भारत-जापान संबंधों में नये अध्याय की शुरुआत
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (पीटीआई)।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची से दूरभाष पर वार्ता की और दोनों देशों के बीच संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता दोहराई। यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब ताकाइची ने पिछले सप्ताह शिगेरू इशिबा का स्थान लेते हुए जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि भारत-जापान संबंध केवल द्विपक्षीय सहयोग का उदाहरण नहीं, बल्कि एशिया और विश्व की शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं।
दोनों नेताओं ने साझा दृष्टिकोण पर दिया बल
प्रधानमंत्री मोदी ने वार्ता के दौरान कहा कि भारत और जापान के बीच की विशेष सामरिक एवं वैश्विक साझेदारी (Special Strategic and Global Partnership) विश्व के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत और जापान की नीतियाँ न केवल आर्थिक प्रगति की दिशा में अग्रसर हैं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और क्षेत्रीय स्थिरता को भी सुदृढ़ करती हैं। ताकाइची ने भी प्रधानमंत्री मोदी की बातों का स्वागत करते हुए भारत को “विश्वसनीय एवं दीर्घकालिक साझेदार” बताया।
आर्थिक और रक्षा सहयोग पर चर्चा
दोनों नेताओं ने वार्ता में आर्थिक सुरक्षा, रक्षा सहयोग और प्रतिभा गतिशीलता (Talent Mobility) जैसे प्रमुख विषयों पर विशेष बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और जापान के बीच नवाचार, प्रौद्योगिकी और निवेश के क्षेत्र में नए अवसर खुल रहे हैं, जिन्हें दोनों देश मिलकर आगे बढ़ा सकते हैं।
भारत में जापानी निवेश लगातार बढ़ रहा है, विशेषकर विनिर्माण, अवसंरचना और हरित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में। ताकाइची ने यह भी आश्वासन दिया कि जापान भारत के “मेक इन इंडिया” अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएगा।
रक्षा क्षेत्र में साझा प्रतिबद्धता
भारत और जापान के बीच पिछले कुछ वर्षों में रक्षा सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। दोनों देशों ने हाल ही में एक 10 वर्षीय आर्थिक साझेदारी रोडमैप और रक्षा सहयोग का रूपरेखा समझौता किया है। यह समझौते एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम माने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता में भारत-जापान सहयोग से न केवल दोनों देशों को लाभ होगा, बल्कि यह पूरी इंडो-पैसिफिक रणनीति को भी मजबूती प्रदान करेगा।
वैश्विक शांति और मानव संसाधन विकास पर जोर
दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत-जापान साझेदारी केवल आर्थिक या रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव संसाधन विकास, शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में भी नई संभावनाओं के द्वार खोलती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा, “हमारा साझा दृष्टिकोण वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि पर केंद्रित है। जापान के साथ मिलकर हम एक सशक्त, समावेशी और प्रगतिशील एशिया का निर्माण करेंगे।”
ताकाइची ने भी कहा कि जापान भारत के साथ अपने सांस्कृतिक और तकनीकी संबंधों को और सुदृढ़ करेगा, जिससे दोनों देशों के युवाओं को पारस्परिक अवसर मिल सकें।
भविष्य की दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने अगस्त में जापान की यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा से भी मुलाकात की थी, जहाँ दोनों देशों ने कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। अब ताकाइची के नेतृत्व में जापान के साथ यह संबंध और भी गहरे होते दिख रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि साने ताकाइची की नीति-निर्माण दृष्टि और प्रधानमंत्री मोदी की रणनीतिक नेतृत्व शैली मिलकर एशिया में एक नया भू-राजनीतिक संतुलन स्थापित कर सकती हैं।
भारत और जापान की यह निकटता न केवल द्विपक्षीय हितों के लिए लाभकारी है, बल्कि वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक देशों के सहयोग को भी नया आयाम प्रदान करेगी।
भारत और जापान के बीच संवाद और साझेदारी अब केवल आर्थिक या रणनीतिक नहीं रह गई है, बल्कि यह एक व्यापक वैश्विक दृष्टि का प्रतीक बन चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री साने ताकाइची की यह वार्ता आने वाले वर्षों में एशिया और विश्व की दिशा तय करने में मील का पत्थर सिद्ध हो सकती है।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।