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राज्यसभा में हंगामा: मतदाता सूची पर चर्चा नहीं हुई तो विपक्ष ने छोड़ा सदन

Rajya Sabha Protest: राज्यसभा में हंगामा, मतदाता सूची पर चर्चा नहीं हुई तो विपक्ष ने छोड़ा सदन
Rajya Sabha Protest: राज्यसभा में हंगामा, मतदाता सूची पर चर्चा नहीं हुई तो विपक्ष ने छोड़ा सदन (File Photo)
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में विपक्ष ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर तत्काल चर्चा की मांग की। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है लेकिन तैयारी के लिए समय चाहिए। जब चर्चा नहीं हुई तो नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इससे पहले खरगे ने नए सभापति का स्वागत करते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ के अचानक इस्तीफे का जिक्र किया जिस पर सत्ता पक्ष ने विरोध जताया।
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संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार 1 दिसंबर से शुरू हो गया है। सत्र के पहले दिन ही राज्यसभा में हंगामा देखने को मिला। विपक्षी दलों ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR पर तत्काल चर्चा की मांग की। जब इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई तो विपक्ष के सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इस पूरे मामले में सरकार ने साफ किया कि वह किसी भी विषय पर चर्चा से पीछे नहीं है लेकिन उसे जवाब तैयार करने के लिए कुछ समय दिया जाए।

विपक्ष की मांग और सरकार का जवाब

राज्यसभा में जैसे ही औपचारिकताओं के बाद कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी दलों ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर तत्काल चर्चा की मांग रखी। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष काफी गंभीर दिखा। नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कई विपक्षी नेताओं ने इस मांग को जोरदार तरीके से उठाया।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार विपक्ष की मांग पर विचार कर रही है और इसे खारिज नहीं किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार मतदाता सूची के पुनरीक्षण, चुनाव सुधारों या किसी भी अन्य विषय पर चर्चा से पीछे नहीं है। लेकिन उन्होंने विपक्ष से अनुरोध किया कि सरकार को जवाब तैयार करने के लिए कुछ समय दिया जाए।

रिजिजू ने विपक्ष से यह भी कहा कि वह चर्चा के समय को लेकर कोई शर्त न रखे। उन्होंने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है लेकिन सही तरीके से तैयारी करने के लिए समय जरूरी है।

सदन में हंगामा और वॉकआउट

जब सरकार ने तत्काल चर्चा शुरू नहीं की तो विपक्षी दलों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया। कुछ देर तक सदन में शोरगुल मचा रहा। विपक्षी सांसद अपनी जगहों से उठकर नारेबाजी करने लगे। उन्होंने इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग को दोहराया।

जब सदन में चर्चा शुरू नहीं हुई तो नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सांसद सदन से बाहर चले गए। यह शीतकालीन सत्र के पहले दिन का एक बड़ा घटनाक्रम था।

नए सभापति का स्वागत और पुराने उपराष्ट्रपति का जिक्र

इससे पहले राज्यसभा में नए सभापति सीपी राधाकृष्णन का स्वागत किया गया। नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस संविधानिक मूल्यों और सदन की परंपराओं के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष सदन की कार्यवाही में पूरा सहयोग करेगा।

लेकिन खरगे ने इसी दौरान पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे का भी जिक्र कर दिया। उन्होंने कहा कि धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से अचानक पद छोड़ दिया था। खरगे ने इसे संसदीय इतिहास में असामान्य घटना बताया। उन्होंने कहा कि सदन को उन्हें विदाई देने का मौका नहीं मिला, जो निराशाजनक है।

संतुलन बनाए रखने की अपील

खरगे ने नए सभापति से अपील की कि वह सदन में दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखें। उन्होंने कहा कि सदन की निष्पक्ष कार्यवाही और हर पार्टी के सदस्यों को समान अवसर देना बहुत जरूरी है। खरगे ने यह भी कहा कि राधाकृष्णन कांग्रेस के पूर्व सांसद सी के कुप्पुस्वामी के रिश्तेदार हैं, इसलिए उन्हें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए।

खरगे ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद के बाहर एक बयान में विपक्ष पर अप्रत्यक्ष हमला किया है और विपक्ष इसका जवाब सदन में देगा।

सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया

खरगे की इन बातों पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि नए सभापति के स्वागत का यह गंभीर अवसर था और इस समय पूर्व उपराष्ट्रपति के इस्तीफे का जिक्र करना सही नहीं था।

सदन के नेता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि अगर अप्रासंगिक बातें की जाएंगी तो विपक्ष को यह भी याद रखना चाहिए कि उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को कैसे अपमानित किया था। नड्डा ने कहा कि विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया था।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी खरगे की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह बहुत गंभीर अवसर था और विपक्ष के नेता को इस समय इस मुद्दे का जिक्र नहीं करना चाहिए था। रिजिजू ने कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है।

आगे क्या होगा

अब देखना होगा कि मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर चर्चा कब होती है। सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन उसे तैयारी का समय चाहिए। विपक्ष इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा चाहता है।

शीतकालीन सत्र में कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी उठने की संभावना है। चुनाव सुधार, संविधान के मूल्य, और अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है। सत्र के पहले दिन के हंगामे के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की कार्यवाही कैसे चलती है और क्या सरकार और विपक्ष के बीच कोई सहमति बनती है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.