेजेज’ की नई परिभाषा में अधिकांश भत्तों को भी शामिल किया गया है। केवल HRA और कन्वेयंस अलाउंस को इसमें से बाहर रखा गया है।

विशेषज्ञों की राय

भारतीय स्टाफिंग फेडरेशन की कार्यकारी निदेशक सुचिता दत्ता का कहना है कि इन प्रावधानों से कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति सुरक्षा तो मजबूत होगी, परंतु इन-हैंड सैलरी में कमी का प्रभाव कई वर्गों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
EY इंडिया के पुनीत गुप्ता का मत है कि ग्रैच्युटी की गणना अब ‘वेजेज’ पर आधारित होगी, जिसमें अधिकांश भत्ते शामिल होंगे। इससे ग्रैच्युटी राशि पहले की तुलना में अधिक होगी। उनका यह भी कहना है कि इन-हैंड सैलरी में गिरावट को लेकर चिंताएँ उचित हैं, क्योंकि कंपनियाँ CTC में बहुत बड़े बदलाव करने से बच सकती हैं।

कंपनियों की तैयारी और भविष्य की दिशा

सरकार द्वारा संकेत दिया गया है कि आने वाले 45 दिनों में वेज कोड से जुड़े विस्तृत नियम जारी किए जाएंगे। इसके बाद कंपनियों को अपनी वेतन संरचना में आवश्यक बदलाव करने होंगे। वेतन संरचना में इस बड़े परिवर्तन से संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लगभग सभी कर्मचारियों और नियोक्ताओं पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।
कंपनियाँ अब ऐसी रणनीति तैयार कर रही हैं जिसमें वे नए नियमों का पालन कर सकें और साथ ही अपने वित्तीय बोझ को भी संतुलित रख सकें। कई विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि लंबी अवधि में यह बदलाव भारतीय श्रम बाजार को औपचारिक और स्थायी रोजगार मॉडल की ओर ले जाएगा।

कर्मचारियों के लिए इसका अर्थ

इन नए नियमों का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि कर्मचारियों की भविष्य निधि और ग्रैच्युटी में इजाफा होगा। इससे सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाली राशि अधिक होगी और दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
लेकिन साथ ही, कई कर्मचारियों को इन-हैंड वेतन कम होने से मासिक बजट प्रबंधन में दिक्कत हो सकती है। विशेषकर उन कर्मचारियों के लिए जिनका वेतन ऐसा है जिसमें मासिक खर्च अधिक और बचत कम रहती है, यह परिवर्तन तुरंत महसूस होने वाला होगा।

नए श्रम कानून एक ओर कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करेंगे, वहीं दूसरी ओर मासिक वेतन संरचना में तत्काल प्रभाव से परिवर्तन होगा। इस संरचना का उद्देश्य अधिक पारदर्शिता और विश्वसनीयता लाना है, जिससे दीर्घकालिक बचत को बढ़ावा मिले।
आने वाले महीनों में कंपनियों और कर्मचारियों दोनों को इन परिवर्तनों के अनुरूप अपने आर्थिक और वेतन प्रबंधन मॉडल को संतुलित करना होगा।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.