लोकसभा में राहुल गांधी और अमित शाह में गरमागरम बहस
लोकसभा में बुधवार को उस समय माहौल अचानक गरम हो गया जब मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर पर चल रही चर्चा के दौरान नेता विपक्ष राहुल गांधी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। दोनों नेताओं ने बिना किसी झिझक एक-दूसरे पर आरोप लगाए और अपनी बात को जोर देकर रखा। इस टकराव ने सदन का माहौल कई मिनट तक गर्म रखा।
मतदाता सूची और एसआईआर पर बढ़ी बहस
एसआईआर यानी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर चर्चा का उद्देश्य यह समझना था कि देश में मतदाता सूची को सही और साफ कैसे रखा जाए। गृह मंत्री अमित शाह का कहना था कि विपक्ष इस पूरी प्रक्रिया पर झूठ फैला रहा है और लोगों को भ्रमित कर रहा है। शाह ने कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह संविधान के अनुच्छेद 327 के तहत की जा रही है, जो चुनाव आयोग को मतदाता सूची बनाने और शुद्ध करने का अधिकार देता है।
शाह ने कहा कि विदेशी नागरिकों को भारत में वोट करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता और मतदाता सूची को साफ रखना देश के लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
राहुल गांधी का जवाब और प्रेस कॉन्फ्रेंस पर चुनौती
अमित शाह के बयान के बाद राहुल गांधी को जवाब देने का मौका दिया गया। उन्होंने कहा कि उनका सवाल यह है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को पूरी इम्युनिटी देने के पीछे सरकार की क्या सोच है। उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा में 19 लाख फर्जी वोटरों का मामला सामने आया है और यह एक गंभीर विषय है।
राहुल गांधी ने अमित शाह को सीधा चुनौती देते हुए कहा कि वे उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस पर बहस करें। उन्होंने कहा कि अगर अमित शाह को लगता है कि उनके आरोप गलत हैं, तो वे प्रेस कॉन्फ्रेंस के हर बिंदु पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं।
अमित शाह की नाराज़गी और सदन की प्रक्रिया पर टिप्पणी
राहुल गांधी की इस चुनौती पर अमित शाह नाराज़ हो गए। उन्होंने कहा कि संसद इस तरह से नहीं चल सकती कि कोई भी सदस्य अपनी सुविधा के मुताबिक किसी भी वक्त जवाब की मांग करे। शाह ने कहा कि वे पिछले 30 सालों से विधानसभा और संसद दोनों में चुने जाते रहे हैं और उन्हें संसदीय परंपराओं का पूरा अनुभव है।
शाह ने कहा कि वे अपनी बात किस क्रम में रखेंगे, यह तय करने का अधिकार उनका है और किसी भी विपक्षी नेता का नहीं। उनके अनुसार, हर वक्ता को यह अधिकार है कि वह अपने भाषण का क्रम स्वयं तय करे।
सदन का माहौल और दोनों नेताओं के तीखे शब्द
राहुल गांधी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि अमित शाह का रवैया बचाव भरा और घबराहट वाला है। उन्होंने कहा कि यह सच्चा जवाब नहीं है बल्कि मुद्दे से बचने की कोशिश है।
इस पर अमित शाह ने कहा कि वे किसी उकसावे में नहीं आएंगे और वे अपनी बात पूरी गंभीरता से सदन में रखेंगे। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में सुधार देश की सुरक्षा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए बहुत आवश्यक है और इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
एसआईआर पर सरकार का पक्ष
अमित शाह ने सदन में यह भी कहा कि एसआईआर का उद्देश्य मतदाता सूची की सफाई करना है, ताकि कोई भी विदेशी नागरिक या फर्जी नाम वोटर लिस्ट में शामिल न रहे। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे नाम रह जाते हैं, तो यह तय करने का अधिकार घुसपैठियों के पास चला जाएगा कि देश का मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कौन बनेगा।
शाह ने कहा कि सरकार की नीयत साफ है और वह चाहती है कि हर वोट सही और मान्य हो। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह इस विषय को राजनीतिक रंग देकर लोगों में भ्रम फैला रहा है।
विपक्ष की चिंता और सवाल
राहुल गांधी और विपक्ष का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया को जल्दबाजी में और बिना सही अध्ययन के लागू किया जा रहा है। उनका आरोप है कि कई राज्यों में फर्जी वोटरों के मामले सामने आए हैं, पर सरकार केवल चुनिंदा उदाहरणों पर बात करती है। विपक्ष का यह भी कहना है कि चुनाव आयोग को अत्यधिक शक्ति देने से पारदर्शिता कम हो सकती है, इसलिए इस पर गहन चर्चा आवश्यक है।
सदन में तनावपूर्ण माहौल
पूरी बहस के दौरान कई बार माहौल इतना गर्म हो गया कि अध्यक्ष को बीच में हस्तक्षेप करना पड़ा। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों तरफ से आवाजें उठती रहीं और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए।
लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी बहस
हालांकि बहस तीखी थी, लेकिन यह साफ है कि मतदाता सूची की सटीकता और चुनाव आयोग की भूमिका पर चर्चा करना लोकतंत्र की मजबूती के लिए बहुत आवश्यक है। यह मुद्दा केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय महत्व का है।