Rohini Yadav: रोहिणी आचार्या का भावनात्मक विस्फोट, लालू परिवार में बढ़ती दरार ने बिहार की राजनीति में गहराई हलचल

Rohini Acharya : लालू परिवार की अंदरूनी कलह ने बिहार की राजनीति में बढ़ाई उथल-पुथल
Rohini Acharya : लालू परिवार की अंदरूनी कलह ने बिहार की राजनीति में बढ़ाई उथल-पुथल (File Photo)
Rohini Yadav: लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने परिवार और पार्टी से अलग होने की घोषणा कर दी है। उन्होंने तेजस्वी के करीबी सलाहकारों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। किडनी दान देने के बाद भी उपेक्षा की बात कहकर रोहिणी ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है, जिससे राजद की एकजुटता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
नवम्बर 16, 2025

रोहिणी आचार्या के भावनात्मक बयान ने बढ़ाई राजनीतिक गर्मी

Rohini Yadav: पटना से निकलकर पूरे देश की राजनीतिक बहस को गर्म करने वाला मुद्दा अब लालू प्रसाद यादव के परिवारिक दायरे से बाहर निकलकर राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बन गया है। राष्ट्रीय जनता दल के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक घराने—लालू परिवार—में चल रही दरार अब खुलकर सामने आ चुकी है। लालू यादव को किडनी देकर पिता को नई जिंदगी देने वाली उनकी बेटी रोहिणी आचार्या ने पहली बार अपने मन का दर्द सार्वजनिक रूप से बयान किया है।

उनके शब्दों ने राजनीति की ज़मीन पर एक ऐसा कंपन पैदा किया है, जिसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दे रही है।

रोहिणी के बयान ने खोला पुराना घाव

रोहिणी आचार्या ने सोशल मीडिया पर कहा—
“अब मेरा कोई नहीं। परिवार और पार्टी को छोड़कर जा रही हूं। तेजस्वी के संजय यादव और रमीज का नाम लेते ही मेरे ऊपर चप्पल उठता है, मुझे बदनाम किया जाता है, घर से निकाल दिया गया है।”

उनके इन शब्दों ने यह साफ कर दिया है कि परिवार में लंबे समय से चल रही नाराज़गी अब विस्फोट का रूप ले चुकी है। यह बयान केवल भावनात्मक टूटन नहीं, बल्कि लालू परिवार के भीतर की कड़वाहट का वह अध्याय है, जिसे अब तक दबाकर रखा गया था।

Rohini Yadav: परिवार और पार्टी के भीतर उपजे तनाव

लालू परिवार के भीतर मतभेदों के संकेत पहले भी मिलते रहे थे, लेकिन रोहिणी का खुलकर बोलना इस कहानी को एक नई दिशा देता है।
उनका आरोप है कि तेजस्वी यादव के कुछ करीबी सलाहकार—संजय यादव और रमीज—ने परिवार में दूरी और गलतफहमियां पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रोहिणी का यह आरोप सिर्फ पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप और गुटबाजी की ओर भी इशारा करता है।
वे कहती हैं कि उन्हें अपमानित किया गया, उनके योगदान को नजरअंदाज किया गया और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश नहीं की गई।

किडनी दान देने के बाद भी उपेक्षा का आरोप

Rohini Yadav: यह तथ्य अपने आप में भावनात्मक और राजनीतिक दोनों ही दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है कि रोहिणी आचार्या ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को किडनी दान कर एक बेटी के रूप में अपने कर्तव्य से कहीं अधिक योगदान दिया।

लेकिन अब वही रोहिणी कह रही हैं कि—
“मैंने पिता की जिंदगी बचाई, पर बदले में मुझे सिर्फ अपमान मिला।”

इस कथन ने विवाद को एक गहरी संवेदनशीलता दे दी है। जनता और राजनीतिक विश्लेषक भी यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर परिवार के भीतर ऐसा क्या हुआ कि एक बेटी, जो अपने पिता के लिए इतनी बड़ी बलिदान दे सकती है, उसे ही परिवार से दूर होना पड़ रहा है?

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विवाद सिर्फ एक पारिवारिक लड़ाई नहीं, बल्कि राजद की आंतरिक राजनीति, नेतृत्व क्षमता और गुटबाजी का भी बड़ा संकेत है।
लालू परिवार बिहार में सिर्फ एक राजनीतिक घराना नहीं, बल्कि एक प्रतीक है।
उस प्रतीक की दरारें अगर सार्वजनिक होने लगें, तो वे सीधे-सीधे संगठन की छवि, जनाधार और भविष्य पर असर डालती हैं।

विश्लेषक कहते हैं:

  • यह विवाद तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़ा करता है

  • परिवार में बढ़ती दरार पार्टी की एकजुटता को कमजोर कर सकती है

  • आंतरिक सलाहकारों की भूमिका को लेकर उठे प्रश्न संगठन के भीतर अविश्वास पैदा करेंगे

Rohini Yadav: बिहार की राजनीति पर प्रभाव

बिहार की राजनीति में लालू परिवार एक भावनात्मक और राजनीतिक प्रतीक रहा है। जब परिवार के भीतर ही फूट की आवाज गूंजने लगे, तो उससे जनता के मन में स्वाभाविक रूप से कई सवाल उठते हैं।
विपक्ष ने इसे पहले ही “राजद की आंतरिक टूट” कहना शुरू कर दिया है, जबकि राजद समर्थक इसे “परिवारिक मामला” बताकर शांत करने की कोशिश कर रहे हैं।

लेकिन सवाल वही है—
क्या यह सिर्फ परिवार का झगड़ा है?
या बिहार की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत?

आगे का रास्ता

रोहिणी आचार्या ने यह भी साफ किया कि वे राजनीति और परिवार दोनों से खुद को अलग कर रही हैं। इसका सीधा अर्थ है कि आगामी चुनावों में उनकी कोई भूमिका नहीं होगी, जो राजद के लिए एक भावनात्मक झटका माना जा रहा है।

हालांकि राजनीतिक सूत्र मानते हैं कि इस विवाद के बाद परिवार में किसी मध्यस्थता की कोशिश हो सकती है, लेकिन फिलहाल सबकुछ अनिश्चित है।


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Aakash Srivastava

Writer & Editor at RashtraBharat.com | Political Analyst | Exploring Sports & Business. Patna University Graduate.