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पीएम से मुलाकात के बाद राहुल का दौरा बना नया विवाद

Rahul Gandhi CIC CVC Meeting: पीएम से मुलाकात और बर्लिन दौरे पर तेज हुई देश की सियासत
Rahul Gandhi CIC CVC Meeting: पीएम से मुलाकात और बर्लिन दौरे पर तेज हुई देश की सियासत (File Photo)
राहुल गांधी ने संसद में प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह से मुलाकात कर CIC और CVC की नियुक्तियों पर चर्चा की और कुछ नामों पर असहमति जताई। इसके बाद उनके बर्लिन दौरे पर भाजपा ने उन्हें संसद सत्र के दौरान विदेश जाने के लिए घेरा। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस ने इसे संगठनात्मक दौरा बताया। दोनों मुद्दों पर देश में तेज राजनीतिक बहस शुरू हो गई।
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प्रधानमंत्री से बंद कमरे में लम्बी चर्चा

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। यह मुलाकात प्रधानमंत्री के कक्ष में हुई। तीनों नेताओं के बीच करीब दो घंटे तक बंद कमरे में बातचीत चली। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन और सेंट्रल विजिलेंस कमीशन में होने वाली अहम नियुक्तियों को अंतिम रूप देना था।

इस चर्चा में चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर, आठ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर और विजिलेंस कमिश्नर की नियुक्ति पर बात हुई। सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने कुछ नामों पर अपनी असहमति जताई। उनका कहना था कि ऐसे पदों पर नियुक्ति बहुत सोच-समझकर, साफ और सही तरीके से होनी चाहिए। यही कारण था कि उन्होंने कुछ प्रस्तावित अधिकारियों को लेकर अपनी चिंता रखी।

राहुल गांधी के बर्लिन दौरे पर नया राजनीतिक विवाद

बैठक के तुरंत बाद सुबह होते-होते देश की राजनीति में एक और मुद्दा उभर आया। यह मुद्दा था राहुल गांधी का अगला विदेश दौरा। राहुल गांधी 17 दिसंबर को बर्लिन में होने वाले इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के बड़े कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं। इस कार्यक्रम में वे पूरे यूरोप के IOC नेताओं से मिलेंगे और भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे।

लेकिन भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने इस दौरे पर कड़ा सवाल उठाया। उनका कहना था कि संसद का अहम विंटर सत्र जारी है और ऐसे समय में नेता विपक्ष का विदेश दौरे पर जाना सही नहीं है। उन्होंने राहुल गांधी को फिर से ‘विदेश नायक’ कहा और कहा कि वे संसद में अपनी ज़िम्मेदारी की जगह विदेश यात्रा को ज्यादा महत्व दे रहे हैं।

पूनावाला ने सोशल मीडिया पर लिखा कि संसद 19 दिसंबर तक चलेगी, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार राहुल गांधी 15 से 20 दिसंबर तक जर्मनी रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है। बिहार चुनाव के समय भी राहुल गांधी विदेश में थे और फिर जंगल सफारी पर गए थे। भाजपा का कहना है कि विपक्ष का नेता संसद के अंदर रहकर जनता की आवाज़ उठाए, लेकिन राहुल गांधी का कार्यक्रम इसके उलट है।

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का जवाब

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस ने राहुल गांधी के बर्लिन दौरे को एक बड़ी और जरूरी पहल बताया है। संगठन का कहना है कि यह दौरा कांग्रेस पार्टी के अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव को मजबूत करेगा। पूरे यूरोप में बने IOC चैप्टर के प्रमुख बर्लिन में मिलेंगे और NRI समुदाय से जुड़े मुद्दों पर बात करेंगे। इसी के साथ वे कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने की योजना और उसकी विचारधारा को आगे बढ़ाने पर भी चर्चा करेंगे।

IOC ऑस्ट्रिया के प्रमुख औसाफ खान ने कहा कि वे राहुल गांधी की मेजबानी करके सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा और डॉ. आरती कृष्णा भी मौजूद रहेंगे। संगठन का कहना है कि विदेशों में बसे भारतीय कांग्रेस से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बात करना चाहते हैं और यह दौरा उन्हें जोड़ने का एक बड़ा माध्यम है।

दो मुद्दे, दो चर्चाएँ और बढ़ती सियासत

देश की राजनीति में इस समय दो मुद्दे एक साथ चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। पहला मुद्दा है CIC और CVC की नियुक्तियों पर हुई लम्बी बैठक और उसमें राहुल गांधी की असहमति। दूसरा मुद्दा है उनका विदेश दौरा, जिसे लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच नई बहस शुरू हो गई है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संसद का सत्र चल रहा है और ऐसे समय में विपक्ष की भूमिका बेहद अहम होती है। इसलिए राहुल गांधी का बर्लिन जाना भाजपा के लिए हमला करने का बड़ा मुद्दा बन गया है। दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि यह दौरा पहले से तय है और यह पार्टी के संगठनात्मक काम का हिस्सा है।

संसद की बैठक और विदेश दौरे की बहस अब एक साथ चलने लगी है। दोनों मुद्दे मीडिया और राजनीति में लगातार सुर्खियाँ बना रहे हैं। भाजपा राहुल गांधी पर देश छोड़ने का आरोप लगा रही है, जबकि कांग्रेस कह रही है कि राहुल गांधी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और नियुक्तियों पर साफ तौर पर अपनी बात रख चुके हैं।

क्या विवाद आगे भी बढ़ेगा

राहुल गांधी की विदेश यात्राएँ पहले भी राजनीति में चर्चा का विषय बनी रही हैं। भाजपा कई बार उनकी यात्राओं को लेकर सवाल उठाती रही है। कांग्रेस उनका बचाव करते हुए कहती है कि उनके दौरे राजनीति और संगठन के काम के लिए होते हैं।

अब फिर वही बहस सामने आ गई है। राहुल गांधी की बैठक, उनकी असहमति और इसके बाद विदेशी दौरे पर उठे सवाल – इन तीनों बातों ने राजनीतिक माहौल को फिर गरम कर दिया है। आने वाले समय में इस विवाद के और बढ़ने की संभावना है। क्योंकि संसद सत्र अभी जारी है और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी बाकी है।

देश की राजनीति में ऐसे मुद्दे अक्सर लंबे समय तक चर्चा में रहते हैं। सरकार और विपक्ष दोनों ही इन घटनाओं को अपने पक्ष में उपयोग करने की कोशिश करेंगे। इसलिए आने वाले दिनों में इस विवाद का असर संसद और राजनीति दोनों जगह देखने को मिलेगा।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।